भगवान शिव को वैसे तो किसी अस्त्र या शस्त्र की आवश्यकता नहीं है क्योंकि उनका तीसरा नेत्र ही एक अस्त्र के समान भी कार्य करता है, परंतु फिर भी वे त्रिशूल रखते हैं। यह बहुत ही अचूक और घातक अस्त्र है। आओ जानते हैं त्रिशूल के संबंध में 7 खास रहस्य।
शिव त्रिशूल :
1. त्रिशूल 3 प्रकार के कष्टों दैनिक, दैविक, भौतिक के विनाश का सूचक भी है।
2. इसमें 3 तरह की शक्तियां हैं- सत, रज और तम।
3. त्रिशूल के 3 शूल सृष्टि के क्रमशः उदय, संरक्षण और लयीभूत होने का प्रतिनिधित्व करते भी हैं।
4. शैव मतानुसार शिव इन तीनों भूमिकाओं के अधिपति हैं। यह शैव सिद्धांत के पशुपति, पशु एवं पाश का प्रतिनिधित्व करता है।
4. माना जाता है कि यह महाकालेश्वर के 3 कालों (वर्तमान, भूत, भविष्य) का प्रतीक भी है।
6. इसके अलावा यह स्वपिंड, ब्रह्मांड और शक्ति का परम पद से एकत्व स्थापित होने का प्रतीक है।
7. यह वाम भाग में स्थिर इड़ा, दक्षिण भाग में स्थित पिंगला तथा मध्य देश में स्थित सुषुम्ना नाड़ियों का भी प्रतीक है।