भारतीय एथलेटिक्स महासंघ (AFI) के पूर्व अध्यक्ष आदिले सुमरिवाला (Adille Sumariwalla) ने गुरूवार को आरोप लगाया कि भारत में खेलों की बर्बादी के लिए अदालतें जिम्मेदार हैं। गांधीनगर में राष्ट्रीय रक्षा विश्वविद्यालय (RRU) में आयोजित अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक अनुसंधान सम्मेलन में बोलते हुए सुमरिवाला ने दावा किया कि अगर एक महीने के अंदर मध्यस्थता अनुच्छेद वाला खेल विधेयक (Sports Bill) नहीं लाया जाता है तो अधिकांश खेल महासंघों का अस्तित्व समाप्त हो जाएगा।
राष्ट्रमंडल खेल महासंघ (Commonwealth Games Federation) के प्रमुख क्रिस जेनकिंस (Chris Jenkins) और सीईओ कैटी सैडलियर (Katie Sadlier) के साथ एक पैनल चर्चा में भाग लेते हुए सुमरिवाला ने दावा किया, आपको खेलों के संचालन की जरूरत है। लेकिन संचालन को खेलों के विकास की दिशा में आगे बढ़ना चाहिए, ना कि सिर्फ नीति की दिशा में। अगर यह सिर्फ नीति बनाने तक सीमित है तो यह समस्या है।
उन्होंने आरोप लगाया, इसका एक उदाहरण भारतीय ओलंपिक संघ का नया संविधान है। यह एक आपदा है क्योंकि खेल जिस चीज के लिए है, उससे हर चीज खत्म हो जाती है। तो इसमें किसने हस्तक्षेप किया - अदालतों ने।
उन्होंने दावा किया, आज भारत में अदालतों ने पूरी तरह से अतिक्रमण कर लिया है और अदालतें भारत में खेलों की बर्बादी के लिए जिम्मेदार हैं क्योंकि वे ऐसे आदेश देते रहते हैं जो उन्हें समझ में नहीं आते। मैं यह कहते हुए सावधानी बरतूंगा ताकि मैं अदालत की अवमानना नहीं करूं।
सुमरिवाला ने 2012 से 12 साल तक एएफआई के अध्यक्ष पद पर काबिज रहे जो मौजूदा खेल संहिता के तहत अधिकतम अवधि है।
इस महीने की शुरुआत में इस पद पर बहादुर सिंह सागू काबिज हुए।
खेल विधेयक के मसौदे 2024 में एक मध्यस्थता अनुच्छेद शामिल है जिसके तहत खिलाड़ियों और खेल अधिकारियों को अदालतों के बजाय अपीलीय खेल पंचाट के माध्यम से विवादों को हल करना होगा। (भाषा)