अरबों डॉलर के प्रसारण बाजार, खेल के सबसे शक्तिशाली बोर्ड के सकारात्मक रवैये और वैश्विक संस्था की शानदार प्रस्तुति ने क्रिकेट को लॉस एंजेलिस में 2028 में होने वाले ओलंपिक खेलों में शामिल करने में अहम भूमिका निभाई।अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (ICC) क्रिकेट को ओलंपिक में शामिल करने के लिए पिछले दो वर्षों से अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति (IOC) और लॉस एंजेलिस खेलों की स्थानीय आयोजन समिति के साथ मिलकर काम कर रही थी।
लेकिन इसमें भारतीय क्रिकेट बोर्ड (BCCI) की भूमिका को नकारा नहीं जा सकता है जिसके सकारात्मक रूख का मतलब इसमें प्रसारकों की दिलचस्पी बढ़ना है।
आईसीसी बोर्ड के एक वरिष्ठ सदस्य ने गोपनीयता की शर्त पर पीटीआई से कहा, BCCI ने वैश्विक खेल और विशेष रूप से ओलंपिक आंदोलन का हिस्सा बनने से लाभ में रहने वाले सहयोगियों के महत्व को समझते हुए शुरू से इसका समर्थन किया। इसके बाद बीसीसीआई सचिव जय (शाह) कार्य समूह में शामिल हो गए और उन्होंने हर चीज का समर्थन किया।
आईओसी और ओलंपिक खेल 2028 की स्थानीय आयोजन समिति के सामने आईसीसी ने जो प्रस्तुति दी वह मुख्य रूप से तीन सिद्धांतों सार्वभौमिकता, लोकप्रियता और विरासत पर आधारित थी।
सार्वभौमिकता का मतलब है क्रिकेट की अपील और ओलंपिक आंदोलन में उससे मिलने वाला सहयोग। आईसीसी ने इस पर जोर दिया कि भारत दुनिया का सबसे अधिक जनसंख्या वाला देश है जिसका टीवी और डिजिटल मार्केट व्यापक है। भारत से मिलने वाले प्रसारण राजस्व से आईओसी और स्थानीय आयोजन समिति दोनों को ही फायदा होगा।
लोकप्रियता सबसे महत्वपूर्ण पहलू है और क्रिकेट दुनिया का दूसरा सबसे लोकप्रिय खेल है जिसकी बहुत ज्यादा व्यावसायिक अपील है। जब दुनिया के सर्वश्रेष्ठ क्रिकेटर ओलंपिक खेलों का हिस्सा बनेंगे तो इससे खेलों को ही लाभ होगा।क्रिकेट के लिए अमेरिका जैसे नए बाजार में एक विरासत तैयार करना चुनौती पूर्ण होगा लेकिन यह देश अगले साल टी20 विश्व कप की मेजबानी करेगा और चीज कैसे आगे बढ़ेंगी इसका अंदाजा इस टूर्नामेंट से लगाया जा सकता है।(भाषा)