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देश का पहला इनडोर बास्केटबॉल स्टेडियम इंदौर में

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सीमान्त सुवीर

ओलंपिक में भले ही भारतीय बास्केटबॉल टीम की स्पर्धात्मक हैसियत नहीं हासिल नहीं करती, लेकिन इसके बावजूद पूरे देश के साथ ही साथ इंदौर में भी इस खेल की प्रतिभाओं को संवारने की जद्दोजहद जारी है। बरसों इस काम में लगे हैं कॉर्पोरेशन एरिया बास्केटबॉल ट्रस्ट के साथ ही साथ नेशनल बास्केटबॉल एकेडमी के सचिव भूपेन्द्र बंडी और उनके कर्मठ साथी। बंडी के इसी जूनुन के कारण इंदौर को इनडोर बास्केटबॉल स्टेडियम की सौगात मिलने जा रही है। देश में किसी ट्रस्ट का यह पहला निजी बास्केटबॉल स्टेडियम होगा, जो पूरी तरह वातानुकुलित रहेगा। ढाई करोड़ रुपए की लागत से बनने वाला अंतरराष्ट्रीय मानकोंं वाला यह स्टेडियम इसी साल के अंत तक पूर्ण हो जाएगा। 
भूपेन्द्र बंडी उम्र के 68वें पड़ाव पर हैं। जिंदगी के इन 68 सालों में से उन्होंने 55 साल बास्केटबॉल को समर्पित कर दिए, वह भी नि:स्वार्थ। खुद तीन नेशनल खेले हैं लेकिन बाद में उन्होंने बास्केटबॉल संगठन को अपनी सेवाएं देनी शुरू कर दीं, जो आज तक बदस्तूर जारी है। बंडी और उनके साथ कंधे से कंधा लगाकर चल रही टीम के इसी बास्केटबॉल प्रेम का नतीजा है कि शहर के दिल में बसे 'रेसकोर्स रोड' पर जहां कभी स्वीमिंग पूल हुआ करता था, उस जगह नया इनडोर बास्केटबॉल स्टेडियम अपना मूर्त रूप ले रहा है। 12 हजार 110 स्कवेयर फुट में बनने वाले इस निर्माणाधीन स्टेडियम का भूमिपूजन 26 मार्च 2016 को हुआ और 31 दिसंबर 2016 वह तैयार भी हो जाएगा। 
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मात्र नौ माह में इनडोर स्टेडियम का बनना वाकई अपने आपमें यह मिसाल कायम करेगा। स्टेडियम के निर्माण के लिए कैलासा फाउंडेशन ट्रस्ट के सुनील त्रिवेदी (गुजराती समाज) ने 1 करोड़ रुपए का दान दिया जबकि इंदौर की सांसद और स्पीकर सुमित्रा महाजन ने सांसद निधि से 20 लाख का डोनेशन दिया। विधायक निधि से भी दान मिला है जबकि मध्यप्रदेश शासन ने स्टेडियम के निर्माण में न तो मदद की है और न ही बास्केटबॉल ट्रस्ट ने एप्रोच किया है। लोगों के दान से ही इस इनडोर स्टेडियम का निर्माण कार्य तेज गति से आगे बढ़ रहा है। यह काम इंजीनियर अजय सिसोदिया, पंकज रोकड़िया और एचआई मेहता की देखरेख में हो रहा है जबकि कांट्रेक्टर हैं संजय गोयल। सभी काम की मॉनिटरिंग खुद भूपेन्द्र बंडी करते हैं। 
 
55 साल किसी खेल को देना सुनने में वाकई हैरत डालने वाला है, लेकिन इस वाकई बंडी ने यह कर दिखाया है। यह उनका बास्केटबॉल जुनून है...अपने जरूरी काम निपटाने के बाद वे पूरा वक्त बास्केटबॉल को देते हैं। बास्केटबॉल उन्हें क्या देता है, यह तो मालूम नहीं लेकिन कम से कम उन्हें इस बात का आत्मिक सुख जरूर मिलता होगा कि उन्होंने अपनी उम्र के पचपन साल व्यर्थ नहीं गंवाए, जिंदगी के ये हसीन साल एक ऐसे खेल को समर्पित किए, जो उनकी सांसों में बसा हुआ है... 
 
यूं तो इंदौर शहर को मध्यप्रदेश की औद्योगिक राजधानी के साथ ही साथ खेल राजधानी माना जाता है। यहां पर दानवीरों की कमी नहीं है...1997 में जब खराब पिच के कारण सरकारी नेहरू स्टेडियम में भारत और श्रीलंका का मैच कुछ ही ओवर के बाद रद्द कर दिया गया था, तब मध्यप्रदेश क्रिकेट एसोसिएशन के अध्यक्ष माधवराव सिंधिया खुद का क्रिकेट स्टेडियम बनाने की ठानी और उन्हें इस काम में मुक्त हस्त से दान भी मिला। आज आप जिस होल्कर स्टेडियम में कई वन-डे इंटरनेशनल मैचों के बाद भारत-न्यूजीलैंड का पहला टेस्ट मैच देखने जा रहे हैं, ये सब माधवराव सिंधिया और उनकी ईमानदार टीम जिद का ही परिणाम है...
 
ठीक उसी तर्ज पर बास्केटबॉल ट्रस्ट की जिद है कि उसका अपना निजी इनडोर स्ट‍ेडियम हो, जिसमें सिर्फ खेल की गतिविधि ही संचालित की जाएं। जहां पर ईमानदारी से प्रयास किए जाएं वहां कायमाबी जरूर मिलती है, यही कामयाबी भूपेन्द्र बंडी के हिस्से में भी आ रही है। बंडी के साथ ही साथ वरिष्ठ पत्रकार अभिलाष खांडेकर, अविनाश आनंद, लक्ष्मीकांत पटेल, प्रो. एसके बंडी, रवि भास्कर, सुनील हार्डिया और सुरेन्द्र सिंह गढ़ा भी ट्रस्टी हैं और जब ऐसे कर्मठ लोगों की टीम हो तो यकीनन देश का यह पहला निजी इनडोर बास्केटबॉल स्टेडियम साल के अंत तक पूरा हो ही जाना चाहिए। 
 
स्टेडियम को मदद मिलने की एक वजह यह भी है कि यहां पिछले 15 सालों से बास्केटबॉल की गतिविधियां संचालित की जा रही हैं वह भी पूरी तरह नि:शुल्क। भारतीय खेल प्राधिकरण (साई) की तरफ से हरजिंदर सिंह की बतौर कोच नियुक्त हैं, जिनकी सरपरस्ती में रोजाना 500 बच्चे सिर्फ बास्केटबॉल के गुर ही नहीं, एक अनुशासन भी सीखते हैं। सुबह 6.30 से 8.30 और शाम 5 से लेकर 10 बजे तक बास्केटबॉल का अभ्यास करते हुए बच्चों को देखा जा सकता है। इसी मैदान ने भाग्यश्री जोशी जैसी खिलाड़ी दी, जो जूनियर इंडिया की तरफ से खेली। कुलदीप हार्डिया जैसा राष्ट्रीय सितारा भी यहीं से खेल के गुर सीखा है।

जब अंतरराष्ट्रीय मानकों वाला इनडोर बास्केटबॉल स्टेडियम बन जाएगा, तब पता नहीं और कितनी प्रतिभाओं को यह शहर देश को देने की कूवत रखेगा...स्टेडियम के बनने के बाद निश्चित रूप से इंदौर का रेसकोर्स रोड 'स्पोर्ट्‍स हब' बन जाएगा, क्योंकि यहां पर क्रिकेट, टेनिस, टेबल टेनिस और बास्केटबॉल के इंटरनेशनल इवेंट्‍स बिना किसी बाधा के होंगे... 

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