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इजराइल ईरान युद्ध का शेयर बाजार पर असर, भारी उतार चढ़ाव से निवेशक सतर्क

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वेबदुनिया न्यूज डेस्क

, गुरुवार, 19 जून 2025 (11:36 IST)
Share market news in hindi : वैश्विक बाजारों से कमजोर रुख के अनुरूप गुरुवार को शुरुआती कारोबार में सेंसेक्स और निफ्टी में गिरावट दर्ज की गई। हालांकि भारी उतार-चढ़ाव भरे कारोबार में दोनों ही बाद में सपाट रुख के साथ कारोबार करने लगे। ऐसा माना जा रहा है कि ईरान-इज़राइल संघर्ष के कारण निवेशकों की धारणा प्रभावित हुई है।
 
बीएसई सेंसेक्स शुरुआती कारोबार में 253.62 अंक की गिरावट के साथ 81,191.04 अंक पर जबकि एनएसई निफ्टी 73.95 अंक फिसलकर 24,738.10 अंक पर आ गया। हालांकि, बाद में दोनों बाजारों में भारी उतार-चढ़ाव देखने को मिला और वे सपाट रुख के साथ कारोबार करने लगे। हालांकि 11.30 बजे बीएसई सेंसेक्स 35 अंक गिरकर के साथ 81,483.75 अंक पर और निफ्टी 9.35 अंक की गिरावट के साथ 24,802.70 पर कारोबार कर रहा था।
 
सेंसेक्स में शामिल 30 कंपनियों में से टेक महिंद्रा, अदाणी पोर्ट्स, एचसीएल टेक, इन्फोसिस, इंडसइंड बैंक, टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज, टाटा स्टील और पावर ग्रिड के शेयर सबसे अधिक नुकसान में रहे। टाइटन, महिंद्रा एंड महिंद्रा, कोटक महिंद्रा बैंक, टाटा मोटर्स, एक्सिस बैंक और लार्सन एंड टूब्रो के शेयर लाभ में रहे।
 
एशियाई बाजारों में दक्षिण कोरिया का कॉस्पी, जापान का निक्की 225, शंघाई एसएसई कम्पोजिट और हांगकांग का हैंगसेंग नुकसान में रहे। अमेरिकी बाजार बुधवार को मिले-जुले रुख के साथ बंद हुए थे। अंतरराष्ट्रीय मानक ब्रेंट क्रूड 0.27 प्रतिशत की गिरावट के साथ 76.49 डॉलर प्रति बैरल के भाव पर रहा।
 
शेयर बाजार के आंकड़ों के मुताबिक, विदेशी संस्थागत निवेशक (FII) बुधवार को लिवाल रहे थे और उन्होंने शुद्ध रूप से 890.93 करोड़ रुपये के शेयर खरीदे। घरेलू संस्थागत निवेशकों (डीआईआई) ने भी 1,091.34 करोड़ रुपए के शेयर खरीदे।
 
शेयर ब्रोकरों को सेबी ने दी राहत : भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने बुधवार को नेशनल स्पॉट एक्सचेंज लिमिटेड (एनएसईएल) मंच पर कारोबार करने वाले कुछ शेयर ब्रोकर के लिए निपटान योजना शुरू करने की घोषणा की। इस बहु-प्रतीक्षित कदम से उन कारोबारियों को बड़ी राहत मिलने की उम्मीद है, जिनका पैसा जुलाई, 2013 में एनएसईएल भुगतान संकट के बाद से अटका हुआ है। इस योजना का चयन करके, ये ब्रोकर लंबित कार्यवाही को हल कर सकेंगे और उन्हें शीघ्र निष्कर्ष पर ला सकेंगे।
 
उदाहरण के लिए, यदि कोई एआईएफ योजना किसी कंपनी में 100 करोड़ रुपए का निवेश करती है, और कुल पूंजी की आवश्यकता 300 करोड़ रुपए है, तो कोष प्रबंधक अब योजना के तहत निवेशकों को अतिरिक्त 200 करोड़ रुपए का निवेश अवसर दे सकता है।
edited by : Nrapendra Gupta 

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