बहुत कम लोग जानते हैं कि भाद्रपक्ष की शुक्ल अष्टमी (राधा अष्टमी) से लेकर श्राद्ध की अष्टमी तक महालक्ष्मी के विशेष आशीष झरते-बरसते हैं।
पितृ पक्ष की अष्टमी के दिन किसी भी ब्राह्मण सुहागन स्त्री को कलश, इत्र, जरकन, आटा, शक्कर और घी भेंट करें। इसके अलावा किसी कुंवारी कन्या को नारियल, मिश्री, मखाने भेंट करना उचित रहेगा।
ऐसा करने से महालक्ष्मी अवश्य प्रसन्न होंगी। इसके अलावा ये सभी सामग्रियां आप चाहें तो अपनी बेटी को भी दे सकते हैं।
अगर आप भी चाहते हैं धन की बरखा में सुखद स्नान तो गजलक्ष्मी व्रत है अंतिम अवसर। यह विशेष संयोग अत्यंत शुभदायक है।