Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia
Advertiesment

Teacher's Day : यह थीं भारत की पहली महिला शिक्षक

हमें फॉलो करें Teacher's Day : यह थीं भारत की पहली महिला शिक्षक
भारत में महिलाओं पर शुरू से ही न जाने कितनी रोक-टोक और बंदिशे लगाई है। लेकिन जिस भी क्षेत्र में महिलाओं को कमतर आंका गया है, उस क्षेत्र में इतिहास रचा। वर्तमान में महिलाएं कई क्षेत्र में आज परचम लहरा रही है। लेकिन आज इस इतने बड़े मुकाम पर पहुंचने के लिए सबसे पहले एक पहल की जरूरत थी। जिसका आगाज सावित्रीबाई फुले ने किया था। 1840 के दशक में इस तरह का कदम उठाना कोई ज्ञात इंसान ही कर सकता था। और सावित्रीबाई फुले ने वह कदम उठाकर आगे आने वाली पीढ़ी के लिए दम भरा। शिक्षक दिवस पर डॉ सर्वपल्‍ली राधाकृष्णन को तो सभी याद करते हैं क्‍योंकि उन्‍होंने शिक्षा की नींव रखी थी। लेकिन महिलाओं को भी शिक्षित करना जरूरी है, इसके लिए सावित्रीबाई फुले ने कदम उठाया था। सावित्रीबाई फुले भारत की पहली महिला शिक्षक रही हैं। 5 सितंबर को हर साल मनाए जाने वाले शिक्षक दिवस पर आइए जानते हैं उनके बारे में - 
 
8 साल की उम्र थी सावित्रीबाई फुले का विवाह हो गया था। उनका विवाह 13 साल के ज्‍योतिराव फुले से हुआ था। सावित्रीबाई बचपन से ही गलत के खिलाफ आवाज उठाती रहीं हैं। उन्‍हें पढ़ने-लिखने का भी शौक था, उनकी इस लगन को देखते हुए ज्‍योतिराव फुले ने आगे पढ़ने के लिए प्रेरित किया। महाराष्‍ट्र में आज भी एक समाज सेविका के रूप में उनका नाम सबसे पहले लिया जाता है। उन्‍होंने महिलाओं को आगे बढ़ाने के लिए कई काम किए। 
 
विधवाओं के लिए घर और स्‍कूल बनवाएं
 
सावि‍त्रीबाई फुले महिलाओं के लिए काम करती रहती थी। अपने पति ज्‍योतिराव के साथ मिलकर उन महिलाओं के लिए घर बनवाए जिनके पति की मौत हो जाती थी। साथ ही उन्‍हें घर से निकाल दिया जाता था। सावित्रीबाई फुले ने अपने जीवन में 18 स्‍कूल बनवाएं। देश का सबसे पहला स्‍कूल भिडेवाड़, पुणे में शुरू किया। स्‍कूल खोलने वाली महिला सावित्रीबाई को समाज के कई सारे ताने सुनने पड़ते थे। जब वह निकलती थी तो उन पर मिट्टी, पत्‍थर, सड़ी सब्जियां फेंकी जाती थी। उन्‍हें अपशब्‍द कहे जाते थे, लेकिन वह कभी नहीं रूकी। 
 
सावित्रीबाई फुले ने महिलाओं को आगे बढ़ाने के लिए कई सराहनीय कार्य भी किए है। समाज में विधवा महिलाओं के सिर मुंडवा दिए जाते थे, नस्‍लभेद टिप्‍पणी की जाती थी, रूढ़िवादी सोच रखते हुए उन्‍हें प्रताड़ित करना जैसे कार्यों पर आवाज बुलंद कर विराम लगाया। समाज से लड़ने के कारण सावित्रीबाई को उनके ससूर ने घर से निकाल दिया था। 
 
सावित्री बाई के बारे में जो आपको पता होना चाहिए - 
 
- सावित्रीबाई ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा घर में ही ली। इसके बाद Ms.Faraar's Institution में पढ़ाई की और  Ms. Mitchell's School पुणे में पढ़ाई की। अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद वह शिक्षिका के तौर पर पढ़ाने लगी। 
- उस वक्‍त लड़कियों को पढ़ाना और लड़कियों को स्‍कूल भेजना पाप के समान माना जाता था। 
- 1848 में सावित्रीबाई ने लड़कियों के साथ ही महिलाओं को भी पढ़ाना शुरू किया। जिसे लेकर समाज में खूब आलोचना की जाने लगी थी। लेकिन सावित्रीबाई अपने काम को लेकर 
 
अडि़ग थीं। महिलाओं को शिक्षित करने के साथ वह उनके विकास कार्य पर भी जोर देती थीं। 
- शुरूआत में मात्र 25  लड़कियां थी लेकिन बाद में 150 तक यह संख्‍या पहुंच गई। 
 
सावित्रीबाई फुले एक महान शिक्षिका रही हैं। अगर उन्‍होंने यह कदम नहीं उठाया होता तो शायद महिलाओं को इतनी आजादी मिलती भी या नहीं। शिक्षक दिवस के मौके पर शत्-शत् नमन। जिन्‍होंने शिक्षा को लेकर सब कुछ किया। 
 

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

शिक्षक दिवस का इतिहास : भारत में 1962 में पहली बार मना था 'टीचर्स डे'