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शिवजी की आरती करने का सही तरीका जानें

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WD Feature Desk

, सोमवार, 24 फ़रवरी 2025 (19:30 IST)
Mahashivratri 2025:  कुछ लोगों का मानना है कि आरती करने का अर्थ है कि पूजा पाठ करने के बाद अपने देवों को विदा करना। हालांकि इसका कोई प्रमाण नहीं मिलता है कि आरती करने के बाद देवता अपने धाम चले जाते हैं। जहां देवता स्वयं विराजमान है वहां पर चार समय की आरती होती है तो फिर तो सभी मंदिरों से देवताओं को विदा हो जाना चाहिए? इसलिए इस धारणा में कोई तथ्‍य नहीं है। महाशिवरात्रि पर शिवजी की आरती करें और यह भी जान लें कि क्या है आरती करने का सही तरीका। आरती करने से आपका नमस्कार भगवान में समाहित चौदह भुवनों तक पहुंचता है और आपकी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।ALSO READ: शिव चालीसा पढ़ते समय ये गलतियां तो नहीं करते हैं आप?
 
1. मंत्रहीनं क्रियाहीनं यत;पूजनं हरे: !
सर्वे सम्पूर्णतामेति कृते नीरांजने शिवे। !
- अर्थात पूजन मंत्रहीन और क्रियाहीन होने पर भी (आरती) नीरांजन कर लेने से सारी पूर्णता आ जाती है।
 
2. आरती ढोल, नगाड़े, शंख, घड़ियाल आदि महावाद्यों के तथा जय-जयकार के शब्द के साथ शुद्ध पात्र में घी या कपूर से अनेक बत्तियां  जलाकर आरती करनी चाहिए। 
 
ततश्च मूलमन्त्रेण दत्वा पुष्पांजलित्रयम् । 
महानीराजनं कुर्यान्महावाधजयस्वनै: !!
प्रज्वालयेत् तदार्थ च कर्पूरेण घृतेन वा। 
आरार्तिकं शुभे पात्रे विष्मा नेकवार्तिकम्।!
 
3. एक, पांच, सात या उससे भी अधिक बत्तियों से आरती की जाती है। आरती के पांच अंग होते हैं, प्रथम दीपमाला से, दूसरे जलयुक्त शंख से, तीसरे धुले हुए वस्त्र से, चौथे आम और पीपल के पत्तों से और पांचवे साष्टांग दण्डवत से आरती करना चाहिए।ALSO READ: शिव चालीसा पढ़ने के शास्त्रोक्त नियम
 
कैसे करें भगवान की आरती :- 
सबसे पहले शिव जी की तस्वीर या शिवलिंग की पूजा करें।
घी का दीपक और धूप जलाएं। फिर शिवलिंग पर जल, फूल, बेलपत्र, धतूरा, आक का फूल आदि चढ़ाएं।
इसके बाद आरती प्रारंभ करें। आरती करते समय, एक ही जगह पर खड़े रहना चाहिए।
आरती करते समय भगवान की प्रतिमा के चरणों में आरती को चार बार घुमाएं, दो बार नाभि प्रदेश में, एक बार मुखमंडल पर और सात बार समस्त अंगों पर घुमाएं।
 
आरती के बाद कर्पूर आरती करें। इस दौरान यह मंत्र बोलें-
कर्पूरगौरं करुणावतारं संसारसारं भुजगेन्द्रहारम्।
सदा बसन्तं हृदयारबिन्दे भबं भवानीसहितं नमामि।।
 
इसके बाद आरती को चारों दिशाओं में घुमाएं। इसके आरती की थाली पर थोड़ा सा जल लगाएं। इसके बाद सभी को आरती लेने का कहें। आरती के बाद, आचमन करना शुभ माना जाता है।

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