Shradh paksha 2023: 29 सितंबर 2023 शुक्रवार से पितृ श्राद्ध पक्ष प्रारंभ हो गए हैं। श्राद्ध पक्ष में पितरों के निमित्त तर्पण और पिंडदान करने का खास महत्व रहता है, परंतु यदि आप यह नहीं कर पा रहे हैं तो पंचबलि कर्म जरूर करें क्योंकि इससे बड़ा श्राद्ध में को पुण्य नहीं है। इसे करने से सभी देवी देवता और पितर प्रसन्न होकर आशीर्वाद देते हैं।
क्या है पंचबलि कर्म : श्राद्ध पक्ष में ब्रह्मण भोज सहित 1. गाय, 2. कुत्ते, 3. कौवे, 4. चींटीं और 5. देवों के लिए विशेष स्थान पर भोजन रखा जाता है। इसे ही पंचबलि कर्म कहते हैं। पंचबलि में पांच स्थानों पर भोजन रखा जाता है।
प्रथम गौ बलि:- घर से पश्चिम दिशा में गाय को महुआ या पलाश के पत्तों पर गाय को भोजन कराया जाता है तथा गाय को 'गौभ्यो नम:' कहकर प्रणाम किया जाता है। गौ देशी होना चाहिए।
द्वितीय श्वान बलि:- पत्ते पर भोजन रखकर कुत्ते को भोजन कराया जाता है।
तृतीय काक बलि:- कौओं को छत पर या भूमि पर रखकर उनको बुलाया जाता है जिससे वे भोजन करें।
चतुर्थ देवादि बलि:- पत्तों पर देवताओं को भोजन घर में पत्ते या थाली पर दिया जाता है। बाद में वह भोजन उठाकर घर से बाहर रख दिया जाता है जिसे कोई पक्षी खा लें।
पंचम पिपलिकादि बलि:- चींटी, कीड़े-मकौड़ों आदि के लिए जहां उनके बिल हों, वहां चूरा कर भोजन डाला जाता है।
श्राद्ध करने का आदर्श समय मध्याह्न 11.30 से 12.30 तक है जिसे 'कुतप बेला' कहा जाता है। इसका बड़ा महत्व है।