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काबुल में तालिबान के कब्जे के बाद कैसे बिखरे एक चैंपियन के सपने, पढ़ें अफगानी युवक की दर्दभरी कहानी

काबुल में फंसी मां और बहन को याद कर भावुक हो उठे अजीम मुखलिस

हमें फॉलो करें काबुल में तालिबान के कब्जे के बाद कैसे बिखरे एक चैंपियन के सपने, पढ़ें अफगानी युवक की दर्दभरी कहानी
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विकास सिंह

, सोमवार, 23 अगस्त 2021 (13:30 IST)
अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे के बाद काबुल में दहशत का माहौल है। लोग अपने घरों में बंद है और उनके सामने एक तरह से जीवन का संकट खड़ा हो गया है। अफगानिस्तान के हालात को लेकर भारत में रह रहे उनके परिजन बेहद चिंतित नजर आ रहे है। अफगानिस्तान में फंसी अपनी मां और बहन को लेकर मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में पढ़ाई कर रहे काबुल के रहने वाले अजीम मुखलिस भी बेहद चिंतित है।

‘वेबदुनिया’ से बातचीत में अजीम कहते हैं कि तालिबान के कब्जे के बाद काबुल में हालत बहुत खराब है। मां और बहन से बात तक नहीं हो पा रही है। अजीम की मां और बहन जो काबुल में रहती है उनसे तीन दिनों से बात नहीं हो पाई। अजीम कहते हैं कि तीन दिन पहले मां से बात करने की कोशिश की तो बात तो नहीं हो पाई है। मां ने वॉयस मैसेज करके बताया कि तालिबान के काबुल में आने के बाद लोग अपने घरों में कैद है।
 
अजीम मुखलिस कहते हैं कि मां ने बताया कि फोन के रिचार्ज नहीं मिल पा रहे है, लोग घरों से बाहर नहीं निकल सकते है। अजीम मां और बहन की सुरक्षा को लेकर भावुक होकर कहते हैं कि अब घर पर कॉल करने से भी डर लग रहा है कि कहीं उनके कॉल करने से उनके घर वाले मुसीबत न आ जाए। वह अपनी मां और बहन को काबुल से निकालना चाह रहे है कि लेकिन फ्लाइट्स बंद होने के चलते ऐसा संभव नहीं हो पा रहा है। 
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2014 में पढ़ाई के लिए भारत आए अजीम कहते हैं कि तालिबान के आने के बाद जैसे लग रहा है कि जितने सपने देखे तो वह सब अब बिखर से गए है। तालिबान के आने के बाद वहां सब कुछ बर्बाद हो चुका है। भोपाल में एक निजी कॉलेज से एमबीए करने के बाद पीएचडी कर रहे अजीम कहते हैं कि तालिबान के आने के बाद लग रहा है कि उनकी पढ़ाई खराब हो गई है क्योंकि तालिबान हिंदुस्तान की डिग्री को मान्यता नहीं देता। पहले वह सोचते थे अपने देश जाकर नौकरी करेंगे लेकिन अब ऐसा होता नहीं दिख रहा है।
  
काबुल के रहने वाले अजीम मुखलिस मिक्स्ड मार्शल आर्ट में चैंपियन और अब तक कई गोल्ड मेडल भी जीत चुके है। ‘वेबदुनिया’ से बातचीत में अजीम कहते हैं कि तालिबान के आने के बाद अब उनका करियर तबाह सा हो गया है। अजीम जो अब तक कई प्रोफेशनल फाइट लड़ चुके है, वह कहते हैं कि अब तक कभी फाइट लड़ते समय यह ख्याल नहीं आय़ा है कि भारत और अफगानिस्तान अलग-अलग है। वह एक साथ अपने कंधे पर भारत और अफगानिस्तान का झंडा रख एक गर्व का अनुभव करते थे। 
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अजीम कहते हैं कि तालिबान कभी बर्दाश्त नहीं करेगा कि वह भारत का झंडा अपने कंधे पर रखे। अब डर इस बात का है कि तालिबान के आने के बाद यहीं जीते हुए मेडल उनके लिए सबसे बड़ी मुसीबत न बन जाए क्यों तालिबान कभी बर्दाश्त नहीं करेगा कि भारत और अफगानिस्तान का झंडा एक साथ नजर आए। गौरतलब है कि अजीम अब तक चार प्रोफेशनल फाइट लड़ चुके है और कभी हारे नहीं है। इसके साथ वह मध्यप्रदेश और भोपाल के लिए कई मेडल जीत चुके है।
 
अजीम जो अपने देश से बहुत प्यार करते है वह कहते हैं कि हमने कभी नहीं सोचा था कि ऐसे दिन आएंगे। वह कहते हैं कि अफगानिस्तान में आज जो कुछ भी हो रहा है कि उसके पीछे पाकिस्तान और चीन को जिम्मेदार मान रहे है। इसके साथ अमेरिका, रुस और ईरान को भी अपने देश के लिए बर्बाद के लिए जिम्मेदार मानते है।

अजीम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह से चौहान से अपील करते हैं कि मानवीय पहलुओं को ध्यान में रखते हुए उनके मां और बहन को काबुल से निकाल कर भारत लाया जाए और उनको  भारत की नागरिकता दी जाए। 

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