मुंबई। शेयर बाजार में दीर्घावधि निवेश से होने वाली आय पर सरकार के कर लगाने की आशंका से सोमवार को घरेलू शेयर बाजारों में करीब एक प्रतिशत की गिरावट देखी गई और नेशनल स्टॉक एक्सचेंज का निफ्टी सात महीने के तथा बीएसई का सेंसेक्स पांच सप्ताह के निचले स्तर पर आ गया।
सेंसेक्स 0.90 प्रतिशत यानी 233.60 अंक टूटकर 21 नवंबर के बाद के निचले स्तर 25,807.10 अंक पर तथा निफ्टी 0.97 फीसदी यानी 77.50 अंक का गोता लगाकर 24 मई के बाद के निचले स्तर 7,908.25 अंक पर बंद हुआ।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को कहा था कि वित्तीय बाजारों में कारोबार करने वाले लोगों को भी अर्थव्यवस्था में समुचित योगदान देना चाहिए। इससे यह कयास लगाया जा रहा है कि सरकार आने वाले दिनों में शेयर बाजार में दीर्घकालीन पूंजी निवेश से होने वाले लाभ पर कर लगाने पर विचार कर रही है।
हालांकि वित्तमंत्री अरुण जेटली ने रविवार को एक कार्यक्रम से इतर ऐसी आशंकाओं का खंडन किया, लेकिन इससे निवेशक आश्वस्त नहीं दिखे। बाजार में चौतरफा बिकवाली रही। बीएसई के सभी समूह लाल निशान में रहें। सबसे ज्यादा 3.61 प्रतिशत की गिरावट रियलिटी समूह में दिखी। धातु, स्वास्थ्य, बेसिक मटेरियल्स एवं पीएसयू में भी दो फीसदी से अधिक की गिरावट रही।
सेंसेक्स की 30 में से 25 तथा निफ्टी की 51 में से 45 कंपनियों में बिकवाली का जोर रहा। सेंसेक्स में सबसे ज्यादा 4.94 प्रतिशत का नुकसान सिप्ला ने उठाया। ल्युपिन, टाटा स्टील, ओएनजीसी, भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) तथा पावर ग्रिड के शेयर भी दो फीसदी से अधिक टूटे। अच्छा मुनाफा कमाने वाली एकमात्र कंपनी हिंदुस्तान यूनिलिवर (1.25 प्रतिशत) रही। (वार्ता)