नई दिल्ली। दुनिया के फुटबॉल मानचित्र पर छाने के लिए तैयार भारत की जूनियर टीम शुक्रवार से शुरू होने जा रहे फीफा विश्व कप अंडर-17 टूर्नामेंट में एक नए अध्याय के आरंभ के लिए उतरेगी, जहां उसका लक्ष्य मजबूत तथा अनुभवी अमेरिकी टीम के खिलाफ ऊंचे मनोबल और देशवासियों के अपार समर्थन के साथ अपने अभियान की शानदार शुरुआत करना होगा।
भारत की जमीन पर पहली बार हो रहे फीफा टूर्नामेंट में दुनिया के 24 देश हिस्सा ले रहे हैं, जो 6 से 28 अक्टूबर तक चलने वाले टूर्नामेंट में देश के 6 विभिन्न शहरों में मुकाबलों के लिए उतरेंगे। यह पहला मौका है, जब भारत किसी भी वर्ग के फीफा विश्व कप फाइनल्स में हिस्सा ले रहा है।
भारत को मेजबान होने की हैसियत से टूर्नामेंट में सीधे क्वालीफिकेशन मिला है और यह उसके लिए वैश्विक स्तर का अब तक का सबसे बड़ा टूर्नामेंट है। भारत दिल्ली के जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम में अपने अभियान की शुरुआत मजबूत अमेरिकी टीम के खिलाफ करने जा रहा है जिसने फीफा फीफा अंडर-17 विश्व कप के कुल 16 संस्करणों में से 15 में हिस्सा लिया है।
अमेरिका ने अब तक केवल वर्ष 2013 में एकमात्र बार इस वर्ग के फीफा टूर्नामेंट में हिस्सा नहीं लिया है और इस लिहाज से वह मेजबान टीम के सामने न सिर्फ काफी मजबूत होगी बल्कि उसके पास विश्व कप का अपार अनुभव भी हासिल है। इसके अलावा अमेरिकी टीम के 21 में से 12 खिलाड़ी दुनिया के बड़े फुटबॉल लीग क्लबों की ओर से भी खेलते हैं।
दूसरी ओर भारतीय टीम अनुभव के लिहाज से अमेरिका से काफी पीछे है, जो पहली बार फीफा टूर्नामेंट में खेलने उतर रही। हालांकि पिछले कुछ वर्षों में भारत ने अपने प्रदर्शन में काफी सुधार किया है और कई विदेशी दौरों तथा बड़े क्लबों के साथ खेलकर भी उसके खिलाड़ियों को काफी अनुभव हासिल हुआ है। इसके अलावा भारतीय जूनियर टीम को 7 बार एएफसी अंडर-16 चैंपियनशिप में खेलने का भी अच्छा अनुभव है।
लेकिन उसका प्रदर्शन एशियाई चैंपियनशिप में भी बहुत उत्साहवर्धक नहीं रहा है और वह वर्ष 2002 में क्वार्टर फाइनल को छोड़कर हमेशा ग्रुप चरण में ही बाहर हो गया, वहीं गोवा में हुए 2016 एएफसी अंडर-16 कप में भी भारतीय टीम घरेलू परिस्थितियों का फायदा नहीं उठा सकी थी और मात्र 1 अंक लेकर ग्रुप में सबसे आखिरी रही थी।
हालांकि वर्ष 2013 में अंडर-16 सैफ चैंपियनशिप में भारत ने खिताब जीता था जबकि 2011 और 2015 में साउथ एशियन जोनल स्तर पर युवा टीम उपविजेता रही थी, जो उसका इस स्तर पर सबसे अच्छा प्रदर्शन कहा जा सकता है। भारतीय अंडर-17 टीम के खिलाड़ियों को विदेशी दौरों और यूरोप के बड़े क्लबों के साथ अभ्यास का भी फायदा अमेरिका के साथ मिल सकता है।
एआईएफएफ ने भारतीय टीम के वर्ष 2015 से 2017 तक दौरों पर करीब 10 करोड़ रुपए खर्च किए हैं। भारत ने अपने जर्मनी दौरे में 14 मैचों में से 8 जीते थे। इसके बाद सैफ चैंपियनशिप 2015 में वे फाइनल में बांग्लादेश से हारकर खिताब से चूक गई थी। बाद में टीम स्पेन, दुबई, दक्षिण अफ्रीका, ब्राजील और फिर 7 सप्ताह तक जर्मनी में तैयारियों के लिए गई और उम्मीद की जा सकती है कि इतने लंबे समय तक विदेशी खिलाड़ियों के साथ खेलने से भारतीय खिलाड़ियों को उनकी तकनीक समझने के साथ दबाव से लड़ने में भी मदद मिलेगी।
भारतीय खिलाड़ियों को साथ ही घरेलू मैदान पर भी परिस्थितियों का फायदा मिलने की उम्मीद है। टीम के कोच 63 वर्षीय नार्टन डी मातोस ने टीम को विदेशी दौरों के साथ घरेलू मैदान पर अभ्यास में भी पारंगत करने का प्रयास किया है और यही कारण है कि भारतीय टीम टूर्नामेंट के 8 सप्ताह पहले से स्वदेश में ही है। खिलाड़ियों ने बेंगलुरु के बाद सितंबर में गोवा में भी काफी अभ्यास मैच खेले और 21 सितंबर को मॉरिशस अंडर-17 के खिलाफ 3-0 की जीत के साथ उनकी तैयारियों का समापन हुआ है।
'ब्लू कब्स' नाम से मशहूर जूनियर भारतीय टीम के खिलाड़ी निम्न एवं मध्यमवर्गीय परिवारों से हैं, जो दुनिया के सामने खुद को साबित करने के इस मौके को अच्छी तरह समझते हैं। एक खास बात यह भी है कि इस बार भारतीय टीम में अकेले 9 खिलाड़ी पूर्वोत्तर से हैं जिसमें 8 मणिपुर और 1 असम से हैं।
कोच मातोस के हिसाब से हर खिलाड़ी ही मैच विजेता की तरह है लेकिन अंकित जाधव, कोमत थटाल, कप्तान कियाम, संजीव स्टालिन और अनवर अली सबसे अधिक चर्चा का केंद्र हैं, जो बड़ी टीमों के खिलाफ उलटफेर कर सकते हैं। ऐसे में अमेरिका के खिलाफ पहले मुकाबले में इन खिलाड़ियों पर बिग शो की सबसे अधिक जिम्मेदारी होगी। मिडफील्डर में कियाम तो ब्राजील और उरुग्वे के खिलाफ गोल दागने वाले कोमल फॉरवर्ड लाइन के मुख्य खिलाड़ी होंगे।
वहीं अमेरिकी टीम की बात करें तो अमेरिकी फुटबॉल संघ ने अपनी 21 सदस्यीय टीम में 17 खिलाड़ी ऐसे उतारे हैं, जो दूसरे स्थान पर रही टीम कानकाकैफ अंडर-17 चैंपियनशिप 2017 टीम का हिस्सा थे। टीम के अधिकतर खिलाड़ी बड़ी लीगों के साथ खेलते हैं और जो खिलाड़ी भारत के सामने चुनौती पेश कर सकते हैं उनमें फॉरवर्ड जोशुआ सर्जेंट, टिमोथी वियाह, गोलकीपर जस्टिन गार्सेस शामिल हैं।
सर्जेंट अगले वर्ष 18 साल के होने के साथ ही जर्मन लीग बुंदेलसीगा के साथ जुड़ने जा रहे हैं। वे वर्ष 2017 में अंडर-20 विश्व कप में भी खेल चुके हैं। वे वर्ष 2003 में फ्रैडी अदु के बाद अमेरिका के पहले ऐसे खिलाड़ी भी हैं, जो अंडर-17 और अंडर-20 दोनों विश्व कप में खेल रहे हैं। इसके अलावा वियाह पेरिस सेंट जर्मेन के साथ जुड़े हैं और पूर्व 'फीफा प्लेयर ऑफ द ईयर' जॉर्ज वियाह के बेटे हैं।
अमेरिकी टीम अंडर-17 विश्व कप में 4 बार क्वार्टर फाइनल तक पहुंची है और उसकी कोशिश रहेगी कि वह भारत के खिलाफ अच्छी शुरुआत करे जबकि मेजबान टीम अच्छे प्रदर्शन से टूर्नामेंट में आगे की लय कायम करने उतरेगी। (वार्ता)