नई दिल्ली: अखिल भारतीय फुटबॉल महासंघ (एआईएफएफ) भारतीय टीम को एशिया की सर्वश्रेष्ठ टीम में से एक बनाने के लक्ष्य के साथ खाका तैयार कर रहा है जिसमें काम करने की संस्कृति में आमूलचूल बदलाव की योजना है और ढुलमुल रवैया अतीत की बात होगी।पता चला है कि यह खाका अगले 25 साल के लिए तैयार किया गया है। इसमें स्पष्ट तौर पर यह नहीं कहा गया है कि राष्ट्रीय टीम विश्व कप के लिए क्वालीफाई कर पाएगी लेकिन इस तरह के संकेत है कि इन्हें लागू करने पर ऐसा हो सकता है।
इन चीजों की जानकारी रखने वाले एक सूत्र ने पीटीआई को बताया, नए पदाधिकारी विश्व कप के लिए क्वालीफाई करने को एकमात्र लक्ष्य के रूप में नहीं दिखाना चाहते। वैचारिक प्रक्रिया यह है कि अगर आप एशिया में सर्वश्रेष्ठ टीम में शामिल हैं तो आपको विश्व कप में खेलना चाहिए।उन्होंने कहा, भारतीय टीम अतीत में एशिया की सर्वश्रेष्ठ टीम में शामिल थी। प्रयास यह है कि एक बार फिर उस स्तर पर पहुंचा जाए।
भारतीय फुटबॉल में 1950 और 1960 के दशक को स्वर्णिम युग माना जाता है। भारतीय टीम ने 1951 और 1962 एशियाई खेलों में स्वर्ण पदक जीते और 1956 ओलंपिक में चौथे स्थान पर रही।भारत 1964 एशिया कप में भी उप विजेता रहा लेकिन इसके बाद देश के फुटबॉल में गिरावाट आई और 1970 एशियाई खेलों में कांस्य पदक महाद्वीपीय स्तर पर टीम की पिछली बड़ी उपलब्धि है।
सूत्र ने कहा, सब कुछ लक्ष्योन्मुख होगा, चाहे वह कोच हो, सहयोगी स्टाफ हो, कोई अन्य कार्यक्रम हो, यहां तक कि एआईएफएफ मुख्यालय में काम करने वाले लोग। आमूलचूल बदलाव और पुनर्गठन होगा।उन्होंने कहा, ढीले रवैये को दूर किया जाएगा। यह हर क्षेत्र में है और एआईएफएफ से जुड़े सभी लोगों पर लागू होगा।उम्मीद है कि यह दस्तावेज सैकड़ों पृष्ठ का होगा। इसे जारी करन में कुछ दिन की देरी होगी क्योंकि एआईएफएफ वैश्विक संचालन संस्था फीफा और एशियाई फुटबॉल परिसंघ का सुझाव चाहता है।
एआईएफएफ ने पहले दो सितंबर को होने वाले चुनावों के 100 दिन बाद खाका जारी करने की योजना बनाई थी लेकिन बाद में इसे विश्व कप की समाप्ति के बाद जारी करने का फैसला किया गया लेकिन अब दस्तावेज के जनवरी के पहले सप्ताह में जारी होने की उम्मीद है।यह भी पता चला है कि तैयार किया जा रहा खाका भारतीय फुटबॉल इतिहास में अब तक का सबसे व्यापक होगा।
सूत्र ने कहा, इसमें क्लब, लीग, राज्य संघों के लिए खाका होगा। जमीनी स्तर और युवा विकास एक बड़ा हिस्सा बनेगा। राष्ट्रीय टीम विकास, महिला खेल में सुधार, कोच शिक्षा और रेफरी, सब कुछ होगा। यह एक व्यापक दस्तावेज होगा।
एआईएफएफ के महासचिव शाजी प्रभाकरन ने पीटीआई से कहा था कि भारतीय फुटबॉल को आगे ले जाने में सक्षम होने के लिए राष्ट्रीय महासंघ का सालाना बजट 100 करोड़ रुपये से कम से कम 10 गुना बढ़ाने की जरूरत है।यही कारण है कि खाके में भारतीय फुटबॉल के व्यावसायिक पहलू पर जोर दिया जाएगा जैसे कि एआईएफएफ के वित्तीय संसाधनों को कैसे बढ़ाया जाए।
सूत्र ने कहा, हर कोई भारतीय फुटबॉल की व्यावसायिक क्षमता को जानता है। यह वर्तमान में जो मिल रहा है उससे कहीं अधिक होना चाहिए।एआईएफएफ ने 2012 में लक्ष्य 2022 पेश किया था जो 2022 विश्व कप के लिए क्वालीफाई करने का खाका था। इसे मुख्य रूप से नीदरलैंड के रॉबर्ट बान ने तैयार किया था जिन्हें 2011 में तकनीकी निदेशक बनाया गया था।
एआईएफएफ ने फीफा और एएफसी के साथ 2019 में भी एक खाका तैयार किया था लेकिन वह मुख्य रूप से घरेलू लीग संरचना से जुड़ा था जिसमें इंडियन सुपर लीग और आई-लीग में टीम का प्रमोशन और रेलीगेशन (निचली लीग में खिसकना) शामिल था।(भाषा)