यूजीन: नीरज चोपड़ा जब भी भाला लेकर किसी बड़ी अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिता में भाग लेते हैं तो फैंस को उनसे स्वर्ण पदक की ही उम्मीद रहती है। लेकिन नीरज चोपड़ा ने प्रतिकूल परिस्थिति में भी देश को रजत पदक दिला दिया।
भारत के शीर्ष जैवलीन थ्रो खिलाड़ी नीरज चोपड़ा ने शनिवार (भारत में रविवार सुबह) को विश्व एथलेटिक्स चैंपियनशिप में रजत पदक जीतने के बाद कहा कि परिस्थितियां उनके अनुकूल नहीं थीं, लेकिन वह देश के लिये पदक जीतकर ख़ुश हैं।
नीरज ने यूजीन में आयोजित संवाददाताओं से बात करते हुए कहा, "मौजूदा परिस्थितियां अनुकूल नहीं थीं। हवा की गति बहुत तेज थी, लेकिन मुझे अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन जदेने का भरोसा था। अंत में, मैं परिणाम से संतुष्ट हूं। मुझे खुशी है कि मैं अपने देश के लिए पदक जीतने में सफल रहा।"
नीरज हर बार पहले प्रयास में अपना सर्वश्रेष्ठ थ्रो करने के लिये पहचाने जाते हैं, लेकिन यूजीन में उनका पहला प्रयास फाउल रहा, जिसका मुख्य कारण हवा की गति थी।
यहां तक कि नीरज ने विश्व चैंपियनशिप के फाइनल में जो छह प्रयास किये, उनमें से तीन फाउल करार दिये गये। नीरज ने पांचवे प्रयास में 88.13 मीटर का थ्रो किया जिसने उन्हें रजत पदक दिलाया। इसके अलावा उन्होंने 82.39 मीटर और 86.37 मीटर के वैध प्रयास किये।
इसी के साथ नीरज विश्व एथलेटिक्स चैंपियनशिप में भारत के लिये पदक जीतने वाले दूसरे खिलाड़ी और पहले पुरुष बन गये। इससे पहले अंजू बॉबी जॉर्ज ने 2003 में महिलाओं की लंबी कूद प्रतियोगिता में भारत को कांस्य दिलाया था।
ग्रेनाडा के विश्व चैंपियन एंडरसन पीटर्स ने अपनी लय बरकरार रखते हुए 90.54 मीटर की थ्रो के साथ एक बार फिर स्वर्ण जीता। जाकुब वाडलेक ने 88.09 मीटर के थ्रो की बदौलत कांस्य पदक हासिल किया।