रविशंकर जयाद्रिथा शास्त्री पूर्व भारतीय क्रिकेटर हैं। वे 2014 से भारतीय क्रिकेट टीम के एक्टिंग डायरेक्टर भी हैं। रवि शास्त्री 1981 से 1992 के दौरान टेस्ट मैचों और एकदिवसीय मैचों के लिए भारतीय टीम का हिस्सा रहे। रवि शास्त्री ने एक बाएं हाथ के गेंदबाज के रूप में अपना करियर शुरू किया था और बाद में वे ऑलराउंडर के रूप में टीम में कमाल करते रहे।
स्टाइल
एक बल्लेबाज के तौर पर रवि शास्त्री अपने प्रसिद्ध चपाती शॉट (पैड्स पर फ्लिक a flick off the pads) के साथ डिफेंसिव रहे, परंतु वे अपने स्ट्राइक रेट को आवश्यकता के अनुसार बढ़ा लेते थे। रवि शास्त्री को उनके कद का बहुत फायदा मिला। उनके 6 फीट 3 इंच होने के कारण जहां वे फास्ट बॉलरों के विरुद्ध कुछ ही शॉट खेल पाते थे वहीं स्पिन गेंदबाजी के खिलाफ वे बहुत तेज उठाकर शॉट मारते थे।
शास्त्री मैचों में ओपनिंग करते थे या मिडिल ऑर्डर में आते थे। उनके करियर का खास पल उनके 'चैंपियन ऑफ चैंपियंस' चुने जाने पर था। वे 1985 की वर्ल्ड चैंपियनशिप ऑफ क्रिकेट के लिए ऑस्ट्रेलिया में इस खिताब से नवाजे गए थे। इस दौरान उन्होंने वेस्टइंडीज के गैरी सोबर्स के 1 ओवर में 6 छक्के लगाने के रिकॉर्ड की बराबरी की थी।
कप्तान के तौर पर
रवि शास्त्री को काफी काबिल कप्तान माना गया, परंतु उनकी क्रिकेट बाहर की इमेज ने उनके करियर को नुकसान पहुंचाया। इसके अलावा वे जरूरी मौकों पर फॉर्म खो देते थे। इसके चलते उन्होंने केवल 1 टेस्ट मैच में भारत की कप्तानी की।
घरेलू क्रिकेट
घरेलू क्रिकेट में रवि शास्त्री बॉम्बे के लिए खेलते थे। उनकी कप्तानी में बॉम्बे ने रणजी ट्रॉफी पर भी कब्जा किया। शास्त्री ग्लैमोर्गन के लिए काउंटी क्रिकेट के 4 सीजन में भी खेले। 31 साल की उम्र में घुटने की चोट के कारण उन्हें संन्यास लेना पड़ गया। वे अभी बीसीसीआई के लिए कंमेंट्री करते हैं। 2014 में वे भारतीय क्रिकेट टीम के डायरेक्टर बने और 8 महीने तक पद पर बने रहे।
बचपन और शिक्षा
रवि शास्त्री का जन्म मुंबई (बॉम्बे) में हुआ। वहीं के डॉन बास्को हाईस्कूल, माटुंगा से उन्होंने अपनी पढ़ाई की। वे अकेले ऐसे लड़के थे, जो क्रिकेट में खास रुचि रखते थे। शास्त्री ने जिस कॉलेज से अध्ययन किया, वहां से कई अच्छे क्रिकेटर निकले हैं। आरए पोद्दार कॉलेज के आखिरी साल में रवि शास्त्री बॉम्बे से रणजी के लिए चुने गए, तब उनकी उम्र 17 वर्ष और 292 दिन थी। वे मुंबई के सबसे कम उम्र के क्रिकेटर थे।
अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी
टेस्ट क्रिकेट में शुरुआत के 8 महीनों के भीतर ही शास्त्री बल्लेबाजी के 10वें स्थान से ओपनिंग बल्लेबाज बन गए। उनके शांत और समझदारी से खेलने के तरीके के कारण उन्हें यह स्थान मिला था। अपने करियर के अंत तक वे बल्लेबाजी के हर स्थान पर खेल चुके थे। उन्होंने खुद माना कि बैटिंग के चलते उनकी बॉलिंग पर कम ध्यान वे दे पाए। इससे उनकी बॉलिंग प्रभावित हुई। हालांकि 1981 में ईरानी ट्रॉफी में उनका 101 रन पर 9 विकेट का रिकॉर्ड करीब 20 साल तक कायम रहा।
संन्यास के बाद
1990 के आखिर में रवि शास्त्री ने रितु सिंह से शादी की। उन्होंने टीवी पर कमेंट्रेटर के रूप में शुरुआत की। 2003 में वे एक सेलिब्रिटी मैनेजमेंट कंपनी शोडिफ वर्ल्डवाइड में हिस्सेदार बने। 2008 में 46 साल की उम्र में रवि शास्त्री की बेटी पैदा हुई।