गत विजेता भारतीय हॉकी टीम ने इंडोनेशिया की राजधानी में हीरो हॉकी एशिया कप में जापान को 1-0 से करीबी मुकाबले में हराकर कांस्य पदक जीत लिया। इस टूर्नामेंट में भारत की यह जापान पर तीन मैचों में दूसरी जीत थी। लीग मैच में जापान ने भारत को 5-2 से हराया था तो टॉप 4 में भारत ने जापान को 2-1 से हराया था।
इंडोनेशिया की राजधानी जकार्ता के जीबीके एरिना में हुए इस मुकाबले में भारत ने राजकुमार पाल के गोल की बदौलत जापान को शिकस्त दी।
भारत ने पहले पांच मिनट में कई हमले बोले लेकिन डी के भीतर उन्हें कामयाबी नहीं मिली। सातवें मिनट में उत्तम सिंह ने जवाबी हमले पर दाहिने फ्लैंक से राजकुमार को गेंद सौंपी जिसने जापानी गोलकीपर तकाशी योशिकावा को छकाकर गोल दाग दिया।तीन मिनट बाद भारत को लगातार दो पेनल्टी कॉर्नर मिले लेकिन गोल नहीं हो सका।पहले क्वार्टर के आखिरी पांच मिनट में जापान ने बराबरी का गोल दागने की बहुत कोशिश की लेकिन भारतीय रक्षापंक्ति काफी मजबूत दिखी।
जापान को 20वें मिनट में दो पेनल्टी कॉर्नर मिले जिन्हें भारतीय रक्षापंक्ति ने गोल में बदलने नहीं दिया। दूसरे क्वार्टर में दोनों टीमों ने कई मौके बनाये लेकिन तीसरे क्वार्टर में लय कायम नहीं रख सकीं।ब्रेक के बाद जापान ने आक्रामक खेल दिखाकर फिर लगातार दो पेनल्टी कॉर्नर बनाये लेकिन भारतीय रक्षण को भेद नहीं सके।
भारत को एक और गोल करने का मौका भी मिला लेकिन एस वी सुनील के पास पर राजकुमार का शॉट ऊपर से निकल गया।आखिरी दो क्वार्टर में जापानियों ने काफी कोशिश की लेकिन बीरेंद्र लाकड़ा की अगुवाई में भारतीय रक्षण बहुत चुस्त था। जापान को 48वें मिनट में तीन पेनल्टी कॉर्नर लगातार मिले जिन पर गोल नहीं हो सका।
जापान को सात पेनल्टी कॉर्नर और भारत को दो पेनल्टी कॉर्नर मिले लेकिन कोई भी टीम इन्हें गोल में तब्दील नहीं कर सकी। भारत ने 11 बार जबकि जापान ने 10 बार विरोधी टीम के सर्किल को भेदने में सफलता हासिल की। मैच के अंतिम मिनट में भारत ने सिर्फ 10 खिलाड़ियों के साथ खेलते हुए भी एशिया कप का अपना दूसरा कांस्य पदक जीत लिया।
हालांकि गत विजेता होते हुए भारत इस कप के फाइनल में पहुंचना चाहता था लेकिन मलेशिया और उसके बाद कोरिया के खिलाफ मैच ड्रॉ होने के कारण भारत फाइनल में प्रवेश नहीं कर पाया। एशिया कप के फाइनल मुकाबले में कोरिया और मलेशिया एक-दूसरे से भिड़ेंगे।
मैच को 1-0 से जीतने के बाद मैन ऑफ़ द मैच से नवाज़े गये भारतीय कप्तान बिरेंद्र लाकड़ा ने कहा, “यह काफी मुश्किल था। इस तरह के मैच के लिए खुद को प्रेरित करना मुश्किल है क्योंकि हम फाइनल के लिए क्वालीफाई नहीं कर पाए थे, लेकिन कोचों ने हमें इस तरह के खेल के लिए प्रेरित रहने के टिप्स दिए।”
उन्होंने कहा, “हम इस टूर्नामेंट में जापान के खिलाफ अपने पहले गेम में हार गए थे। लड़कों ने ट्रेनिंग की, वीडियो देखे और हर खेल के साथ खुद को बेहतर बनाया। मुझे उन पर बहुत गर्व है, यह एक युवा टीम है और उन्होंने तेज़ी से अपनी गलतियों को सुधारा है।”