शिवजी की भोली माया
आसानी से प्रसन्न हो जाते है भोले शंकर
महाशिवरात्रि की रात भगवान शिव और पार्वती के मंगल की रात है। इसी दिन यानी फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी को कभी शिव-पार्वती का विवाह हुआ था।
भक्तगण इस दिन उन्हें बेलपत्र, धतूरे के फूल, बेर, गन्ने की गंडेरिया, भांग की गोली वगैरह का प्रसाद चढ़ाकर शिव को प्रसन्न करने का प्रयत्न करते हैं।
एक किस्सा ऐसा भी है कि फाल्गुन शुक्ल द्वादशी को देव-असुर जब समुद्र मंथन कर रहे थे, तब निकले हुए विष को शिवजी ने पी लिया था और बेहोश हो गए थे। उनके ठीक हो जाने के लिए सारे देवताओं ने उपवास रख रातभर जागरण किया था। उसी की याद में शिवरात्रि को इस तरह का व्रत रखने का चलन शुरू हो गया।
शंकरजी का कहना है कि उस तिथि पर स्नान, पुष्प, पूजा से अधिक उपवास से खुश होते हैं। शंकरजी का क्या कहना। वे तो भोले शंकर हैं। कोई अनजाने में भी थोड़ा कुछ कर दे तो प्रसन्न हो जाते हैं।
एक पौराणिक कहानी के अनुसार