श्रावण माह में कुछ खास दिन होते हैं जैसे सावन सोमवार, हरियाली तीज, श्रावण मास की अमावस्या आदि। उसी तरह श्रावण माह की पूर्णिमा का भी खास महत्व है। इस दिन प्रमुख रूप से 6 कार्य किए जाते हैं।
1. रक्षा बंधन का त्योहार : श्रावण माह की पूर्णिमा के दिन सबसे खास पर्व रक्षा बंधन का होता है। इस दिन बहन अपने भाई को रक्षा सूत्र बांधते हैं।
2. जनेऊ बदली जाती है : इस दिन उत्तर भारत में जनेऊ बदलने का कार्य भी होता है, जिसे श्रावणी उपाकर्म कहते हैं। दक्षिण भारत में इसे अबित्तम कहा जाता है। श्रावणी उपाकर्म में यज्ञोपवीत पूजन और उपनयन संस्कार करने का विधान है।
3. तर्पण कर्म : इसे श्रावणी या ऋषि तर्पण भी कहते हैं। इस दिन पितरों के निमित्त तर्पण अर्पण भी किया जाता है। पितरों के तर्पण से उन्हें भी तृप्ति होती है। ग्रंथों में रक्षा बंधन को पुण्य प्रदायक, पाप नाशक और विष तारक या विष नाशक भी माना जाता है जो कि खराब कर्मों का नाश करता है। श्रावणी उपाकर्म में पाप-निवारण हेतु पातकों, उपपातकों और महापातकों से बचने, परद्रव्य अपहरण न करने, परनिंदा न करने, आहार-विहार का ध्यान रखने, हिंसा न करने, इंद्रियों का संयम करने एवं सदाचरण करने की प्रतिज्ञा ली जाती है।
4. स्नान और दान : इस पवित्र दिन नदी में स्नान भी किया जाता है। श्रावण पूर्णिमा पर परंपरागत ढंग से तीर्थ अवगाहन, दशस्नान, हेमाद्रि संकल्प एवं तर्पण आदि कर्म किए जाते हैं। श्रावण पूर्णिमा में दान करने का भी महत्व है। इस दिन दान करने से पुण्य फल की प्राप्ति होती है।
5. व्रत : इस दिन व्रत करने का भी बहुत महत्व रहता है। उत्तर और मध्य भारत में महिलाएं उपवास रखती हैं और अपने बेटे की लंबी उम्र की कामना करती हैं। इसीलिए इसे उत्तर भारत में कजरी पूनम भी कहते हैं।
6. इनकी की जाता है पूजा : इस दिन शिव, पार्वती, श्रीकृष्ण, हनुमानजी, चंद्रमा, विष्णुजी और माता लक्षमीजी की पूजा की जाती है।