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साल 2025 के पहले सूर्य ग्रहण से मची तबाही और अब लगने वाला है दूसरा सूर्य ग्रहण

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WD Feature Desk

, गुरुवार, 19 जून 2025 (15:11 IST)
29 मार्च 2025 को वर्ष का पहला सूर्य ग्रहण देखा गया। इसी दिन शनि ने मीन राशि में गोचर भी किया और सूर्य ने भी इसी राशि में गोचर करके शनि से युति बनाई थी। यह दोनों ग्रह एक दूसरे के शत्रु ग्रह है। चैत्र कृष्ण अमावस्या का दिन था। इसके बाद सभी ने देखा कि किस तरह से देश और दुनिया में बदलाव हुए। युद्ध और भयानक हो गए। भारत और पाकिस्तान के बीच संघर्ष हुआ। पश्‍चिम के कई देशों में यह सूर्य ग्रहण दिखाई दिया लेकिन भारत में नहीं। अब वर्ष का दूसरा और अंतिम सूर्य ग्रहण सितंबर में होने वाला है। 
 
दूसरा सूर्य ग्रहण: वर्ष 2025 का दूसरा सूर्य ग्रहण 21 और 22 सितंबर 2025 के दौरान रहेगा। भारतीय ज्योतिष मान्यता के अनुसार खंडग्रास सूर्यग्रहण होगा जो दिनांक 21 सितंबर 2025, दिन रविवार, संवत 2082 की आश्विन कृष्ण पक्ष की अमावस्या को होगा। यह खग्रास सूर्यग्रहण भारतवर्ष में दृश्य नहीं होने से इससे संबंधित समस्त यम, नियम, सूतक, आदि भारतवर्ष में मान्य नहीं होंगे।
 
अंतिम सूर्य ग्रहण का समापन 22 सितंबर दिन सोमवार को तड़के 3 बजकर 24 मिनट पर होगा। यह सूर्य ग्रहण कुल 4 घंटे 24 मिनट तक रहेगा। उसके बाद सूर्य ग्रहण का मोक्ष हो जाएगा। सूर्य ग्रहण के दिन आश्विन माह के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि और उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र है। उस दिन शुक्ल योग और सर्वार्थ सिद्धि योग भी बनेंगे। यह सूर्य ग्रहण कन्या राशि में लगने वाला है. यह एक आंशिक सूर्य ग्रहण होगा।
 
कहां नजर आएगा सूर्य ग्रहण: इस साल का अंतिम सूर्य ग्रहण ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, अमेरिका, फिजी, समोआ, अटलांटिक महासागर आदि क्षेत्रों में दिखाई देगा। जब पृथ्वी और सूर्य के बीच में चंद्रमा आ जाता है और सूर्य का प्रकाश धरती तक नहीं पहुंचता है तो उस समय सूर्य ग्रहण होता है। 
 
सूतक काल: सूर्य ग्रहण का सूतककाल ग्रहण के 12 घंटे पहले से प्रारंभ हो जाता है जबकि चंद्र ग्रहण का 9 घंटे पूर्व। भारत में यह नजर नहीं आएगा इसलिए इसका सूतककाल मान्य नहीं है। सूर्य ग्रहण का प्रभाव धरती पर रहता है जबकि चंद्र ग्रहण का प्रभाव समुद्र और समुद्र क्षेत्रों में रहता है। सूर्य ग्रहण अमावस्या के दिन लगता है। 
 
सूर्य ग्रहण का प्रभाव: सूर्य ग्रहण का प्रभाव धरती और राजा यानी सत्ता पर आता है। जहां यह नजर आएंगे वहां इनका प्रभाव अत्यधिक देखा जा सकता है। सूर्य ग्रहण का प्रभाव समुद्र को छोड़कर भूमि पर ज्यादा रहता है। इसके चलते आगजनी, पड़ाडों में भूस्खलन, ज्वालामूखी विस्फोट के साथ ही विद्रोह, आंदोलन और राजनीतिक उथल-पुथल बढ़ जाती है। कहते हैं कि सूर्य ग्रहण के आने के बाद धरती से जुड़ी आपदाएं आती हैं। समुद्र के जल के भीतर भी भूकंप आते हैं। सूर्य ग्रहण के कारण राजनीतिक उथल पुथल, विद्रोह, सामाजिक परिवर्तन, सत्ता परिवर्तन, बर्फ का पिघलना, क्लाइमेंट में बदलाव और लोगों की मानसिक स्थिति में बदलाव होता है।
 
ग्रहण से कैसे आते हैं भूकंप: ग्रहण के कारण वायुवेग बदल जाता है, धरती पर तूफान, आंधी का प्राभाव बढ़ जाता है। समुद्र में जल की गति भी बदल जाती है। ऐसे में धरती की भीतरी प्लेटों पर भी दबाव बढ़ता है और दबाव के चलते वे आपस में टकराती है। वराह मिहिर के अनुसार भूकंप आने के कई कारण है जिसमें से एक वायुवेग तथा पृथ्वी के धरातल का आपस में टकराना है।
 
उल्लेखनीय है जब सूर्य ग्रहण और चंद्र ग्रहण 15 दिनों के अंतराल पर लगते हैं तब यह और भी ज्यादा खतरनाक प्रभाव देते हैं। वर्ष का पहले चंद्र ग्रहण 14 मार्च और सूर्य ग्रहण 29 मार्च को लगा था। इस बार भी 07 सितंबर 2025 को चंद्र ग्रहण के बाद 21 सितंबर को सूर्य ग्रहण रहेगा। यानि 15 दिनों के भीतर ही ही दो ग्रहण का योग।

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