झज्जर। अर्जुन अवॉर्डी वीरेंद्र सिंह पहलवान ने रांची में आयोजित हुए 'नेशनल गेम्स ऑफ डेफ' में कर्नाटक के पहलवान को पराजित करते हुए स्वर्ण पदक जीतने में सफलता हासिल की।
अपने क्षेत्र में गूंगा पहलवान के नाम से प्रसिद्ध वीरेंद्र पहलवान तीन बार पहले भी मूक-बधिर ओलंपिक में गोल्ड जीत चुके हैं। अब उन्होंने रांची में भी अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाते हुए स्वर्ण पदक पर कब्जा जमाया।
वीरेंद्र पहलवान ने पिछले दिनों आयोजित हुई विश्व मूकबधिर कुश्ती चैंपियनशिप में भी स्वर्ण पदक प्राप्त किया था। भारत सरकार की तरफ से उनकी उपलब्धियों को लेकर पिछले वर्ष तत्कालीन राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने उन्हें 'अर्जुन अवॉर्ड' से नवाजा था।
सासरोली गांव निवासी पहलवान वीरेंद्र ने वर्ष 2005 में ऑस्ट्रेलिया के मेलबोर्न में, 2013 में बुल्गारिया में व 2017 में तुर्की में हुए डेफ ओलंपिक में भी स्वर्ण जीत चुके हैं। इससे पहले भी उन्होंने राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कुश्ती मुकाबलों में अनेक पदक जीते हैं।
फिलहाल उनका परिवार दिल्ली में तीस हजारी कोर्ट के पीछे कुतुब रोड सदर बाजार में रहता है। वे समय-समय पर गांव में आते रहते हैं और वीरेंद्र सिंह भी आसपास क्षेत्र में होने वाले कुश्ती दंगलों में भाग लेते हैं। उनके पिता अजीत सिंह का कहना है कि वीरेंद्र पहलवान कोच द्रोणाचार्य अवॉर्डी राव महावीर सिंह से प्रशिक्षण ले रहा है।
उनका कहना है कि उनका पुत्र मूकबधिर होने के बाद भी देश की झोली में अनेक पदक डाल चुका है। इससे उन्हें काफी खुशी है कि वीरेंद्र ने देश में ही नहीं बल्कि विदेशों में भी भारत को मान बढ़ाया है।