देश के खेल इतिहास में कुछ खिलाड़ियों के नाम कभी न मिटने वाली स्याही से लिखे गए हैं। इनकी उपलब्धियां अपने आप में एक मिसाल और आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणास्रोत बनी हैं। तेलंगाना की निकहत जरीन भी महिलाओं की विश्व बॉक्सिंग चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीतकर इस कतार में शामिल हो गई हैं और उनका प्रदर्शन इस बात की गवाही देता है कि देश को अगली मैरीकॉम मिल गई है।
समय का फेर देखिए एक बार मैरी कॉम ने कहा था कि वह निखत जरीन को नहीं जानती और अब निखत अगली मैरी कॉम बनने को तैयार खड़ी है। जरीन ने दो साल पहले तत्कालीन खेल मंत्री किरेन रिजिजू को पत्र लिखकर ओलंपिक क्वालीफायर के लिये निष्पक्ष ट्रायल करवाने का आग्रह किया था। इस कारण जरीन को सोशल मीडिया पर ट्रोल किया गया था, जबकि एमसी मेरीकॉम ने कड़े शब्दों में पूछा था कौन निखत ज़रीन?जरीन इसके बाद ट्रायल में मेरीकॉम से हार गयी जिससे वह तोक्यो ओलंपिक में जगह नहीं बना पायी।इस वाक्ये के बाद दोनों में मनमुटाव भी काफी बढ़ गया था।
अपने ताबड़तोड़ हमलों से प्रतिद्वंद्वी को संभलने का मौका न देने वाली फुर्तीली निकहत जरीन ने तुर्की के इस्तांबुल में हाल ही में हुई विश्व बॉक्सिंग चैंपियनशिप की फ्लाईवेट (52 किलाग्राम) स्पर्धा के फाइनल में थाईलैंड की जितपोंग जूतामास को एकतरफा मुकाबले में 5-0 से हराकर स्वर्ण पदक पर कब्जा जमाने के साथ ही खुद को मैरिकॉम की सशक्त उत्तराधिकारी के तौर पर पेश किया।
उनकी इस जीत पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, पूर्व विश्व चैंपियन एल सरला देवी और जैनी आरएल सहित खेल और फिल्म जगत की तमाम बड़ी हस्तियों ने उन्हें बधाई दी और आने वाले समय में उनके लिए इसी तरह की और उपलब्धियां हासिल करने की कामना की।
खुद निकहत भी आने वाली प्रमुख प्रतियोगिताओं को लेकर आशान्वित हैं। इस मामले में उनका पहला लक्ष्य राष्ट्रमंडल खेलों में स्वर्ण पदक जीतना है। निकहत का कहना है कि वह अब इन खेलों पर अपना ध्यान केंद्रित करेंगी। राष्ट्रमंडल खेलों में 52 किलोग्राम की बजाय 50 किलोग्राम वर्ग होता है इसलिए उन्हें दो किलाग्राम वजन कम करना होगा।
13 साल की उम्र में ही निखत ने चुनी बॉक्सिंग
निकहत जरीन का जन्म 14 जून 1996 को आंध्र प्रदेश (अब तेलंगाना) के निज़ामाबाद में मुहम्मद जमील अहमद और परवीन सुल्ताना के घर हुआ। उन्होंने निजामाबाद के ही निर्मल हृदय गर्ल्स हाई स्कूल से प्रारंभिक शिक्षा ग्रहण की और हैदराबाद के एवी कॉलेज से कला स्नातक की डिग्री हासिल की।
निकहत को छुटपन से ही खेलों में रूचि थी और 13 साल की उम्र में ही उन्होंने बॉक्सिंग शुरू कर दी थी। जब 2009 में उन्होंने विशाखापत्तनम स्थित भारतीय खेल प्राधिकरण में आईवी राव से मुक्केबाजी का बाकायदा प्रशिक्षण लेना शुरू किया। द्रोणाचार्य पुरस्कार से सम्मानित गुरू के मार्गदर्शन में निकहत ने स्थानीय प्रतियोगिताओं में भाग लेकर अपने प्रदर्शन में लगातार सुधार किया और 2010 में नेशनल सब जूनियर मीट में अपना पहला स्वर्ण पदक जीतकर अपने अभियान की सुनहरी शुरूआत की।
इसके बाद तुर्की में 2011 के महिला जूनियर और यूथ वर्ल्ड बॉक्सिंग चैंपियनशिप में उन्हें फ्लाइवेट डिवीज़न में अपना पहला अंतरराष्ट्रीय स्वर्ण पदक हासिल हुआ। 2013 में बुल्गारिया में महिला जूनियर और युवा विश्व मुक्केबाज़ी चैंपियनशिप में निकहत जरीन को रजत पदक से संतोष करना पड़ा, लेकिन 2014 में ज़रीन ने सर्बिया में आयोजित तीसरे नेशन्स कप इंटरनेशनल बॉक्सिंग टूर्नामेंट में अपनी स्वर्णिम सफलता को दोहराया।
इसके बाद साल दर साल निकहत जरीन राष्ट्रीय और अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर अपने ताकतवर मुक्कों से विभिन्न मुकाबलों में जीत की कहानी लिखती रहीं और अब विश्व चैंपियन बनने के बाद वह राष्ट्रमंडल खेलों और फिर ओलंपिक खेलों में भारत के लिए स्वर्ण पदक लाने की तैयारी कर रही हैं।