नई दिल्ली। रियो जाने वाले भारतीय टेबल टेनिस दल में सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है। देश के शीर्ष खिलाड़ी सौम्यजीत घोष ने घरेलू टूर्नामेंट में वॉकओवर देने का फैसला किया क्योंकि वह एक निश्चित प्रकार की गेंद से खेलना नहीं चाहते थे जिससे मुख्य राष्ट्रीय कोच भवानी मुखर्जी और टीटीएफआई के शीर्ष अधिकारी गुस्से में हैं।
घोष इस समय भारत के शीर्ष रैंकिंग के खिलाड़ी हैं जो विश्व रैंकिंग में 68वें स्थान पर हैं। यह घटना आज जयपुर में चल रही अंतर संस्थानिक टेटे चैम्पियनशिप की है जिसमें घोष ने अपने नियोक्ता पैट्रोलियम खेल संवर्धन बोर्ड (पीएसपीबी) के लिए टीम स्पर्धा खेलने के बाद व्यक्तिगत स्पर्धा में वॉकओवर देने का फैसला किया।
इसका कारण डीएचएस गेंद के बजाय जीकेआई गेंद (घरेलू टूर्नामेंट में इस्तेमाल की जाने वाली) का इस्तेमाल किया जाना था। रियो में डीएचएस गेंद इस्तेमाल की जाएगी।
हालांकि तीसरा ओलंपिक खेलने जा रहे सीनियर पेशेवर और अनुभवी खिलाड़ी शरत कमल को गेंद से कोई समस्या नहीं थी। इससे टीटीएफआई के आला अधिकारी और राष्ट्रीय कोच मुखर्जी काफी गुस्से में थे क्योंकि इसका मतलब है कि शनिवार को तड़के टीम के रियो रवाना होने से पहले वह अहम अभ्यास मैच से महरूम हो जाएगा।
मुखर्जी ने कहा, मैं घोष के रवैए से बिलकुल भी खुश नहीं हूं। जब शरत जैसे बड़े खिलाड़ी को खेलने में कोई दिक्कत नहीं हो रही तो उसे भी खेलना चाहिए था जबकि रियो बिलकुल करीब है। वैसे भी गेंद का मुद्दा कोई बड़ा नहीं है क्योंकि पूरी दुनिया में अलग-अलग तरह की गेंद का इस्तेमाल किया जाता है और बतौर पेशेवर खिलाड़ी आपको उछाल के साथ सामंजस्य बिठाने की जरूरत होती है।
मुखर्जी ने कहा, सरकार ने रियो की तैयारियों के लिए इतना पैसा खर्च किया है और आदर्श यही होता कि घोष देश के अन्य शीर्ष खिलाड़ियों के खिलाफ खेल लेता। यह उसके लिए अच्छा मैच अभ्यास हो जाता। वहीं घोष ने अपने बचाव में कहा कि अलग गेंद से खेलने का जोखिम लेना सही नहीं होता। (भाषा)