बर्लिन:दक्षिण जर्मनी के राज्य बेवेरिया के अधिकारियों ने कहा है कि वे 1972 म्यूनिख ओलंपिक के दौरान खिलाड़ियों पर हुए हमले से जुड़ी सभी फाइल जारी कर रहे हैं जिन्हें इससे पहले कभी प्रकाशित नहीं किया गया।इस हमले में जान गंवाने वाले इजराइल के 11 खिलाड़ियों और कोच के रिश्तेदारों द्वारा आलोचना किए जाने के बाद यह कदम उठाया गया है।
राज्य के शीर्ष सुरक्षा अधिकारी जोकिम हरमन ने गुरुवार को कहा कि बेवेरिया अब किसी भी फाइल को छिपाकर नहीं रखेगा लेकिन उन्होंने स्वीकार किया कि संघीय अधिकारी अब भी कुछ गोपनीय फाइल को अपने पास रख सकते हैं।
क्या था मामला
फलस्तीन के समूह ब्लैक सितंबर ने पांच सितंबर 1972 को इजराइली टीम के कई सदस्यों को बंधक बना लिया। उनका उद्देश्य इजराइल की जेलों में बंद कैदियों और पश्चिम जर्मनी की जेल में बंद दो वामपंथी चरमपंथियों को रिहा कराना था। बंधकों को बचाने के अभियान के दौरान 11 इजराइली खिलाड़ियों और पश्चिम जर्मनी का एक पुलिस अधिकारी मारा गया था।
हालांकि इस घटना के बाद इजरायल की शीर्ष खूफिया एजेंसी मोसाद ने कई सालों की जासूसी और मुखबिरी के बाद इन आतंकवादियों को मौत के घाट उतार दिया था। इस घटना पर एक हॉलीवुड की प्रसिद्ध फिल्म म्यूनिख भी बन चुकी है।
मोसाद की ऑपरेशन ब्लैक सेंप्टेंबर पर योजना
साल 1972 में म्यूनिख ओलंपिक खेलों के आयोजन के दौरान ओलंपिक विलेज में हथियारों से लैस आतंकवादी घुस गए। ये फलस्तीन लिबरेशन ऑर्गनाइजेशन से जुड़े आतंकी थे। उन्होंने 11 इसराइली खिलाड़ियों को बंधक बना लिया। इसके बाद उन्होंने जेलों में बंद 234 फलस्तीनियों को रिहा करने की मांग रखी।
इसके बाद इसराइली सेना की खुफिया एजेंसी मोसाद टीम के शॉर्प शूटरों ने आतंकियों को निशाना बनाना शुरू कर दिया। खुद को चारों तरफ से घिरता देख आतंकियों ने निहत्थे खिलाड़ियों पर गोलियां बरसाना शुरू कर दिया। एक हेलीकॉप्टर को बम से उड़ा दिया गया। फिर दूसरे हेलीकॉप्टर में बैठे खिलाड़ियों को भी गोलियों से भून दिया गया। कुछ ही मिनटों में एयरबेस पर मौजूद हर आतंकी मारा गया। साथ ही इसराइल के 9 खिलाड़ी भी आतंकियों की गोलियों के शिकार बन गए। फलस्तीनी आतंकवादियों ने इसराइल के 11 खिलाड़ियों को म्यूनिख ओलंपिक में बंधक बनाया और उन्हें मार दिया। इस खौफनाक मिशन को अंजाम देने वाले 8 आतंकी भी मारे गए।
इसराइली सेना के 'रैथ ऑफ गॉड'
इसराइली सेना ने अपनी खुफिया एजेंसी मोसाद की मदद से उन सभी लोगों के कत्ल की योजना बनाई, जिनका वास्ता ऑपरेशन ब्लैक सेंप्टेंबर से था। इस मिशन को नाम दिया गया 'रैथ ऑफ गॉड'। म्यूनिख नरसंहार के दो दिन के बाद इसराइली सेना ने सीरिया और लेबनान में मौजूद फलस्तीन लिबरेशन ऑर्गेनाइजेशन के 10 ठिकानों पर बमबारी की और करीब 200 आतंकियों और आम नागरिकों को मौत के घाट उतार दिया।