टोक्यो:निशानेबाज अवनि लेखरा रविवार को यहां टोक्यो पैरालंपिक के समापन समारोह के दौरान भारतीय दल की ध्वजवाहक होंगी।इस 19 साल की निशानेबाज ने शुक्रवार को 50 मीटर राइफल थ्री पॉजिशन एसएच1 कांस्य पदक जीतने से पहले सोमवार को महिलाओं की आर-2 10 मीटर एयर राइफल स्टैंडिंग एसएच1 स्पर्धा में स्वर्ण पदक जीता था।
भारतीय पैरालंपिक समिति (पीसीआई) के एक अधिकारी ने बताया, अवनी ध्वजवाहक होंगी और समापन समारोह के दौरान भारतीय दल में 11 प्रतिभागी होंगे।जयपुर की 19 साल की निशानेबाज को 2012 में हुई कार दुर्घटना में रीढ़ की हड्डी में चोट लग गयी थी, जिसके बाद से उनके शरीर का निचला हिस्सा लकवाग्रस्त है। लेखरा खेलों के एक संस्करण में कई पदक जीतने वाली पहली भारतीय महिला हैं।
उनसे पहले जोगिंदर सिंह सोढ़ी खेलों के एक ही चरण में कई पदक जीतने वाले पहले भारतीय थे। उन्होंने 1984 पैरालंपिक में एक रजत और दो कांस्य पदक जीते थे।मौजूदा खेलों में निशानेबाज सिंहराज अडाना भी इस सूची में शामिल हो गाये। उन्होंने रजत और कांस्य पदक अपने नाम किये।
पैरालंपिक खेलों के उद्घाटन समारोह में 24 अगस्त को गोला फेंक के एथलीट टेक चंद भारतीय ध्वजवाहक बने थे। उन्होंने ऊंची कूद में यहां रजत पदक जीतने वाले एथलीट मरियप्पन थांगवेलु की जगह ली थी जो तोक्यो की उड़ान के दौरान कोविड-19 से संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने के बाद पृथकवास में थे।
2 मेडल जीतने पर भी नहीं थी संतुष्ट
उन्होंने प्रसारक यूरोस्पोर्ट और भारतीय पैरालंपिक समिति द्वारा करायी गयी वर्चुअल प्रेस कांफ्रेंस में कहा, जब मैंने स्वर्ण पदक जीता तो मैं सिर्फ स्वर्ण पदक से ही संतुष्ट नहीं थी (हंसती हैं), मैं उस अंतिम शॉट को बेहतर करना चाहती थी। इसलिये यह कांस्य पदक निश्चित रूप से संतोषजनक नहीं है। उन्होंने कहा, फाइनल्स का आपके ऊपर यही असर होता है, आप नर्वस हो जाते हो।
उन्होंने रविवार को होने वाली मिश्रित 50 मीटर राइफल प्रोन स्पर्धा का जिक्र करते हुए कहा, मैं जश्न नहीं मना रही क्योंकि मेरा ध्यान अगले मैच पर लगा है। मेरा लक्ष्य अपनी अगली स्पर्धा में भी शत प्रतिशत देने का है।
लेखरा ने ओलंपिक स्वर्ण पदक विजेता अभिनव बिंद्रा की प्रशंसा दोहराते हुए कहा कि वह हमेशा उनकी तरह बनना चाहती थीं। शुक्रवार को बल्कि उन्होंने अपना दूसरा पदक जीतकर उनसे बेहतर प्रदर्शन किया।
लेखरा ने कहा, जब मैंने अभिनव बिंद्रा सर की आत्मकथा पढ़ी थी तो मुझे इससे प्रेरणा मिली थी क्योंकि उन्होंने अपना शत प्रतिशत देकर भारत के लिये पहला व्यक्तिगत स्वर्ण पदक जीता था। उन्होंने कहा, मैं हमेशा उनकी (बिंद्रा की) तरह बनना चाहती थी और हमेशा अपने देश का नाम रोशन करना चाहती थी।
लेखरा ने कहा, मैं खुश हूं कि मैं देश के लिये एक और पदक जीत सकी और मैं अभी तक इस पर विश्वास नहीं कर पा रही। उन्होंने कहा, मुझे स्टैंडिंग में सर्वश्रेष्ठ देना था। और मुझे लगा कि हर कोई ऐसा ही महसूस कर रहा था इसलिये मैंने दूसरों के बारे में सोचे बिना अपना सर्वश्रेष्ठ किया।
लेखरा ने कहा, मैंने कभी भी बैठकर पदक नहीं जीता था, यह मेरा पहला अंतरराष्ट्रीय पदक है इसलिये मैं ज्यादा नर्वस थी। लेकिन मुझे अपने शॉट पर ध्यान लगाना था। इसलिये पिछले मैच में मैं एक बार में एक शॉट पर ध्यान लगा रही थी और यह हो गया।(भाषा)