दुबई:ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड के बीच टी 20 विश्व कप के फ़ाइनल में रविवार को जैसे ही ओपनर आरोन फ़िंच का विकेट गिरा, उसके बाद मिचेल मार्श बल्लेबाज़ी करने आए। यह मार्श के लिए पहला विश्व कप था। 173 रनों का पीछा करते हुए ऑस्ट्रेलिया का पहला विकेट काफ़ी जल्दी गिर चुका था और उनकी टीम मुश्किल परिस्थिति में नजर आ रही थी।
मार्श के सामने एडम मिल्ने गेंदबाज़ी कर रहे थे। मार्श हार्ड लेंथ गेंदों पर थोड़ा संघर्ष करते हैं और यह बात मिल्ने को भी भली भांति पता थी और वह उसी रणनीति के साथ गेंदबाज़ी करने वाले थे। उन्होंने पहली ही गेंद 144 की गति से एक शार्ट पिच डाला और मार्श ने पीछे जाते हुए करारा पुल किया और गेंद बैकवर्ड स्क्वायर लेग सीमा रेखा क्षेत्र में काफ़ी दूर गयी। इसके बाद मार्श ने अगले दो गेंदों पर थर्डमैन और फ़ाइन लेग की दिशा में शानदर चौके लगाए।
अस्सी मिनट के बाद मार्श का निजी स्कोर 50 गेंदों में 77 रन था। मार्श ने न्यूज़ीलैंड के दोनों स्पिनरों के ख़िलाफ़ कुछ बड़े शॉट्स लगाए। अंत में मैक्सवेल ने रिवर्स स्वीप करते हुए गेंद को थर्डमैन सीमा रेखा के बाहर पहुंचाया और टीम के लिए विजयी रन बनाएं। जैसे ही मैक्सवेल ने यह शॉट लगाया मार्श चिल्लाते हुए उनकी तरफ़ गए और अपने ही अंदाज़ में जीत के पलों को सेलिब्रेट किया।
मार्कस स्टोयनिस और एडम ज़म्पा मार्श के दो सबसे क़रीबी दोस्त हैं। वे ऑस्ट्रेलिया के पहले दो खिलाड़ी थे जो दौड़ते हुए मैदान पर आए और उन्हें गले लगा लिया। प्लेयर ऑफ़ द मैच का ख़िताब लेते हुए मार्श ने कहा, "पिछला छह सप्ताह हमारे टीम के लिए अदभुत रहा है। मैं अपनी टीम के सभी लोगों से बहुत प्यार करता हूं। मेरे पास बोलने के लिए फ़िलहाल ज़्यादा शब्द नहीं हैं। हम विश्व विजेता बन चुके हैं।"
छह महीने पहले मार्श को ऑस्ट्रेलिया के कोचिंग स्टाफ़ ने कैरेबियाई दौरे की शुरुआत में कहा था कि उन्हें नंबर तीन पर बल्लेबाज़ी करने का मौक़ा दिया जाएगा। टीम के कई वरिष्ठ खिलाड़ियों के टीम में ना होने बाद भी यह आश्चर्य की बात थी। बिग बैश में वह इस पॉजिशन पर खेल चुके थे लेकिन राष्ट्रीय टीम में वह एक फ़िनिशर के रूप में ही जाने जाते थे। हालांकि ऑस्ट्रेलियाई टीम प्रबंधन का संदेश स्पष्ट था- खेल को नियंत्रण में लाना और पावरप्ले में तेज़ गेंदबाज़ों के ख़िलाफ़ ज़्यादा से ज़्यादा रन बटोरना।
मार्श ने स्पिन गेंदबाज़ी के ख़िलाफ़ अपने खेल को ठीक करने के लिए काफ़ी मेहनत की थी । वेस्टइंडीज़ दौरे पर मार्श पांच में से चार बार स्पिनरों के ख़िलाफ़ आउट आउट हुए थे, लेकिन उस सीरीज़ में उन्होंने 219 रन बनाए जिसमें तीन अर्द्धशतक शामिल थे। उन्होंने वहां 152.08 के स्ट्राइक रेट से रन बनाये थे।
बंगलादेश की धीमी पिचों पर भी मार्श ने ऑस्ट्रेलिया के लिए सबसे अधिक रन (156) बनाए थे, हालांकि इसके लिए उन्हें 158 गेंदों का सामना करना पड़ा था। उन्होंने धीमी और स्पिन लेती पिच पर आउट नहीं होने व रन बनाने का रास्ता तलाश लिया था। ऑस्ट्रेलियाई टीम में मार्श को नंबर तीन पर बल्लेबाज़ी करते हुए खुल कर खेलने का मौक़ा मिला और टीम की मंशा भी वही थी।
लैंगर ने किया था ड्रॉप
टीम में पर्याप्त गेंदबाज़ थे और उन पर गेंदबाज़ी के लिए कुछ ख़ास दबाव नहीं था। पहले दो मैचों में, साउथ अफ़्रीका और वेस्टइंडीज़ के ख़िलाफ़ वह ज़्यादा रन नहीं बना पाए थे, जिसके कारण इंग्लैंड के विरूद्ध लैंगर ने कहा कि वह प्लेइंग 11 का हिस्सा नहीं होंगे।
मार्श ने फ़ॉक्स मीडिया से कहा कि जब उन्हें यह बताया गया तो उन्होंने लैंगर से कहा, "कोई बात नहीं" और फिर अपने कमरे में चले गए। वहां वह तकिए से अपना चेहरा दबाते हुए काफ़ी जोर-जोर से चिल्लाये । हालांकि इंग्लैंड के ख़िलाफ़ ऑस्ट्रेलिया का प्रदर्शन बहुत ही ख़राब था और बाद में फ़िंच ने कहा कि यह बस संरचनात्मक बदलाव था।
इसके पांच दिन बाद ऑस्ट्रेलिया टीम में मार्श का फिर से वापस लाया गया और कहा गया कि वह नंबर तीन पर आक्रामक क्रिकेट खेलें क्योंकि उनकी टीम के पास मैथ्यू वेड के रूप में निचले क्रम में एक बढ़िया बल्लेबाज़ मौजूद था।
इसके कारण यह रिस्क लिया जा सकता था ताकि पावरप्ले में अधिक से अधिक रन बनाया जा सके। टीम मैनेजमेंट का यह फ़ैसला कारगर रहा। उन्होंने वेस्टइंडीज़ के ख़िलाफ़ 32 गेंदों में 53 रनों की ताबड़तोड़ पारी खेली। सेमीफ़ाइनल में भी उन्होंने 23 रनों की छोटी लेकिन उपयोगी पारी खेली।
मार्श के पास आलोचकों की कभी कमी नहीं रही। एक खिलाड़ी के रूप में कई लोगों के द्वारा उनका उपहास किया गया। उन्होंने दो साल में पहली बार टेस्ट में पांच विकेट लेने के बाद हंसते हुए कहा था ,"अधिकांश ऑस्ट्रेलिया मुझसे नफ़रत करता है। इसमें कोई संदेह नहीं है कि मुझे टीम ने काफ़ी मौका दिया है और सच यह है कि मैंने इसे पूरी तरह से भुनाया नहीं है, लेकिन उम्मीद है कि मैं एक दिन उनके फ़ैसले को सही साबित करूंगा।"
फ़िंच ने कहा, "वह सबसे अच्छे व्यक्तित्व में से एक है। वह स्पष्ट रूप से एक विशेष खिलाड़ी है। उसने लंबे समय तक आलोचकों का सामना किया है। उन्हें जब भी मौक़ा दिया जाता है, वह ख़ुद को एक बेहतर खिलाड़ी बनाने का प्रयास करते हैं।"फाइनल में मार्श का प्रदर्शन ऑस्ट्रेलिया की सफलता के पीछे की उलझी हुई प्रक्रिया का प्रतीक था। जब ऑस्ट्रेलिया सोमवार की सुबह जागा, तो उसके पास जीत का एक नया नायक था।(वार्ता)