मुंबई। घरेलू शेयर बाजारों में मंगलवार को लगातार पांचवें कारोबारी सत्र में गिरावट आई। कारोबार समाप्त होने से लगभग आधा घंटा पहले तेज बिकवाली से बीएसई सेंसेक्स 703.59 अंक टूटकर बंद हुआ। वैश्विक स्तर पर नकारात्मक रुख के बीच वित्तीय और आईटी कंपनियों में बिकवाली बनी रही।
कारोबारियों के अनुसार, रूस के यूक्रेन पर हमले तेज करने के साथ विदेशी संस्थागत निवेशकों के पूंजी निकालने, रुपए की विनिमय दर में गिरावट तथा बढ़ती मुद्रास्फीति को लेकर चिंता से निवेशकों का भरोसा प्रभावित हुआ है।
उतार-चढ़ाव भरे कारोबार में तीस शेयरों पर आधारित सेंसेक्स शुरुआती कारोबार में बढ़त में खुला और ज्यादातर समय लाभ में रहा। हालांकि, कारोबार समाप्त होने से ठीक पहले बिकवाली दबाव से यह 703.59 अंक यानी 1.23 प्रतिशत की गिरावट के साथ 56,463.15 अंक पर बंद हुआ।
नेशनल स्टॉक एक्सचेंज का निफ्टी भी 215 अंक यानी 1.25 प्रतिशत टूटकर 16,958.65 अंक पर बंद हुआ। यह लगातार पांचवां कारोबारी सत्र है, जब बाजार नीचे आया है। सेंसेक्स कुल मिलाकर 5 सत्रों में 2,984.03 अंक नीचे आ गया है, जबकि निफ्टी 825.70 अंक टूटा है।
सेंसेक्स के 30 शेयरों में से एचडीएफसी लि. और एचडीएफसी बैंक सर्वाधिक नुकसान में रहे। इनमें क्रमश: 5.50 प्रतिशत और 3.73 प्रतिशत की गिरावट रही। इसके अलावा इन्फोसिस, आईटीसी, टेक महिंद्रा और एचसीएल टेक्नोलॉजीज, एचयूएल और नेस्ले इंडिया के शेयर भी प्रमुख रूप से नुकसान में रहे।
सिर्फ 4 शेयर रहे मुनाफे में : केवल चार शेयर- रिलायंस इंडस्ट्रीज, आईसीआईसीआई बैंक, भारतीय स्टेट बैंक और बजाज फाइनेंस लाभ में रहे। ट्रेडिंगो के संस्थापक पार्थ न्यति ने कहा कि बाजार में खासकर अंतिम घंटे में मंदड़िए हावी हुए। एचडीएफसी लि., एचडीएफसी बैंक और इन्फोसिस लगातार दूसरे दिन नुकसान में रहे। बाजार में पूरे दिन मजबूती रही लेकिन अंतिम घंटे में अचानक बिकवाली हुई। हमारा अनुमान है कि विदेशी संस्थागत निवेशकों ने दोपहर 2.30 के बाद संभवत: अधिक बिकवाली की।
उन्होंने कहा कि एफआईआई की बिकवाली के अलावा, ऊर्जा के दाम में तेजी, रूस-यूक्रेन युद्ध को लेकर वैश्विक स्तर पर राजनीतिक तनाव तथा अमेरिका में बांड प्रतिफल में वृद्धि बाजार के लिये चिंता के मुख्य विषय हैं।
जियोजीत फाइनेंशियल सर्विसेज के शोध प्रमुख विनोद नायर के अनुसार रूस-यूक्रेन युद्ध को लेकर वैश्विक स्तर पर राजनीतिक तनाव और कच्चे तेल तथा धातु के दाम में तेजी से बढ़ती मुद्रास्फीति बाजार के लिए चिंता के कारण हैं।
उन्होंने कहा कि गिरावट की अगुवाई फिर घरेलू आईटी कंपनियों ने की। कमजोर वित्तीय परिणाम से सूचना प्रौद्योगिकी कंपनियों के समक्ष चुनौतियों का पता चला है। वैश्विक स्तर पर कमजोर रुख के बीच एफआईआई के पैसा निकालने के साथ कारोबार समाप्त होने से पहले बिकवाली तेज रही। इसका सबसे ज्यादा असर बैंक शेयरों पर देखने को मिला।
एशिया के अन्य बाजारों में चीन में शंघाई कंपोजिट और हांगकांग का हैंगसेंग नुकसान में रहे, जबकि दक्षिण कोरिया का कॉस्पी और जापान का निक्की बढ़त में रहे। यूरोप के प्रमुख बाजारों में दोपहर के कारोबार में तेज गिरावट रही। यूक्रेन ने कहा है कि पूर्वी क्षेत्र में रूस ने हमले तेज कर दिए हैं। इसे युद्ध का अगला चरण माना जा रहा है। इसका असर यूरोप के बाजारों पर पड़ा।
अंतरराष्ट्रीय तेल मानक ब्रेंट क्रूड 1.39 प्रतिशत घटकर 111.6 डॉलर प्रति बैरल पर आ गया। अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपया 22 पैसे टूटकर 76.51 (अस्थायी) पर बंद हुआ। शेयर बाजार के आंकड़ों के अनुसार विदेशी संस्थागत निवेशकों की बिकवाली जारी है और उन्होंने सोमवार को 6,387.45 करोड़ रुपए मूल्य के शेयर बेचे।