Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia

Sawan somvar 2024 : सभी ज्योतिर्लिंगों और शिवलिंगों में सबसे महान शिवलिंग कौनसा है?

Advertiesment
हमें फॉलो करें shiv and shivling

WD Feature Desk

, शुक्रवार, 5 जुलाई 2024 (13:02 IST)
12 ज्योतिर्लिंग के नाम आपने सुने होंगे। इसके अलावा सैंकड़ों चमत्कारी और प्राचीन शिवलिंग देशभर में मौजूद हैं। सभी ज्योतिर्लिंग और शिवलिंग का अपना महत्व और महानता है परंतु शास्त्रों के अनुसार 4 ऐसे शिवलिंग हैं जिनकी अधिक महिमा है। उनमें से भी एक को सभी शिवलिंगों का राजा कहा जाता है। आओ जानते हैं कि वे कौनसे 2 शिवलिंग हैं।ALSO READ: शिवलिंग पर चढ़ाया प्रसाद क्यों नहीं खाना चाहिए? जानें महत्व और विधान
 
12 ज्योतिर्लिंग के नाम : सोमनाथ, मलिक्कार्जुन, महाकालेश्वर, ओंकारेश्वर, भीमाशंकर, विश्वनाथ, त्र्यंबकेश्वर, केदारनाथ (पशुपतिनाथ), वैद्यनाथ, नागेश्वर, रामेश्वरम् और घृष्णेश्वर।
 
चमत्कारी शिवलिंग : अमरनाथ बाबा, बिजली महादेव, स्व जलाभिषेक शिवलिंग, रंग बदलता शिवलिंग, सबसे बड़ा शिवलिंग भोजेश्वर महादेव, लक्षलिंग महादेव, मृतेश्वर शिवलिंग, स्तंभेश्वर महादेव, निष्कलंक शिवलिंग, तिलभांडेश्वर महादेव, शिव मंदिर रामनाथस्वामी, बिलावली महादेवल देवास आदि।
webdunia
mahakal shringar
1. महाकालेश्वर : पुराणों में धरती लोक पर इसी एक ज्योतिर्लिंग को सबसे खास माना गया है। तृतीय ज्योतिर्लिंग महाकाल या महाकालेश्वर के नाम से प्रसिद्ध है। यह स्थान मध्य प्रदेश के उज्जैन में है, जिसे प्राचीन साहित्य में अवन्तिका पुरी के नाम से भी जाना जाता है। यहां भगवान महाकालेश्वर का भव्य ज्योतिर्लिंग विद्यमान है।
 
आकाशे तारकेलिंगम्, पाताले हाटकेश्वरम्। 
मृत्युलोके च महाकालम्, त्रयलिंगम् नमोस्तुते।
अर्थ : आकाश में तारकलिंग, पाताल में हाटकेश्वरलिंग और मृत्युर्लोक में महाकाल शिवलिंग इन तीनों शिवलिंगों को नमस्कार।
 
अवंतिकाया विहितावतारम्, मुक्तिप्रदानाय च सज्जनानाम्।
अकालमृत्यो: परिरक्षणार्थम्, वंदे महाकाल महासुरेशम्।।
 
2. शिव मंदिर श्रीलिंगराज : इस शिवलिंग को सभी शिवलिंकों का राजा माना जाता है। श्रीलिंगराज मंदिर को ओडिशा के भुवनेश्वर शहर का सबसे पुराना मंदिर माना जाता है। श्रीलिंगराज मंदिर में आप कलिंग शैली की अद्भुत वास्तुकला देख सकते हैं। ऐसा माना जाता है कि श्रीलिंगराज मंदिर की स्थापना राजवंश के राजाओं द्वारा की गई थी। इस मंदिर का निर्माण 7वीं शताब्दी में राजा जाजति केशती द्वारा बनवाया माना जाता है। कहा जाता है कि यहां मां पार्वती ने लिट्टी और वसा नाम के दो राक्षसों का वध किया था, और लड़ाई के बाद जब उन्हें प्यास लगी तो भगवान शिव ने यहां पर एक कुएं का निर्माण कर सभी नदियों का आवाहन किया था।ALSO READ: श्रावण मास में शिव जी को प्रसन्न करने के लिए कौन से शिवलिंग की पूजा करना चाहिए?
ALSO READ: महाशिवरात्रि पर शिवलिंग पर भूलकर भी न चढ़ाएं ये 5 वस्तुएं

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

Sawan somvar 2024 : श्रावण सोमवार को क्या करें और क्या नहीं करें?