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बसौड़ा 2025: शीतलाष्टमी का व्रत कब रखा जाएगा?

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WD Feature Desk

, बुधवार, 12 मार्च 2025 (12:10 IST)
Goddess Sheetala Worship 2025: शीतलाष्टमी का व्रत हिन्दू धर्म में बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। यह व्रत माता शीतला को समर्पित है, जिन्हें रोगों से मुक्ति दिलाने वाली देवी माना जाता है। इस दिन माता शीतला की पूजा की जाती है और उन्हें बासी भोजन का भोग लगाया जाता है। यही कारण है कि इसे बसौड़ा भी कहा जाता है।ALSO READ: होलिका दहन और धुलेंडी के अलग अलग हैं रिवाज, जानकर करेंगे आश्चर्य

धार्मिक मान्यतानुसार होली के 7 दिनों बाद शीतला सप्तमी तथा आठवें दिन शीतला अष्टमी मनाई जाती है। कुछ लोग शीतला सप्तमी तो कुछ अष्टमी मनाते हैं। इस दिन माता शीतला की पूजा की जाती है। 
 
कब रखा जाएगा बसौड़ा व्रत : हिन्दू पंचांग कैलेंडर के अनुसार वर्ष 2025 में शीतलाष्टमी का व्रत 22 मार्च, दिन शनिवार को रखा जाएगा। मान्यता है कि शीतलाष्टमी का व्रत रखने से चेचक, खसरा और अन्य रोगों से मुक्ति मिलती है। इस दिन बासी भोजन करने से शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है। यह व्रत घर में सुख-शांति और समृद्धि लाता है।
 
शीतलाष्टमी व्रत की तिथि और शुभ मुहूर्त: Muhurta of Sheetala Ashtami 2025 
 
शीतला अष्टमी शनिवार, मार्च 22, 2025 को
शीतला अष्टमी पूजा मुहूर्त- सुबह 06 बजकर 23 से शाम 06 बजकर 33 मिनट तक।
कुल अवधि - 12 घंटे 11 मिनट्स
 
चैत्र कृष्ण अष्टमी तिथि का प्रारम्भ- मार्च 22, 2025 को तड़के 04 बजकर 23 मिनट से।
अष्टमी तिथि की समाप्ति- मार्च 23, 2025 को सुबह 05 बजकर 23 मिनट पर। 
 
पूजा विधि:
• शीतलाष्टमी के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
• माता शीतला की पूजा करें और उन्हें बासी भोजन का भोग लगाएं।
• व्रत रखें और शीतलाष्टक का पाठ करें।
• शाम को आरती करें और प्रसाद वितरित करें।ALSO READ: होलिका दहन और धुलेंडी के बाद क्यों मनाई जाती है रंग पंचमी?

अस्वीकरण (Disclaimer) : चिकित्सा, स्वास्थ्य संबंधी नुस्खे, योग, धर्म, ज्योतिष, इतिहास, पुराण आदि विषयों पर वेबदुनिया में प्रकाशित/प्रसारित वीडियो, आलेख एवं समाचार सिर्फ आपकी जानकारी के लिए हैं, जो विभिन्न सोर्स से लिए जाते हैं। इनसे संबंधित सत्यता की पुष्टि वेबदुनिया नहीं करता है। सेहत या ज्योतिष संबंधी किसी भी प्रयोग से पहले विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें। इस कंटेंट को जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है जिसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है।
 

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