हिन्दू कैलेंडर अनुसार श्रावण में जिस तरह शिव मंदिरों में शिवजी की पूजा होती है और सभी और श्रावण की धूम रहती है उसी तरह श्रीकृष्ण मंदिर में भी धूम रहती है और संपूर्ण ब्रजमंडल (मथुरा, वृंदावन, गोकुल, बरसाना, गोवर्धन आदि) में श्रीकृष्ण के बालरूप की पूजा होती है और उनके लिए विशेष हिंडोला बनाया जाता है साथ ही घटा महोत्सव का आयोजन भी होता है। आओ जानते हैं इस संबंध में कुछ खास।
1. ब्रज मंडल में धूम : श्रीकृष्ण की नगरी मथुरा, गोकुल, बरसाना और वृंदावन में सावन उत्सव का आयोजन होता है। ब्रज मंहल के इस सावन उत्सव को कृष्ण जन्माअष्टमी तक विभिन्न तरीकों से मनाया जाता है। जैसे इन उत्सवों में हिंडोले में झूला, घटाएं, रासलीला और गौरांगलीला का आयोजन होता हैं।
2. हिंडोला : यहां श्रावण मास के कृष्णपक्ष से मंदिर में दो चांदी के और एक सोने का हिंडोला डाला जाता है। इन हिंडोलों में भगवान कृष्ण को झुलाया जाता है। इस माह में अधिकतर जगह पर श्रीकृष्ण के बाल रूप की पूजा की जाती है। इसमें हिंडोला सजाने और बालमुकुंद को झूला झूलाने की परंपरा है।
3. हरियाली तीज : ब्रज मंडल में खासकर वृंदावन में हरियाली तीज की धूम होती है। यहां के प्राचीन राधावल्लभ मंदिर में हरियाली तीज से रक्षाबंधन तक चांदी, केले, फूल व पत्ती आदि के हिंडोले डाले जाते हैं तथा पवित्रा एकादशी पर ठाकुरजी पवित्रा धारण करते हैं। हरियाली तीज से पंचमी तक ठाकुरजी स्वर्ण हिंडोले में और उसके बाद पूर्णिमा तक चांदी, जड़ाऊ, फूलपत्ती आदि के हिंडोले में झूलते हैं।
4. कृष्ण के साथ बलराम भी झूलते हैं : ब्रज मंडल के अन्य मंदिरों में जहां हिंडोले में कृष्ण झूलते हैं वहीं ब्रज में एक ऐसा मंदिर है, जहां पूरे श्रावण मास में हिंडोले में कृष्ण के साथ बलराम भी झूलते हैं। दाऊजी मंदिर बल्देव एवं गिरिराज मुखारबिन्द मंदिर जतीपुरा में हिंडोले में ठाकुरजी की प्रतिमा के प्रतिबिम्ब को झुलाया जाता है।
5. रासलीला : इस माह को प्रेम और नव जीवन का माह भी कहा जाता है। मोर के पांव में नृत्य बंध जाता है। संपूर्ण सृष्टि नृत्य करने लगती हैं। वसंत के बाद श्रीकृष्ण इसी माह में रास रचाते हैं। ब्रजमंडल में श्रावण मास में मनायी जाने वाली रासलीला कम आकर्षक नहीं होती है। वृन्दावन का प्रमुख आकर्षण विश्वप्रसिद्ध रासाचार्यो द्वारा रासलीला प्रस्तुत की जाती है। जिनमें कृष्ण लीलाओं का जीवन्त प्रस्तुतीकरण होता है।
6. घटा उत्सव : सावन मास में ब्रजमंडल में सावन उत्सव के अलावा घटा महोत्सव का भी आयोजन होता है जिसमें विभिन्न रंग की आकर्षक घटा में कान्हा की लीलाओं का प्रस्तुतीकरण होता है। मंदिरों की कालीघटा देखने के लिए लाखों लोग इन मंदिरों में आते हैं।