श्रावण माह की शिवरात्रि का बड़ा महत्व है। 22 अगस्त रविवार रक्षा बंधन के दिन श्रावण मास समाप्त हो जाएगा और भाद्रपद माह की शुरुआत हो जाएगी। सावन माह की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को सावन शिवरात्रि व्रत रखा जाएगा। इस बार अंग्रेजी कलैंडर के अनुसार सावन शिवरात्रि व्रत 6 अगस्त 2021, शुक्रवार को है। आओ जानते हैं कि क्यों हैं यह खास।
1. हर माह की चतुर्दशी को मासिक शिवरात्रि आती है, परंतु श्रावण माह की शिवरात्रि महत्वपूर्ण होती है क्योंकि श्रावण माह शिवजी का माह है। लेकिन फाल्गुन मास की कृष्ण चतुर्दशी पर पड़ने वाली शिवरात्रि को महाशिवरात्रि कहा जाता है, जिसे बड़े ही हषोर्ल्लास और भक्ति के साथ मनाया जाता है।
2. शिवरात्रि बोधोत्सव दिवस भी कहते हैं। अर्थात ऐसा महोत्सव, जिसमें अपना बोध होता है कि हम भी शिव का अंश हैं, उनके संरक्षण में हैं।
3. इस दिन भगवान शंकर की शादी भी हुई थी। इसलिए रात में शंकर की बारात निकाली जाती है। रात में पूजा कर फलाहार किया जाता है। अगले दिन सवेरे जौ, तिल, खीर और बेल पत्र का हवन करके व्रत समाप्त किया जाता है।
4. ऐसा कहा जाता है कि मासिक शिवरात्रि व्रत रखने और भगवान शिव की सच्चे मन से पूजन-अर्चन करने वाले भक्तों की सभी मनोमनाएं पूरी होती हैं।
5. जो कन्याएं मनोवांछित वर पाना चाहती हैं, इस व्रत को करने के बाद उन्हें उनकी इच्छा अनुसार वर मिलता है। विवाह में आ रही रुकावटें भी दूर होती हैं।
6. ऐसा माना जाता है कि सावन की शिवरात्रि मनुष्य के सभी पाप को नष्ट कर देती है. ऐसे में सावन की शिवरात्रि का बड़ा ही महत्व है क्योंकि इसमें व्रत रखने वालों के पाप का नाश होता है।
7. चतुर्दशी तिथि 6 अगस्त 2021, शुक्रवार को शाम 6 बजकर 28 मिनट से शुरू होगी और 7 अगस्त 2021 की शाम 7 बजकर 11 मिनट तक रहेगी।
8. अभिजीत मुहूर्त दोपहर 12 बजे से दोपहर 12 बजकर 53:36 तक रहेगा।
9. शिवरात्रि व्रत पारण मुहूर्त- 7 अगस्त की सुबह 5 बजकर 46 मिनट से दोपहर 3 बजकर 45 मिनट तक रहेगा।
10. चतुर्दशी (चौदस) के देवता हैं शंकर। इस तिथि में भगवान शंकर की पूजा करने से मनुष्य समस्त ऐश्वर्यों को प्राप्त कर बहुत से पुत्रों एवं प्रभूत धन से संपन्न हो जाता है।