किसी भी व्यक्ति के जीवन में रोग, कष्ट और विपत्ति के लिए कुछ खास ग्रह-नक्षत्र की शुभ-अशुभ स्थिति जिम्मेदार रहती है। ग्रहों की शांति के लिए यदि कुछ उपाय किए जाएं तो जातक किसी भी प्रकार के गंभीर रोग का भी शमन कर सकता है।
शिव पुराण में श्रावण के शुभ समय के लिए कुछ अचूक उपाय बताए गए हैं। प्रत्येक जातक को अपनी जन्म कुंडली में ग्रहों की शुभ-अशुभ स्थिति के अनुसार शिवलिंग का पूजन करना चाहिए। ग्रहों से संबंधित कष्टों और रोगों के लिए निम्न उपाय अपनाएं।
जानिए ग्रह के अनुसार किस रोग के लिए क्या उपाय कर सकते हैं।
सूर्य से संबंधित कष्ट सिरदर्द, नेत्र रोग, अस्थि रोग आदि हों तो श्रावण मास में शिवलिंग का पूजन आक वृक्ष के पुष्पों, पत्तों एवं बिल्वपत्रों से करने से इन रोगों में आराम मिलता है।
चंद्रमा से संबंधित बीमारी या कष्ट जैसे खांसी, जुकाम, नजला, मानसिक परेशानी, रक्तचाप की समस्या आदि हों तो शिवलिंग का रुद्री पाठ करते हुए काले तिल मिश्रित दूध धार से रुद्राभिषेक करने से आराम मिलता है।
मंगल से संबंधित बीमारी जैसे रक्तदोष हो तो गिलोय, जड़ी-बूटी के रस आदि से अभिषेक करने से आराम मिलता है।
बुध से संबंधित बीमारी जैसे चर्म रोग, गुर्दे का रोग आदि हों तो विदारा या जड़ी-बूटी के रस से अभिषेक करने से आराम मिलता है।
बृहस्पति से संबंधित बीमारी जैसे चर्बी, आंतों, लिवर की बीमारी आदि हों तो शिवलिंग पर हल्दी मिश्रित दूध चढ़ाने से आराम मिलता है।
शुक्र से संबंधित बीमारी, वीर्य की कमी,शारीरिक या शक्ति में कमी हो तो पंचामृत, शहद और घृत से शिवलिंग का अभिषेक करने से आराम मिलता है।
शनि से संबंधित रोग जैसे मांसपेशियों का दर्द, जोड़ों का दर्द, वात रोग आदि हों तो गन्ने के रस और छाछ से शिवलिंग का अभिषेक करने से आराम मिलता है।
राहु-केतु से संबंधित बीमारी जैसे सिर चकराना, मानसिक परेशानी, अधरंग आदि के लिए उपर्युक्त सभी वस्तुओं के अतिरिक्त मृत संजीवनी का सवा लाख बार जप कराकर भांग-धतूरे से शिवलिंग का अभिषेक करने से शांति मिलती है।