Sawan posters

Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia

क्या है नंदी मुद्रा जिसमें महिलाओं को करनी चाहिए शिवलिंग पूजा

Advertiesment
हमें फॉलो करें what is nandi mudra

WD Feature Desk

, मंगलवार, 15 जुलाई 2025 (18:10 IST)
what is nandi mudra: श्रावण मास में भगवान शिव की पूजा का विशेष महत्व होता है, और यही वो समय होता है जब लाखों श्रद्धालु जल अर्पण, व्रत और मंत्रों से भोलेनाथ को प्रसन्न करने में जुटे रहते हैं। खासतौर पर सोमवार के दिन मंदिरों में शिवलिंग के सामने श्रद्धा से झुके लोगों की कतारें नजर आती हैं। लेकिन एक चीज जो अक्सर देखने को मिलती है, वह है महिलाओं का शिवलिंग के सामने 'नंदी मुद्रा' में बैठकर पूजा करना। 
 
अब सवाल उठता है कि ये नंदी मुद्रा क्या है? क्या इसे करने का कोई नियम है? क्या ये केवल महिलाएं ही करती हैं? और सबसे महत्वपूर्ण, क्या इससे वाकई मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं? चलिए, इन सभी सवालों का जवाब एक-एक करके जानते हैं, लेकिन आधुनिक सोच और भावनात्मक जुड़ाव के साथ।
 
नंदी मुद्रा क्या है?
नंदी, भगवान शिव का वाहन माने जाते हैं, जिन्हें नंदी बैल के रूप में जाना जाता है। शिव मंदिरों में अक्सर शिवलिंग से ठीक सामने बैठा हुआ एक शांत और सधा हुआ नंदी दिखाई देता है, जो प्रतीक है भक्ति, समर्पण और मौन ध्यान का। जब कोई श्रद्धालु मंदिर में नंदी की मुद्रा में बैठकर, यानी नंदी की तरह शिवलिंग की ओर मुंह करके, शांत मुद्रा में ध्यानपूर्वक प्रार्थना करता है, तो उसे "नंदी मुद्रा" कहा जाता है। यह कोई आसन नहीं, बल्कि एक प्रतीकात्मक स्थिति है जो समर्पण का भाव प्रकट करती है।
 
महिलाएं नंदी मुद्रा में पूजा क्यों करती हैं?
ऐसा माना जाता है कि महिलाएं अगर नंदी के कानों में अपनी मनोकामनाएं कहें और फिर नंदी मुद्रा में बैठकर शिव का ध्यान करें तो भगवान शिव उन इच्छाओं को जरूर पूरा करते हैं। नंदी को भगवान शिव का परम भक्त माना जाता है, और वह उनके सबसे प्रिय सेवक भी हैं। इसलिए यह विश्वास है कि नंदी के माध्यम से कही गई बात सीधा भगवान शिव तक पहुंच जाती है।
 
खासकर अविवाहित लड़कियां, संतान प्राप्ति की इच्छुक महिलाएं या कोई भी महिला जो शिव जी से विशेष आशीर्वाद चाहती है, वह इस मुद्रा में बैठकर शिवलिंग की ओर देखकर प्रार्थना करती है। इस मुद्रा में बैठना एक तरह से नारी शक्ति का शिव शक्ति के सामने आत्म समर्पण माना जाता है।
 
कैसे करें नंदी मुद्रा में शिवलिंग की पूजा? (प्रक्रिया)
  • मंदिर में प्रवेश के बाद सीधे शिवलिंग के सामने बैठे नंदी की मूर्ति के पास जाएं।
  • नंदी के कान में अपनी सच्ची और पवित्र मनोकामना बोलें। ये बातें आप केवल मन में भी कह सकती हैं।
  • फिर उसी दिशा में यानी शिवलिंग की ओर, नंदी की तरह शांत मुद्रा में बैठें।
  • आंखें बंद करके, कुछ समय तक भगवान शिव का ध्यान करें या "ॐ नमः शिवाय" मंत्र जपें।
  • इसमें पहली और आखिरी ऊंगली को सीधा रखा जाता है और बीच की दो उंगलियों को अंगूठे से जोड़ा जाता है। 
  • मान्यता है कि इस मुद्रा में किए पूजन से शिव भी प्रसन्न होते हैं और हर कामना पूर्ण करते हैं। 
  • अब फूल, बेलपत्र, जल या दूध आदि अर्पण करें।
  • इस पूरी प्रक्रिया के दौरान, भाव में सच्चाई, मन में श्रद्धा और शरीर में संयम होना सबसे महत्वपूर्ण है।
नंदी मुद्रा के लाभ क्या हैं?
  • मानसिक शांति: नंदी मुद्रा ध्यान की अवस्था में ले जाती है जिससे तनाव और चिंता कम होती है।
  • फोकस और क्लैरिटी: जब आप शिव की ओर शांत भाव से बैठते हैं, तो आपकी सोच स्पष्ट होती है।
  • सच्चे संकल्प: यह मुद्रा आपको आपके मन की सच्ची इच्छा से जोड़ती है, और उसे स्पष्ट करती है।
  • कनेक्ट विद डिवाइन: नंदी की तरह समर्पण भाव में बैठने से शिव के प्रति भक्ति और गहराई से जुड़ाव होता है।
क्या यह केवल महिलाओं के लिए ही है?
नहीं, नंदी मुद्रा सिर्फ महिलाओं तक सीमित नहीं है। पुरुष भी इस मुद्रा में बैठ सकते हैं और ऐसा कई श्रद्धालु करते भी हैं। लेकिन महिलाओं द्वारा यह मुद्रा विशेष रूप से इसलिए की जाती है क्योंकि उनकी भावनात्मक ऊर्जा बहुत प्रबल होती है और शिव से उनका आध्यात्मिक जुड़ाव भी विशेष माना गया है। विवाह, संतान, करियर, मानसिक शांति, स्वास्थ्य या किसी भी इच्छा की पूर्ति के लिए महिलाएं नंदी मुद्रा में बैठकर प्रार्थना करती हैं और यह एक आत्मिक संतोष देता है।
 

अस्वीकरण (Disclaimer) : सेहत, ब्यूटी केयर, आयुर्वेद, योग, धर्म, ज्योतिष, वास्तु, इतिहास, पुराण आदि विषयों पर वेबदुनिया में प्रकाशित/प्रसारित वीडियो, आलेख एवं समाचार जनरुचि को ध्यान में रखते हुए सिर्फ आपकी जानकारी के लिए हैं। इससे संबंधित सत्यता की पुष्टि वेबदुनिया नहीं करता है। किसी भी प्रयोग से पहले विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें। 

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

16 जुलाई 2025, बुधवार के शुभ मुहूर्त