सप्ताह के व्रतों में गुरुवार श्रेष्ठ, पक्ष के व्रतों में एकादशी और प्रदोष ही श्रेष्ठ, वर्ष के व्रतों में चतुर्मास श्रेष्ठ और चतुर्मास में सबसे श्रेष्ठ श्रावण का महीना है। श्रावण माह से प्रेरित होकर ही सभी धर्मों में विशेष माह में व्रत रखने के प्रचलन की शुरुआत हुई। पूरे माह की व्रत रखने का खास महत्व माना गया है। यदि आप श्रावण मास में व्रत नहीं रखते हैं तो इसका आपको 5 तरह के नुकसान उठाने पड़ सकते हैं। आओ जानते हैं कि वे कौनसे नुकसान है।
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1. व्रत का नियम: हिन्दू धर्म में श्रावण मास को पवित्र और व्रत रखने वाला माह माना गया है। पूरे श्रावण माह में निराहारी या फलाहारी रहने की हिदायत दी गई है। इस माह में शास्त्र अनुसार ही व्रतों का पालन करना चाहिए। मन से या मनमानों व्रतों से दूर रहना चाहिए।
2. ये नियम पालें : इस दौरान फर्श पर सोना और सूर्योदय से पहले उठना बहुत शुभ माना जाता है। उठने के बाद अच्छे से स्नान करना और अधिकतर समय मौन रहना चाहिए। वैसे साधुओं के नियम कड़े होते हैं। दिन में केवल एक ही बार भोजन करना चाहिए।
3. वर्जित कार्य : उक्त 4 माह में विवाह संस्कार, जातकर्म संस्कार, गृह प्रवेश आदि सभी मंगल कार्य निषेध माने गए हैं।
4. भोजन: इस व्रत में दूध, शकर, दही, तेल, बैंगन, पत्तेदार सब्जियां, नमकीन या मसालेदार भोजन, मिठाई, सुपारी, मांस और मदिरा का सेवन नहीं किया जाता। श्रावण में पत्तेदार सब्जियां यथा पालक, साग इत्यादि, भाद्रपद में दही, आश्विन में दूध, कार्तिक में प्याज, लहसुन और उड़द की दाल आदि का त्याग कर दिया जाता है।
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व्रत नहीं रखने के 5 नुकसान:-
1. श्रावण माह में शरीर में बैक्टिरिया की संख्या बढ़ने लगती है। इससे पाचन तंत्र भी गड़बड़ा जाता है। व्रत रखकर इससे बचा जा सकता है। नहीं रखने से शरीर रोगग्रस्त हो सकता है।
2. श्रावण माह में यदि ब्रह्मचर्य व्रत का पालन नहीं करते हैं तो शरीरिक शक्ति घटती है। इसी के साथ ही आयु भी कम होने लगती है।
3. उपरोक्त बताए अन्य ग्रहण करते हैं तो किसी भी प्रकार के गंभीर रोग की चपेट में आ सकते हैं।
4. श्रावण माह में व्रत नहीं रखने से मानसिक स्थिति भी कमजोर होने लगती है। शरीर में आलस्य की अधिकता होने लगती है।
5. श्रावण माह में व्रतधारियों को शिवजी का आशीर्वाद मिलता है। इससे जीवन के सभी संकट दूर हो जाते हैं। व्रत नहीं रखने से आप उनके आशीर्वाद से वंचित रह जाते हैं।