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कंप्यूटर के आने के बाद शतरंज खेलने का तरीका बदल गया : आनंद

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, शनिवार, 23 मई 2020 (18:01 IST)
मुंबई। 5 बार के विश्व चैंपियन विश्वनाथ आनंद ने कहा कि कंप्यूटर के आगमन ने खिलाड़ियों के शतरंज खेलने के तरीके को बदल दिया जिससे दोनों प्रतिद्वंद्वियों के बैठने का स्थान नहीं बदलता। इस पूर्व विश्व चैंपियन ने अपने करियर के बारे में बताया कि वह आज जिस मुकाम पर हैं उसके लिए उन्हें काफी मेहनत करनी पड़ी।
 
आनंद ने स्टार स्पोर्ट्स के कार्यक्रम ‘माइंड मास्टर्स’ में कहा, ‘मैं जब छह साल का था तब मेरे बड़े भाई और बहन शतरंज खेल रहे थे। फिर मैं अपनी माँ के पास गया और उनसे मुझे भी इस खेल को सिखाने के लिए कहा। शतरंज के खिलाड़ी के रूप में मेरी प्रगति अचानक नहीं हुई थी, यह कई वर्षों में कड़ी मेहनत का नतीजा है।’ 
 
उन्होंने कहा, ‘मैंने 80 के दशक में जो शतरंज सीखा था उसमें काफी बदलाव आ गया। कम्प्यूटर के आने से खेलने का तरीका काफी बदल गया। जिस चीज में बदलाव नहीं आया वह था दो खिलाड़ियों के बीच मुकाबला।’ आनंद ने कहा कि शतरंज में आपको प्रतिद्वंद्वी के खेल का लगातार अध्ययन करने के अलावा उसके दिमाग में क्या चल रहा इस पर भी ध्यान देना होता है। 
 
उन्होंने कहा, ‘शतरंज में अपको दूसरे खिलाड़ी को हराना होता है। सबको लगता है कि वह सर्वश्रेष्ठ चाल चल रहा है लेकिन यह इस बारे में है कि कौन बोर्ड पर आखिरी गलती करता है।’ 50 साल के इस खिलाड़ी ने कहा कि वह मैच के बाद जिम जाते हैं ताकि खेल के तनाव को कम कर सके। आनंद ने कहा कि 1987 जूनियर शतरंज चैंपियनशिप और 2017 विश्व रैपिड चैंपियनशिप उनके करियर के दो सबसे अहम टूर्नामेंट हैं।
 
उन्होंने कहा, ‘1987 में पहला विश्व जूनियर जीतना एक ऐसा मैच था जिसे मैं कभी नहीं भूलूंगा। रूस के खिलाड़ी के खिलाफ जीत दर्ज कर मैं काफी गैरवान्वित था।’ भारत के इस शीर्ष खिलाड़ी ने कहा, ‘विश्व रैपिड शतरंज चैंपियनशिप के खिताब से मुझे काफी संतुष्टि मिली। 2017 में यह खिताब ऐसे समय आया जब मैं संन्यास के बारे में सोच रहा था।' (भाषा)

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