पेरिस ओलंपिक में मेडल जीतने की रेस में निखत जरीन क्यों है लवलीना से आगे?
यह निकहत का समय, लवलीना को और अधिक सक्रिय होने की जरूरत: फर्नांडेज
भारत के पूर्व पुरुष मुक्केबाजी कोच ब्लास इग्लेसियस फर्नांडेज ने पूर्व विश्व चैंपियन निकहत जरीन (50 किग्रा) को इस साल पेरिस ओलंपिक में पदक का दावेदार बताया लेकिन उनका मानना है कि तोक्यो ओलंपिक की कांस्य पदक विजेता लवलीना बोरगोहेन (75 किग्रा) की संभावना रिंग में उनकी आक्रामकता के स्तर पर निर्भर करेगी।
दो दशक से अधिक समय तक भारतीय पुरुष मुक्केबाजों को कोचिंग देने वाले क्यूबा के 68 वर्षीय फर्नांडेज को भारतीय खेल प्राधिकरण (साइ) ने दो साल के लिए हाई परफोर्मेंस कोच नियुक्त किया है। वह द्रोणाचार्य पुरस्कार हासिल करने वाले पहले और एकमात्र विदेशी कोच हैं।
फर्नांडेज हरियाणा के रोहतक में राष्ट्रीय मुक्केबाजी अकादमी में सेवाएं दे रहे हैं।हाल में रोहतक में राष्ट्रीय उत्कृष्टता केंद्र में कई देशों के जूनियर मुक्केबाजों के राष्ट्रीय शिविर के इतर फर्नांडेज ने आगामी ओलंपिक खेलों में भारत की संभावनाओं का मूल्यांकन किया।
फर्नांडेज ने साइ मीडिया से कहा, मुझे निकहत की मुक्केबाजी (शैली) पसंद है। वह काफी चतुर है। रिंग में उसकी रणनीति अच्छी होती है। उसे पता होता है कि वह कब जीत रही है और कब हार रही है।
उन्होंने कहा, यह निकहत का खुद को साबित करने का समय है। यह सही है कि वह मैरीकॉम की छाया में रही है लेकिन यह उसका खुद को साबित करने और भारत को गौरवांवित करने का समय है।
क्यूबा का यह कोच उस समय भारतीय पुरुष कोचिंग स्टाफ का हिस्सा था जब विजेंदर सिंह ने 2008 में बीजिंग में देश के लिए मुक्केबाजी में पहला ओलंपिक पदक जीतकर इतिहास रचा था।फर्नांडेज ने कहा कि उन्हें लवलीना में भी क्षमता नजर आती है लेकिन उन्हें अधिक जज्बा दिखाना होकर, विशेषकर उस समय जब रिंग में उसकी स्थिति अच्छी नहीं हो।
उन्होंने कहा, लवलीना को मुकाबले को खत्म करने का अधिक जज्बा दिखाना होगा। मैंने उसके कुछ मुकाबले देखे हैं और मुझे लगता है कि उसने इन्हें गंवाया क्योंकि वह आक्रामक और सक्रिय नहीं थी।
फर्नांडेज ने कहा, अगर वह अपनी क्षमता के अनुसार प्रदर्शन करती है तो पेरिस में पदक जीत सकती है।निकहत और लवलीना उन चार भारतीय महिला मुक्केबाजों में शामिल हैं जिन्होंने जुलाई-अगस्त में होने वाले पेरिस खेलों के लिए क्वालीफाई किया है।
इसके अलावा प्रीति पवार (54 किग्रा) और परवीन हुड्डा (57 किग्रा) भी पेरिस खेलों के लिए क्वालीफाई कर चुकी हैं।फर्नांडेज को उम्मीद है कि भारत के पुरुष मुक्केबाज भी पेरिस खेलों के लिए क्वालीफाई करने में सफल रहेंगे। यह हालांकि 23 मई से तीन जून तक होने वाले दूसरे और अंतिम विश्व क्वालीफायर पर निर्भर करेगा। इस टूर्नामेंट में पेरिस खेलों के 51 कोटा दांव पर लगे होंगे और भारतीय मुक्केबाज नौ और कोटा हासिल कर सकते हैं।
उन्होंने कहा, मुझे लगता है कि निशांत देव और अमित पंघाल पेरिस कोटा हासिल कर सकते हैं। उन दोनों में ऐसा करने की क्षमता है। पुरुष मुक्केबाजी काफी कड़ी है और इसकी तुलना महिला वर्ग से नहीं होनी चाहिए जहां प्रतिस्पर्धा तुलनात्मक रूप से आसान है। (भाषा)