श्राद्ध पक्ष के अंतिम अर्थात अर्थात 6 अक्टूबर को सर्वपितृ अमावस्या है। सर्वपितृ अमावस्या पर गजछाया योग, सर्वार्थसिद्धि योग और ब्रह्म योग रहेगा। इस दिन शुभ मंत्रों के साथ श्राद्ध में तर्पण और पिंडदान करने से 12 वर्षों तक के लिए पितरों की क्षुधा शांत हो जाएगी और वे आपको ढेर सारी आशीर्वाद देकर आपने जीवन में खुशियां भर देंगे। आओ जानते हैं कि सर्वपितृ अमावस्या के सबसे सरल मंत्र और उपाय।
आचमन मंत्र : ॐ केशवाय नमः, ॐ नारायणाय नमः, ॐ माधवाय नमः – इन तीनों मंत्रो को पढ़कर प्रत्येक मंत्र से एक बार, कुल तीन बार जल से आचमन करें। ॐ गोविन्दाय नमः बोलते हुए हाथ धो लें।
पितृ गायत्री मंत्र :
- ॐ पितृगणाय विद्महे जगत धारिणी धीमहि तन्नो पितृो प्रचोदयात्।
- ॐ आद्य-भूताय विद्महे सर्व-सेव्याय धीमहि। शिव-शक्ति-स्वरूपेण पितृ-देव प्रचोदयात्।
- ओम् देवताभ्य: पितृभ्यश्च महायोगिभ्य एव च। नम: स्वाहायै स्वधायै नित्यमेव नमो नम:।
सबसे सरल प्रयोज्य मंत्र : इन मंत्रों का प्रयोग कर पितरों को प्रसन्न किया जा सकता है।
1. ॐ कुलदेवतायै नम:- 21 बार
2. ॐ कुलदैव्यै नम:- 21 बार
3. ॐ नागदेवतायै नम:- 21 बार
4. ॐ पितृ देवतायै नम:- 108 बार
5. ॐ पितृ गणाय विद्महे जगतधारिणे धीमहि तन्नो पित्रो प्रचोदयात्।- 1 लाख बार।
सर्वपितृ अमावस्या के उपाय:
1. गीता का पाठ करें या उपरोक्त मंत्र जपें।
2. पंचबलि अर्थात 1.गोबलि, 2.श्वानबलि, 3.काकबलि, पिपलिकादि बलि और देवादिबलि कर्म जरूर करें।
3. 16 ब्राह्मणों को भोजन कराएं और उन्हें दक्षिणा दें। यह नहीं कर सकते हो तो जमाई, भांजा, नाती और गरीबों को भोजन कराएं।
4. पीपल, बरगद और बेल के वृक्ष में जल, दूध आदि अर्पित करके उनकी पूजा करें। सर्वपितृ अमावस्या पर पीपल की सेवा और पूजा करने से पितृ प्रसन्न होते हैं। स्टील के लोटे में, दूध, पानी, काले तिल, शहद और जौ मिला लें और पीपल की जड़ में अर्पित कर दें।
5. उचित रीति से विधिवत रूप से तर्पण और पिंडदान करें।
6. दस प्रकार के दान दें- जूते-चप्पल, वस्त्र, छाता, काला तिल, घी, गुड़, धान्य, नमक, चांदी-स्वर्ण और गौ-भूमि। यदि ये नहीं कर सकते हो तो आमान्न दान देते हैं। आमान्न दान अर्थात अन्न, घी, गुड़, नमक आदि भोजन में प्रयुक्त होने वाली वस्तुएं इच्छानुसार मात्रा में दी जाती हैं।