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विश्वनाथन आनंद की कमी दूसरे खिलाड़ी पूरी करेंगे : प्रसाद

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सीमान्त सुवीर

, शनिवार, 24 सितम्बर 2016 (21:21 IST)
जब दो बार के सीनियर नेशनल चैम्पियन, 14 बार भारतीय सीनियर में टॉप 6 खिलाड़ियों में शुमार, पश्चिम एशिया के सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी और तीन शतरंज ओलंपियाड में भारतीय टीम का हिस्सा रहे पूर्व कप्तान डीवी प्रसाद यह कहें कि विश्वनाथन आनंद के बाद विश्व स्तर पर भारत का नाम चमकाने के लिए युवा खिलाड़ी आगे आ रहे हैं, तब उनकी बात पर भरोसा किया जा सकता है। खासकर तब जब विश्वनाथन का खेल उतार पर है, तब यह नहीं सोचना चाहिए कि उनके बाद कौन है जो शतरंज की बिसात पर दुनिया को टक्कर देने की कूवत रखता है...
शतरंज में देश के सर्वोच्च खेल पुरस्कार 'अर्जुन अवॉर्ड' से सम्मानित इंडियन ऑयल मुंबई में सीनियर मैनेजर के पद पर कार्यरत डीवी प्रसाद 'अभय प्रशाल' में खेली जा रही अंतर क्षेत्रीय मीट के सिलसिले में ऑफिशियल बनकर इंदौर आए हुए हैं और उन्होंने 'वेबदुनिया' से विशेष बाचतीत में स्वीकार किया कि आनंद के बाद एक गेप हो गया क्योंकि उनके स्तर का दूसरा खिलाड़ी वहां तक नहीं पहुंचा है। 
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उन्होंने कहा कि पी. हरिकृष्णा भारत के दूसरे सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी हैं, उनकी रैंकिंग 100 के ऊपर है। हरिकृष्णा के अलावा विनीत गुजराती, डी. अधिमान और सेतुरामन ऐसे खिलाड़ी हैं, जो भारतीय शतरंज की उजली विरासत को आगे ले जाएंगे। मुझे पूरा भरोसा है कि ये खिलाड़ी जरूर भारत का नाम रोशन करेंगे। यही नहीं, हाल ही में 14 सितम्बर को अजरबेजान के डाकू शहर में हुए शतरंज ओलंपियाड में भारत की पुरुष सीनियर टीम 180 देशों में चौथे स्थान पर रही, जबकि महिला टीम ने पांचवां स्थान पाया। लंबे समय बाद इतना अच्छा परिणाम आया है। पुरुष टीम संयुक्त रूप से आगे चल रही थी लेकिन एक गेम में हार के कारण वह पदक से चूक गई। 
 
भारतीय शतरंज टीम के पूर्व कप्तान प्रसाद का कहना है कि शतरंज में हमारा बेस बहुत मजबूत है। विभिन्न आयु समूह के एशियन और विश्वस्तरीय टूर्नामेंट में भारत के अंडर 8, 9 और 10 के खिलाड़ी चैम्पियन बन रहे हैं। यह अलग बात है कि मीडिया की नजर उनकी ओर नहीं जाती। मीडिया को चाहिए कि वह भी इन बच्चों को बढ़ावा दे। 
 
शतरंज की अकादमी खोलना चाहते हैं प्रसाद : प्रसाद ने बताया कि मैं इस वक्त उम्र के 54वें पड़ाव पर हूं और इंडियन ऑयल की व्यस्तता के कारण कोचिंग में ज्यादा वक्त नहीं दे पाता हूं। 2-3 साल के बाद मैं खुद की अकादमी खोलना चाहता हूं, जहां 'ग्रासरूट लेवल' से भारत के लिए खिलाड़ी तैयार करूंगा और देश को अपने अनुभव का लाभ दूंगा। हालांकि मेरे शिष्य रोहित ने इंटरनेशनल मास्टर्स टूर्नामेंट जीता है। इसके अलावा भी मेरे कई खिलाड़ी इंटरनेशनल मास्टर्स बने या फिर इंटरनेशनल 'नार्म' हासिल किया। 
 
1987 में शतरंज में मिला 'अर्जुन पुरस्कार' : डीवी प्रसाद को 1987 में शतरंज में 'अर्जुन अवॉर्ड' से सम्मानित किया गया था। 1987 में लंदन में वे कॉमनवेल्थ चैम्पियनशिप में चैम्पियन बने थे। इसके अलावा 1987 में ही उन्होंने हांगकांग में एशियन शतरंज चैम्पियनशिप में स्वर्ण पदक प्राप्त किया था। यही नहीं उनकी कप्तानी में यहां भारत ने टीम इवेंट का रजत पदक भी हासिल किया था। इसी प्रदर्शन के बूते उनका चयन अर्जुन अवॉर्ड के लिए किया गया था। अर्जुन अवॉर्ड के अलावा प्रसाद को केंद्रीय मानव संसाधन मंत्रालय की तरफ से तीन बार नकद पुरस्कार और कर्नाटक सरकार की तरफ से पांच पुरस्कार मिले हैं। 
 
12 साल की उम्र में खेले सीनियर नेशनल : प्रसाद का जन्म चेन्नई में हुआ, लेकिन पढ़ाई-लिखाई बेंगलुरु में हुई। उनके पिता स्व. वैंकटरामन खुद राज्यस्तरीय खिलाड़ी थे। वे तमिलनाडु और कर्नाटक की तरफ से स्टेट खेले। मैंने 8 साल की उम्र से शतरंज खेलना प्रारंभ किया और 9 साल की उम्र में पहली बार स्पर्धात्मक मुकाबले खेले। कर्नाटक में जब मेरी उम्र 12 साल थी, तब पहली बार सीनियर नेशनल में चयन हुआ और मैं पटना खेलने गया। यह बात 1974 की है। मैं जूनियर में देश का नंबर 2 खिलाड़ी था, इसीलिए मैं जूनियर इंडियन टीम का हिस्सा बना। सीनियर में 2 बार नेशनल चैम्पियन बना और 1985 से लेकर 2000 तक 14 बार भारत की तरफ से खेला और देश में टॉप 6 खिलाड़ियों में रहा। 
 
शतरंज ओलंपियाड में प्रसाद कप्तान थे और विश्वनाथन आनंद खिलाड़ी : प्रसाद ने 1986 में दुबई में आयोजित शतरंज ओलंपियाड में भारत की कप्तानी की और तब विश्वनाथन आनंद टीम में बतौर खिलाड़ी की हैसियत से शामिल हुए। बाद में आनंद ने शतरंज की दुनिया में शीर्ष स्थान लंबे समय तक कायम रखा और देश का नाम रोशन किया। इसके बाद दोहा में प्रसाद एशियन जोनल चैम्यियन बने और पश्चिम एशिया के नंबर एक शतरंज खिलाड़ी। 
 
जब विश्व शतरंज चैम्पियन माइकल टाल को हराया : 1987 का साल प्रसाद के लिए खुशियों भरा रहा। वे पश्चिम एशिया के सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी थे और इसी बूते उन्हें यूगोस्लाविया में आयोजित अंतर क्षेत्रीय इंटरनेशनल टूर्नामेंट में खेलने का मौका मिला। यहां पर उन्होंने पूर्व विश्व शतरंज चैम्पियन माइकल टाल को शिकस्त दी। प्रसाद उस क्षण को आज भी नहीं भूले और रोमांचित होकर कहते हैं कि वह बहुत क्लासिक टूर्नामेंट था। मैंने विश्व विजेता को मात दी थी, यह कोई मामूली उपलब्धि नहीं थी। तब मैं विश्व के 60 खिलाड़ियों में शुमार था। यह मेरे शतरंज करियर का सबसे 'बेस्ट' था... 
 
इंडियन ऑयल के पास देश का क्रीम : प्रसाद ने कहा कि भारत का शतरंज क्रीम है और हमारे पास पांच ग्रैंड मास्टर्स हैं। पुरुष टीम तो पहले से ताकतवर थी, पिछले साल हमने महिला शतरंज खिलाड़ियों की भी भर्ती की है। पुरुषों में ग्रैंड मास्टर बी. अधिमान के अलावा कोलकाता के एसएस गांगुली, आंध्र के ललित बाबू, महाराष्ट्र के अभिजीत कुंटे हैं जबकि महिलाओं में द्रोणिका निहारिका (पुरुषों में ग्रैंड मास्टर), वर्तमान नेशनल चैम्पियन भुवनेश्वर की पद्मिनी राउत, महिला ग्रैंड मास्टर सोनिया स्वामीनाथन, अदिशा करवड़े और मैरी गोम्स हैं। 
 
बॉबी फिशर रहे आदर्श खिलाड़ी : प्रसाद ने बताया कि बचपन में मेरे आदर्श खिलाड़ी बॉबी फिशर रहे। बाद में कास्परोव और आनंद ने भी काफी प्रभावित किया। मैं अपनी लाइफ से पूरी तरह संतुष्ट हूं। इंदौर में भले ही मैं ऑफिशियल बनकर आया हूं लेकिन मैं रात को होटल के कमरे में एडवांस लेवल की शतरंज की किताब के कुछ पन्ने जरूर पलटता हुं। मेरा नए खिलाड़ियों को यही कहना है कि उन्हें अधिक मेहनत करनी पड़ेगी और खेल को थोड़ा क्रिएटिव बनाना होगा। सिर्फ किताब और कम्प्यूटर के भरोसे बाजियां नहीं जीती जातीं। 

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