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ओलंपिक पदक ने मेरी जिंदगी बदल दी, लेकिन मैं इसे भूल चुका हूं: पहलवान अमन सहरावत

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हमें फॉलो करें Aman Sehrawat

WD Sports Desk

, बुधवार, 6 अगस्त 2025 (13:50 IST)
पेरिस ओलंपिक में कांस्य पदक जीतने से अमन सहरावत के कंधों से काफी बोझ उतर गया है लेकिन इस युवा पहलवान का कहना है कि वह इस उपलब्धि को पहले ही भूल चुके हैं क्योंकि अतीत की उपलब्धियों पर बैठे रहने से वह अपने बड़े सपनों को पूरा नहीं कर पाएंगे।छोटी सी उम्र में अनाथ हो जाने के कारण बिरोहर में जन्मे इस पहलवान के लिए ज़िंदगी आसान नहीं रही। उनके चाचा ने उनका पूरा साथ दिया, लेकिन पारिवारिक ज़िम्मेदारियां अमन पर भारी पड़ती रहीं।

लेकिन पिछले वर्ष पेरिस में कांस्य पदक जीतने से उन्हें पहचान और पैसा मिला, जिससे उनका जीवन आसान हो गया।विश्व चैंपियनशिप के लिए 57 किग्रा चयन ट्रायल जीतने के बाद अमन ने PTI (भाषा) से कहा, ‘‘ओलंपिक पदक ने मेरी जिंदगी 90 फीसदी बदल दी। इससे पहले मुझे कोई नहीं जानता था। पहले मेरे प्रदर्शन पर गौर नहीं किया जाता था, लेकिन पेरिस की सफलता के बाद लोग मुझे जानने लगे, मेरा सम्मान करने लगे। मुझे लगा कि मैंने देश के लिए कुछ किया है और 10-15 साल की कड़ी मेहनत रंग लाई है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘ओलंपिक पदक भगवान का आशीर्वाद है। मुझे जीतने की उम्मीद भी नहीं थी। महिला पहलवानों से तो उम्मीदें ज़्यादा थीं। ये तो भगवान का दिया प्रसाद ही है।’’
अमन ने कहा, ‘‘इससे मुझे भी प्रेरणा मिली। लोग अब मुझसे स्वर्ण पदक की उम्मीद कर रहे हैं। मैं अपने कांस्य पदक को पहले ही भूल चुका हूं। मैं इससे संतुष्ट होकर यह नहीं कह सकता कि मैंने काफी कुछ हासिल कर लिया है। अब मैं स्वर्ण पदक के लिए तैयारी कर रहा हूं।‘‘

शीर्ष स्तर पर सफलता ने किस प्रकार उनके जीवन को बदल दिया, इस बारे में उन्होंने कहा, ‘‘अब मैं जो चाहूं खरीद सकता हूं। पहले मुझ पर दबाव था कि भविष्य में मुझे अपनी छोटी बहन को पढ़ाना है और उसकी शादी करनी है। अब मैं निश्चिंत होकर अभ्यास कर सकता हूं। अब मुझे पैसों की चिंता करने की ज़रूरत नहीं है।’’

अमन ने कहा, ‘‘ऐसा नहीं है कि हमारा ध्यान नहीं रखा गया। मेरे चाचा ने हमेशा हमारा साथ दिया है, लेकिन एक बड़े भाई की जिम्मेदारी क्या होती है इसके बारे में तो सभी सोचते हैं।’’

पेरिस ओलंपिक के बाद से अमन ने सिर्फ दो टूर्नामेंटों में हिस्सा लिया है। वह सीनियर एशियाई चैंपियनशिप में हिस्सा नहीं ले पाए थे।उन्होंने कहा, ‘‘ओलंपिक के बाद, मैंने सोचा था कि मैं विदेश में अभ्यास करूंगा लेकिन चीजें हमेशा वैसी नहीं होतीं जैसी आप उम्मीद करते हैं। फिर मैं चोटिल भी हो गया।’’

अमन ने कहा, ‘‘ओलंपिक पदक जीतने के बाद हारने का डर भी मुझ पर हावी हो गया था। मैंने सोचा अगर मैं हार गया तो लोग कहेंगे कि सफलता ने मुझे बिगाड़ दिया है। इसलिए, कोचों ने कहा कि आप एक अलग स्तर पर हैं और मैट पर उतरने के लिए आपको अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करना होगा।’’

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