दुबई: हाल के कुछ महीनों में अफगानिस्तान के घरेलू हालात ठीक नहीं रहे हैं। देश पर तालिबान का शासन है और अमेरिका ने अपनी सेना पूरी तरह से हटा ली है। इससे अफ़ग़ानिस्तान क्रिकेट भी प्रभावित हुआ है। तालिबान शासन ने अफगानिस्तान क्रिकेट को महिला टीम उतारने से मना किया है। इसका दूसरे देशों ने संज्ञान लिया है और ऑस्ट्रेलिया ने तो अफगानिस्तान के ख़िलाफ़ टेस्ट मैच रद्द करने की बात तक कह दी है।
उनका विश्व कप में भी खेलना थोड़ी देर के लिए संदिग्ध लग रहा था, लेकिन अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (आईसीसी) ने उन्हें राहत दी है। तालिबान शासन के आने के बाद अफगानिस्तान का पाकिस्तान दौरा स्थगित हुआ है, वहीं राशिद ख़ान ने टी20 की कप्तानी से इस्तीफ़ा दिया है।हालांकि आईसीसी रैंकिंग में शीर्ष आठ में होने के कारण अफगानिस्तान को सीधा मुख्य राउंड में खेलना है। इससे पता चलता है कि अफ़ग़ानिस्तान क्रिकेट ने पिछले एक दशक में अपने आप को कितना विकसित किया है।
बड़ी टीमों को हराई है टी-20 सीरीज
कोरोना महामारी के कारण अफगानिस्तान ने हाल में अधिक टी20 अंतर्राष्ट्रीय मैच नहीं खेले हैं, लेकिन जब भी वे मैदान पर उतरे हैं, सफलता के झंडे गाड़े हैं। उन्होंने नवंबर 2019 में वेस्टइंडीज़ को 2-1 से हराया था, फिर आयरलैंड को मार्च 2020 में इसी अंतर से हराया। इस साल मार्च में उन्होंने ज़िम्बाब्वे को 3-0 से हराकर क्लीन स्वीप किया।
निरंतरता रही है सवालों के घेरे में
अफगान टीम की निरंतरता एक सवाल का विषय है। हालांकि रहमानउल्लाह गुरबाज़ जैसे शीर्ष क्रम के बल्लेबाज़ों के उभार से यह कमी दूर होनी चाहिए। वह आयरलैंड के ख़िलाफ़ पिछले साल प्लेयर ऑफ़ द सीरीज़ हुए थे। इसके बाद उन्होंने इस साल ज़िम्बाब्वे के ख़िलाफ़ सात छक्कों की मदद से 45 गेंदों में 87 रन बनाए। अगर रहमानउल्लाह फ़ॉर्म में रहते हैं तो मध्यक्रम में नजीबउल्लाह ज़दरान को आज़ादी से खेलने का मौक़ा मिलेगा। इसके अलावा अनुभवी असग़र अफ़गान और कप्तान मोहम्मद नबी तो हैं ही।मोहम्मद नबी टी-20 अंतरराष्ट्रीय में नंबर 1 ऑलराउंडर है।
अगर गेंदबाज़ी की बात की जाए तो भले ही राष्ट्रीय टीम ने अधिक क्रिकेट नहीं खेला हो, लेकिन आईपीएल में खेल चुके लेग स्पिनर राशिद ख़ान, मुजीब-उर-रहमान और मोहम्मद नबी लगातार फ़्रैंचाइज़ क्रिकेट खेलकर टच में हैं। तेज़ गेंदबाज़ी का दारोमदार नवीन-उल-हक़, करीम जनत और अनुभवी हामिद हसन (34 वर्ष) के हवाले होगा, जिन्हें टीम में वापस बुलाया गया है।
यह क्या कम उपलब्धि है कि अफगानिस्तान की टीम को क्वालिफायर नहीं खेलने पड़ रहे हैं। जबकि अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में वर्षों से अनुभव प्राप्त कर चुकी एशिया की दो टीमें श्रीलंका और बांग्लादेश असोसिएट देशों के साथ क्वालिफायर में दो दो हाथ कर रही है।
पिछले टी-20 विश्वकप में हर मैच में था जीत के करीब
गौरतलब है कि पिछले विश्वकप (2016) में अफगानिस्तान ने अच्छा प्रदर्शन किया था। लगभग हर टीम को उसने टक्कर दी थी और आखिरी लीग मैच में वेस्टइंडीज को हराया भी था जिसने अंत में जाकर टी-20 विश्वकप जीता था।
अफगानिस्तान ने पिछले टी-20 विश्वकप में अपना सफर जीत के साथ शुरु किया था और स्कॉटलैंड जो अभी क्वालिफायर्स में बांग्लादेश को 6 रनों से हरा चुकी है उसे 14 रनों से हरा दिया था। इसके बाद क्वालिफायर्स में अफगानिस्तान को जिम्बाब्वे के खिलाफ 59 रनों से बड़ी जीत मिली थी और अपने ग्रुप में अफगानिस्तान शीर्ष पर रहा था।
मुख्य ग्रुप में अफगानिस्तान को पहली हार श्रीलंका से मिली जब उसे एक रोमांचक मैच में 6 विकटों से हार का सामना करना पड़ा। दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ यूं तो अफगानिस्तान 37 रनों से हारी लेकिन शहजाद की ताबड़तोड़ बल्लेबाजी से अफ्रीका के हाथ पैर फूल गए थे।
अगले मैच में इंग्लैंड के बल्लेबाजों पर नकेल कसने के बावजूद अफगानिस्तान 143 रनों का लक्ष्य हासिल नहीं कर सकी। एक समय इंग्लैंड इस मैच में 85 रनों पर 7 विकेट गंवा चुका था। अफगानिस्तान इस मैच को 15 रनों से गंवा बैठी और 9 विकेट खोकर सिर्फ 127 रन ही बना सकी।
वेस्टइंडीज के खिलाफ अंतिम मैच में अफगानिस्तान ने सिर्फ 123 रन बनाए थे लेकिन इंडीज के बल्लेबाजों के पास अफगानिस्तान के फिरकी गेंदबाजों का कोई जवाब नहीं था। यह मैच अफगानिस्तान 6 रनों से जीती और टूर्नामेंट में उसे सांत्वना जीत मिली।
विश्व कप के लिए अफ़ग़ानी दल: मोहम्मद नबी (कप्तान), राशिद ख़ान, मुजीब-उर-रहमान, रहमानउल्लाह गुरबाज़ (विकेटकीपर), करीम जनत, हज़रतउल्लाह ज़ज़ई, गुलबदीन नईब, उस्मान घनी, नवीन-उल-हक़, असग़र अफ़ग़ान, हामिद हसन, नजीबउल्लाह ज़दरान, हशमतउल्लाह शाहिदी, मोहम्मद शहज़ाद (विकेटकीपर), फ़रीद अहमद