महामृत्युंजय मंत्र
महामृत्युंजय मंत्र के महाशिवरात्रि पर अलावा वर्ष भर जपने से अकाल मृत्यु टलती है। आरोग्य की प्राप्ति होती है। यह मंत्र देश, काल और परिस्थिति के अनुसार हर स्थान पर शुभ फल देता है। अक्सर विदेशी धरा पर रहने वाले हमारे भारतीयों के मन में यह सवाल उठता है कि क्या इस मंत्र को भारत से बाहर पूर्ण शुद्धता के साथ संपन्न किया जा सकता है?
शास्त्रों-पुराणों में वर्णित है कि इस मंत्र का जाप ब्रह्मांड में कहीं भी किया जा सकता है, मन और मंत्र की शुद्धता अनिवार्य है। महाशिवरात्रि पर अगर आप मंदिर नहीं जा पा रहे हैं या विधिवत पूजन नहीं कर पा रहे हैं तो मात्र इस मंत्र का पूर्ण एकाग्रता से पाठ करने से मनचाहे वरदान की प्राप्ति होती है, साथ ही जिस देश में आप निवास कर रहे हैं वहां की परिस्थिति भी आपके अनुकूल होती है।
संपूर्ण महामृत्युंजय मंत्र
- ॐ ह्रौं जूं सः। ॐ भूः भुवः स्वः। ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्। उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात्। स्वः भुवः भूः ॐ। सः जूं ह्रौं ॐ ॥
मंत्र जप की सरलतम विधि
* स्नान करते समय शरीर पर लोटे से पानी डालते वक्त इस मंत्र का जप करने से स्वास्थ्य-लाभ होता है।
* दूध में निहारते हुए इस मंत्र का जप किया जाए और फिर वह दूध पी लिया जाए तो यौवन की सुरक्षा में भी सहायता मिलती है।
* मंत्र को पानी भरे पात्र में देखते हुए जपे और तुरंत पानी को पी लिया जाए तो पानी अभिमंत्रित हो जाता है। यह पानी हर रोग में प्रभावी होता है। यह ध्यान रखें कि इस तरह पानी को मंत्रित करने का काम स्वस्थ व्यक्ति ही करें। दमा रोगी या अन्य किसी बीमारी से ग्रस्त व्यक्ति नहीं। बीमार व्यक्ति को पानी पीने के लिए दे सकते हैं।
इस मंत्र का जप करने से बहुत-सी बाधाएं दूर होती हैं, अतः इस मंत्र का सदैव श्रद्धानुसार जप करना चाहिए।