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श्राद्ध की पंचमी को कुंवारा पंचमी क्यों कहते हैं?

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, बुधवार, 14 सितम्बर 2022 (12:18 IST)
पितृ पक्ष के 16 श्राद्ध में 16 दिनों तक मृतक तिथि अनुसार श्राद्ध मनाया जाता है। श्राद्ध में तर्पण, पिंडदान, पंचबलि कर्म और ब्रह्मण भोज करने की परंपरा है। कुछ लोग 14 सितंबर और कुछ 15 सितंबर को पंचमी का श्राद्ध मनाएंगे। पंचमी के श्राद्ध को भरणी श्राद्ध भी रहता है और इसे कुंवारा पंचमी भी कहते हैं। आओ जानते हैं कि इस श्राद्ध का क्या है महत्व।
 
पितृ पक्ष पंचमी तिथि श्राद्ध 2022 | Pitru Paksha Panchami Tithi Shraddh
 
पितृ पक्ष पंचमी तिथि | Pitru Paksha Panchami Tithi : 14 सितम्बर 2022 को सुबह 10:25 बजे से लेकर अगले दिन 15 सितम्बर 2022 सुबह 11:00 तक। कुतुप काल सुबह 11.58 से दोपहर 12.47 तक।
 
पंचमी के श्राद्ध की विशेषता | Speciality of Panchami shradh 2022 date and time : जिस किसी भी जातक की मृत्यु कृष्ण या शुक्ल पक्ष की पंचमी को हुई है उसका श्राद्ध इस तिथि को करते हैं। पंचमी का श्राद्ध उनके लिए भी किया जाता है जिनकी मृत्यु गत वर्ष ही हुई हो। पंचमी का श्राद्ध कुतुप काल, रोहिणी काल या मध्यान्ह काल में करें।
 
क्यों कहते हैं कुंवारा पंचमी | Kyo kahate he kunwara panchami : जिनकी मृत्यु अविवाहित स्थिति में हुई है उनका पंचमी को श्राद्ध करते हैं। इसीलिए इसे कुंवारा पंचमी भी कहते हैं।
 
पंचमी के दिन काले तिल, वस्त्र, अन्न, गुड़ घी, जूते, छाता, आदि यथाशक्ति दान करें। श्राद्ध में मिर्च, मांसाहार, बैंगन, प्याज, लहसुन, बासी भोजन, सफेद तील, मूली, लौकी, काला नमक, सत्तू, जीरा, मसूर दाल, सरसों साग, चना वर्जित है।
 
भरणी श्राद्ध 2022 | Bharani shraddha 2022 : जब‍ किसी तिथि विशेष को अपराह्न काल के दौरान भरणी नक्षत्र होता है तब इसे भरणी श्राद्ध कहते हैं। पंचमी के दिन भरणी नक्षत्र रहेगा तब भरणी श्राद्ध का महत्व रहेगा। मृत्यु के प्रथम वर्ष के बाद भरणी श्राद्ध अवश्य करना चाहिए। जो लोग जीवन भर कोई भी तीर्थ यात्रा नहीं कर पाते, उनके लिए मातृगया, पितृगया, पुष्कर तीर्थ और बद्रीकेदार आदि तीर्थों पर भरणी श्राद्ध किया जाता हैं।

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