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श्राद्ध पक्ष में करेंगे ये 7 गलतियां तो पितृ हो जाएंगे नाराज

हमें फॉलो करें श्राद्ध पक्ष में करेंगे ये 7 गलतियां तो पितृ हो जाएंगे नाराज
, शनिवार, 10 सितम्बर 2022 (13:17 IST)
पितृ पक्ष में श्राद्ध कर्म किया जाता है। श्राद्ध कर्म में पिंडदान, तर्पण, दान, ब्राह्मण भोजन और पंचबलि कर्म किया जाता है। श्राद्ध पक्ष पितरों को प्रसन्न करने और उनकी मुक्ति के लिए होता है। इस पक्ष में पितृदोष से मुक्ति पायी जा सकती है। यदि आप श्राद्ध के 16 दिनों में भूलकर भी 7 में से कोई भी एक गलती करते हैं तो आपको नुकसान उठाना पड़ेगा।
 
 
श्राद्ध में ये 7 गलतियां न करें 
1. गृह कलह : श्राद्ध में गृह कलह, स्त्रियों का अपमान करना, संतान को कष्ट देने से पितृ नाराज होकर चले जाते हैं।
 
2. श्राद्ध का अन्न : श्राद्ध में मिर्च वाला, मांसाहार, बैंगन, प्याज, लहसुन, बासी भोजन, सफेद तील, मूली, लौकी, काला नमक, सत्तू, जीरा, मसूर की दाल, सरसो का साग, चना आदि वर्जित माना गया है। कोई यदि इनका उपयोग करना है तो पितर नाराज हो जाते हैं। इससे सेहत पर भी प्रतिकूल असर पड़ता है।
 
3. नास्तिकता और साधुओं का अपमान : जो व्यक्ति नास्तिक है और धर्म एवं साधुओं का अपमान करना है, मजाक उड़ाता है उनके पितृ नाराज हो जाते हैं। यदि आप नास्तिक हैं या श्राद्ध कर्म को नहीं मानते हैं तो अपने तक ही सीमित रहें, किसी का अपमान न करें।
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4. श्राद्ध करने के नियम : पिता का श्राद्ध पुत्र करता है। पुत्र के न होने पर, पत्नी को श्राद्ध करना चाहिए। पत्नी न होने पर, सगा भाई श्राद्ध कर सकता है। एक से ज्यादा पुत्र होने पर, बड़े पुत्र को श्राद्ध करना चाहिए। उक्त नियम से श्राद्ध न करने पर पितृ नाराज हो जाते हैं। कई घरों में बड़ा पुत्र है फिर भी छोटा पुत्र श्राद्ध करता है। छोटा पुत्र यदि अलग रह रहा है तब भी सभी को एक जगह एकत्रित होकर श्राद्ध करना चाहिए।
 
5. श्राद्ध का समय : श्राद्ध के लिए सबसे श्रेष्ठ समय दोहपहर का कुतुप काल और रोहिणी काल होता है। कुतप काल में किए गए दान का अक्षय फल मिलता है। प्रात: काल और रात्रि में श्राद्ध करने से पितृ नाराज हो जाते हैं। कभी भी रात में श्राद्ध न करें, क्योंकि रात्रि राक्षसी का समय है। दोनों संध्याओं के समय भी श्राद्धकर्म नहीं किया जाता।
 
6. नशा करना, मांसाहार : श्राद्ध के दौरान शराब पीना या मांसाहार भोजन करना वर्जित माना गया है। झूठ बोलना और ब्याज का धंधा करने से भी पितृ नाराज हो जाता हैं। यह कर्म भूलकर भी न करें।
 
7. मांगलिक कार्य करना वर्जित : श्राद्ध के दौरान मांगलिक कार्य करना नहीं किए जाते हैं। जैसे विवाह, सगाई, गृहप्रवेश, शुभ शुभारंभ आदि।

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