शीतला सप्तमी के एक दिन पहले मीठा भात (ओलिया), खाजा, चूरमा, मगद, नमक पारे, शक्कर पारे, बेसन चक्की, पुए, पकौड़ी,राबड़ी, बाजरे की रोटी, पूड़ी, सब्जी आदि बना लें। कुल्हड़ में मोठ, बाजरा भिगो दें। इनमें से कुछ भी पूजा से पहले नहीं खाना चाहिए।
माता जी की पूजा के लिए ऐसी रोटी बनानी चाहिए जिनमें लाल रंग के सिकाई के निशान नहीं हों। इसी दिन यानि सप्तमी के एक दिन पहले छठ को रात को सारा भोजन बनाने के बाद रसोईघर की साफ सफाई करके पूजा करें। रोली, मौली, पुष्प, वस्त्र आदि अर्पित कर पूजा करें। इस पूजा के बाद चूल्हा नहीं जलाया जाता।
1 . शीतला सप्तमी के एक दिन पहले नौ कंडवारे, एक कुल्हड़ और एक दीपक कुम्हार के यहां से मंगवा लेने चाहिए।
2. बासोड़े के दिन सुबह जल्दी उठकर ठंडे पानी से नहाएं।
3. एक थाली में कंडवारे भरें। कंडवारे में थोड़ा दही, राबड़ी, चावल (ओलिया), पुआ, पकौड़ी, नमक पारे, रोटी, शक्कर पारे,भीगा मोठ, बाजरा आदि जो भी बनाया हो रखें।
4. एक अन्य थाली में रोली, चावल, मेहंदी, काजल, हल्दी, लच्छा (मोली), वस्त्र, होली वाली बड़कुले की एक माला व सिक्का रखें।
5. शीतल जल का कलश भर कर रखें।
6. पानी से बिना नमक का आटा गूंथकर इस आटे से एक छोटा दीपक बना लें। इस दीपक में रुई की बत्ती घी में डुबोकर लगा लें ।
7. यह दीपक बिना जलाए ही माता जी को चढ़ाया जाता है।
8. पूजा के लिए साफ सुथरे और सुंदर वस्त्र पहनने चाहिए।
9. पूजा की थाली पर, कंडवारों पर तथा घर के सभी सदस्यों को रोली, हल्दी से टीका करें। खुद के भी टीका कर लें।
10. हाथ जोड़ कर माता से प्रार्थना करें
हे माता, मान लेना और शीली ठंडी रहना।
11. इसके बाद मन्दिर में जाकर पूजा करें। यदि शीतला माता घर पर हो तो घर पर पूजा कर सकते हैं।
12. सबसे पहले माता जी को जल से स्नान कराएं।
13. रोली और हल्दी से टीका करें।
14. काजल, मेहंदी, लच्छा, वस्त्र अर्पित करें।
15. पूजन सामग्री अर्पित करें।
16. बड़बुले की माला व आटे का दीपक बिना जलाए अर्पित करें।
17. आरती या गीत आदि गा कर मां की अर्चना करें।
18. अंत में वापस जल चढ़ाएं और चढ़ाने के बाद जो जल बहता है, उसमें से थोड़ा जल लोटे में डाल लें। यह जल पवित्र होता है। इसे घर के सभी सदस्य आंखों पर लगाएं। थोड़ा जल घर के हर हिस्से में छिड़कना चाहिए। इससे घर की शुद्धि होती है पॉजिटिव एनर्जी आती है।
19. इसके बाद जहां होलिका दहन हुआ था वहां पूजा करें। थोड़ा जल चढ़ाएं,पूजन सामग्री चढ़ाएं।
20. घर आने के बाद पानी रखने की जगह पर पूजा करें। मटकी की पूजा करें। बचा सारा सामान कुम्हारी को, गाय को और ब्राह्मणी को दें।
इस प्रकार शीतला माता की पूजा संपन्न होती है। ठंडे व्यंजन सपरिवार मिलजुल कर खाएं और शीतला माता पर्व का आनंद उठाएं।