नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) ने फिट इंडिया आंदोलन (Fit India movement) के एक साल पूरे होने पर गुरुवार को सभी देशवासियों के अच्छे स्वास्थ्य (Health) की कामना करते हुए फिटनेस मंत्र दिया...'फिटनेस की डोज़, आधा घंटा रोज।'
मोदी ने कहा, फिट इंडिया मूवमेंट ने अपना एक साल एक ऐसे समय में पूरा किया है, जिसमें से करीब-करीब 6 महीने अनेक प्रकार के प्रतिबंधों के बीच हमें गुजारा करना पड़ा है। लेकिन फिट इंडिया मूवमेंट ने अपने प्रभाव और प्रासंगिकता को इस कोरोना काल में सिद्ध करके दिखाया है। वाकई, फिट रहना उतना मुश्किल काम नहीं है जितना कुछ लोगों को लगता है। थोड़े से नियम से और थोड़े से परिश्रम से आप हमेशा स्वस्थ रह सकते हैं।
उन्होंने कहा कि 'फिटनेस की डोज़, आधा घंटा रोज' इस मंत्र में सभी का स्वास्थ्य और सभी का सुख छिपा हुआ है। फिर चाहे योग हो या बैडमिंटन, टेनिस हो या फुटबॉल, कराटे हो या कबड्डी, जो भी आपको पसंद आए, कम से कम 30 मिनट रोज़ कीजिए। अभी हमने देखा, युवा मंत्रालय और स्वास्थ्य मंत्रालय ने मिलकर फिटनेस प्रोटोकॉल भी जारी किया है।
प्रधानमंत्री ने कहा, आज देश को प्रेरणा देनेवाले ऐसे सात महानुभावों का भी मैं विशेष रूप से आभार व्यक्त करता हूं क्योंकि आपने समय निकाला और आपके खुद के अनुभवों को बताया। आपने फ़िट्नेस के भिन्न-भिन्न आयामों पर खुद के जो अपने अनुभव शेयर किए वो निश्चित रूप से देश की हर पीढ़ी को बहुत ही लाभकारी होंगे, ऐसा मुझे लगता है। आज की यह चर्चा हर आयु वर्ग के लिए और भिन्न- भिन्न रूचि रखने वालों के लिए भी बहुत ही उपयोगी होगी। फिट इंडिया मूवमेंट की पहली वर्षगांठ पर मैं सभी देशवासियों के अच्छे स्वास्थ्य की कामना करता हूं।
उन्होंने कहा, एक साल के भीतर-भीतर ये फिटनेस मूवमेंट लोगों का आंदोलन भी बन चुका है और सकारात्मकता का आंदोलन भी बन चुका है। देश में हेल्थ और फिटनेस को लेकर निरंतर जागरूकता बढ़ रही है और गतिविधियां भी बढ़ी हैं। मुझे खुशी है कि योग, आसन, व्यायाम, वॉकिंग, रनिंग, स्वीमिंग, खाने की अच्छी आदतें, अच्छी जीवन शैली, अब ये हमारी स्वाभाविक जागरूकता का हिस्सा बन रहा है।”
मोदी ने कहा, आज दुनियाभर में फिटनेस को लेकर जागरूकता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने खाने, शारीरिक गतिविधि और स्वास्थ्य को लेकर वैश्विक रणनीति बनाई है। शारीरिक गतिविधियों पर वैश्विक सिफारिशें भी जारी की हैं। आज दुनिया के अनेक देशों ने फिटनेस को लेकर नए लक्ष्य बनाए हैं और उन पर अनेक मोर्चों पर वो काम कर रहे हैं, अनेक प्रकार के काम कर रहे हैं। ऑस्ट्रेलिया, जर्मनी, ब्रिटेन, अमेरिका ऐसे अनेक देशों में इस समय बड़े पैमाने पर फिटनेस अभियान चल रहा है कि उनके ज्यादा से ज्यादा नागरिक रोजाना शारीरिक गतिविधि करें और शारीरिक गतिविधि के रूटीन से जुड़ें।
उन्होंने कहा, हमारे आयुर्विज्ञान शास्त्रों में कहा गया है- सर्व प्राणि भृताम् नित्यम्, आयुः युक्तिम् अपेक्षते। दैवे पुरुषा कारे च, स्थितम् हि अस्य बला बलम्। अर्थात, संसार में श्रम, सफलता, भाग्य, सब कुछ आरोग्य पर ही निर्भर करता है। स्वास्थ्य है, तभी भाग्य है, तभी सफलता है। जब हम नियमित रूप से व्यायाम करते हैं, खुद को फिट और मजबूत रखते हैं। एक भावना जागती है कि हां हम स्वयं के निर्माता हैं। एक आत्मविश्वास आता है। व्यक्ति का यही आत्मविश्वास उसको जीवन के अलग अलग क्षेत्रों में भी सफलता दिलाता है। यही बात परिवार, समाज और देश पर भी लागू है। एक परिवार जो एक साथ खेलता है, एक साथ फिट भी रहता है।
मोदी ने कहा, इस महामारी के दौरान कई परिवारों ने यह प्रयोग करके देखा है। साथ में खेले, साथ में योग-प्राणायाम किया, एक्सरसाइज की, मिलकर पसीना बहाया। अनुभव यह आया कि यह फिजिकल फिटनेस के लिए तो उपयोगी बना ही लेकिन उसका एक और बाई प्रोडक्ट के रूप में भावुक जुड़ाव , बेहतर समझ, आपसी सहयोग जैसी अनेक बातें भी परिवार की एक ताकत बन गई। सहजता से उभर करके आई।
उन्होंने कहा, आम तौर ये भी देखने में आता है कि कोई भी अच्छी आदत होती है, उसे हमारे माता-पिता ही हमें सिखाते हैं। लेकिन फिटनेस के मामले में अब थोड़ा उल्टा हो रहा है। अब युवा ही पहल ले रहे हैं और माता-पिता को भी एक्सरसाइज करने, खेलने के लिए प्रेरित करते हैं। (वार्ता)