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।। शिव रूद्राष्टकम ।।

शिव आराधना का श्रेष्ठ पाठ

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WD Feature Desk

कोई भी साधक ज्यादा कुछ न करके यदि भगवान शिव का ध्यान करते हुए रामचरित मानस से लिया गया इस लयात्मक स्तोत्र का श्रद्धापूर्वक पाठ करें, तो वह शिवजी का कृपापात्र हो जाता है। यह स्तोत्र बहुत थोड़े समय में कण्ठस्थ हो जाता है। श्रावण मास में यह रुद्राष्टक बहुत प्रसिद्ध तथा त्वरित फलदायी है।
 
'ॐ नमः शिवायः'
 
नमामीशमीशान निर्वाण रूपं, विभुं व्यापकं ब्रह्म वेदः स्वरूपम्‌।
निजं निर्गुणं निर्विकल्पं निरीहं, चिदाकाश माकाशवासं भजेऽहम्‌॥-1
 
निराकांर मोंकार मूलं तुरीयं, गिराज्ञान गोतीतमीशं गिरीशम्‌।
करालं महाकाल कालं कृपालं, गुणागार संसार पारं नतोऽहम्‌॥-2
 
तुषाराद्रि संकाश गौरं गभीरं, मनोभूत कोटि प्रभा श्री शरीरम्‌।
स्फुरन्मौलि कल्लोलिनी चारू गंगा, लसद्भाल बालेन्दु कण्ठे भुजंगा॥-3
 
चलत्कुण्डलं शुभ्र सुनेत्रं विशालं, प्रसन्नाननं नीलकण्ठं दयालम्‌।
मृगाधीश चर्माम्बरं मुण्डमालं, प्रियं शंकरं सर्वनाथं भजामि॥-4
 
प्रचण्डं प्रकष्टं प्रगल्भं परेशं, अखण्डं अजं भानु कोटि प्रकाशम्‌।
त्रयशूल निर्मूलनं शूल पाणिं, भजेऽहं भवानीपतिं भाव गम्यम्‌॥-5
 
कलातीत कल्याण कल्पान्तकारी, सदा सच्चिदान्द दाता पुरारी।
चिदानन्द सन्दोह मोहापहारी, प्रसीद प्रसीद प्रभो मन्मथारी॥-6
 
न यावद् उमानाथ पादारविन्दं, भजन्तीह लोके परे वा नराणाम्‌।
न तावद् सुखं शांति सन्ताप नाशं, प्रसीद प्रभो सर्वं भूताधि वासं॥-7
 
न जानामि योगं जपं नैव पूजा, न तोऽहम्‌ सदा सर्वदा शम्भू तुभ्यम्‌।
जरा जन्म दुःखौध तातप्यमानं, प्रभोपाहि आपन्नामामीश शम्भो॥-8
 
रुद्राष्टकम् इदं प्रोक्तं विप्रेणहरोतषये
ए पठन्त‍ि नरा भक्तयां तेषां शंभो प्रसिदति।।

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