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15 दिन के फासले पर ही चंद्र और सूर्य ग्रहण की घटना से क्या होगा कुछ बड़ा?

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WD Feature Desk

, सोमवार, 24 मार्च 2025 (15:20 IST)
Lunar and Solar eclipse 2025: वर्ष 2025 में मार्च माह में 2 ग्रहण एक साथ है। 14 मार्च शुक्रवार के दिन चंद्र ग्रहण हुआ और अब इसके बाद फिर 29 मार्च शनिवार के दिन सूर्य ग्रहण होगा। ज्योतिष के अनुसार यदि 14 से 15 दिनों के बीच 2 ग्रहण पड़ते हैं तो इससे अशुभ योग निर्मित होते हैं और धरती पर आगजनी, तूफान, घटना और दुर्घटना बढ़ जाते हैं। ऐसे ग्रहण का प्रभाव 40 दिन पूर्व और 40 दिन बाद तक रहता है।
 
चंद्र ग्रहण का प्रभाव: चंद्र ग्रहण का प्रभाव आम व्यक्ति और समुद्र पर आता है। चंद्र ग्रहण से भूकंप, तूफान और प्राकृतिक आपदाएं बढ़ती है। चंद्र ग्रहण का प्रभाव समुद्र और जल क्षेत्र पर अधिक होता है। साथ ही इससे सभी प्राणियों में मानसिक हलचल और बेचैनी बढ़ जाती है। चंद्र ग्रहण के दौरान समुद्री आपदाएं यानि पानी से संबंधित आपदाएं अधिक आती हैं।
 
सूर्य ग्रहण का प्रभाव: सूर्य ग्रहण का प्रभाव धरती और राजा यानी सत्ता पर आता है। जहां यह नजर आएंगे वहां इनका प्रभाव अत्यधिक देखा जा सकता है। सूर्य ग्रहण का प्रभाव समुद्र को छोड़कर भूमि पर ज्यादा रहता है। इसके चलते आगजनी, पड़ाडों में भूस्खलन, ज्वालामूखी विस्फोट के साथ ही विद्रोह, आंदोलन और राजनीतिक उथल-पुथल बढ़ जाती है। कहते हैं कि सूर्य ग्रहण के आने के बाद धरती से जुड़ी आपदाएं आती हैं। समुद्र के जल के भीतर भी भूकंप आते हैं। सूर्य ग्रहण के कारण राजनीतिक उथल पुथल, विद्रोह, सामाजिक परिवर्तन, सत्ता परिवर्तन, बर्फ का पिघलना, क्लाइमेंट में बदलाव और लोगों की मानसिक स्थिति में बदलाव होता है।
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दोनों ग्रहण का एक साथ प्रभाव: यदि 2 पूर्ण ग्रहण सूर्य और चंद्र ग्रहण यदि पास-पास पड़ रहे हैं तो ग्रहण के एक दिन पूर्व या बाद में भूकंप आने की संभावना बढ़ जाती है। इसी के साथ ही मानसिक बेचैनी के चलते मनुष्यों में आपसी लड़ाई भी बढ़ जाती है। धरती पर कई आगजनी की घटनाओं के साथ ही समुद्र में चक्रवात की घटनाएं भी बढ़ जाती है। जब भी कोई 2 ग्रहण एक साथ पड़ते हैं या आने वाला रहते हैं तो उस ग्रहण के 40 दिन पूर्व तथा 40 दिन बाद अर्थात उक्त ग्रहण के 80 दिन के अंतराल में बड़ा भूकंप कभी भी आ सकता है। कभी कभी यह दिन कम होते हैं अर्थात ग्रहण के 15 दिन पूर्व या 15 दिन पश्चात भूकंप आ जाता है।

विद्वान ज्योतिषाचार्य पंडित हेमंत रिछारियाजी के अनुसार यह दोनों ग्रहण भारतवर्ष में दृश्य नहीं होने से भारत में इसका प्रभाव नहीं होगा।
 
ग्रहण से कैसे आते हैं भूकंप: ग्रहण के कारण वायुवेग बदल जाता है, धरती पर तूफान, आंधी का प्राभाव बढ़ जाता है। समुद्र में जल की गति भी बदल जाती है। ऐसे में धरती की भीतरी प्लेटों पर भी दबाव बढ़ता है और दबाव के चलते वे आपस में टकराती है। वराह मिहिर के अनुसार भूकंप आने के कई कारण है जिसमें से एक वायुवेग तथा पृथ्वी के धरातल का आपस में टकराना है।

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