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मेरे पहले टीचर की जो बात मुझे याद आती है...

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कहीं कोई एक बात, एक शब्द, एक सलाह, एक समझाइश हमें याद रह जाती है और उसी के साथ याद रह जाते हैं कोई एक ऐसे टीचर जिन्होंने हमें संभाला था,.... इन विचारों को पढ़कर आपको भी कोई टीचर याद आते हैं तो हमें जरूर बताएं... उनकी वह बात जो आप आज तक नहीं भूल पाए.... 
 
मेरे एक टीचर भार्गव मैडम की वह बात मुझे आज भी याद आती है, जब मैंने उनसे कहा था कि मुझे कुछ याद नहीं रहता तब उनका कहना था कि तुम याद करने के लिए क्यों पढ़ती हो, तुम कल्पना करो पढ़ते हुए कि यह जो चैप्टर है या जो सवाल और कितने तरीके से किया या लिखा जा सकता है और इस सवाल के और कितने जवाब हो सकते हैं.... सचमुच उस दिन के बाद मैंने चीजों को समझना शुरू कर दिया....डिंपी मिश्रा, कानपुर  
 
मुझे याद है मैं डिबेट कॉंम्पिटीशन में गई थी और सामने से किसी लड़के ने हूट कर दिया था, कुछ कमेंट कर दिए थे... तो मैं मंच से ही उससे भिड़ गई थी.... तब मुझे रावल मैडम ने बाद में एक तरफ ले जाकर कहा था कि मंच की एक गरिमा होती है, वहां आप पर्सनल नहीं हो सकते, आपको सभा की मर्यादा का ख्याल रखना चाहिए.... और सबसे बड़ी बात यह कि आप मानसिक दृढ़ता बनाए रखें, लोग तो आपको जीवन में भी छींटाकशी करेंगे, कमजोर करेंगे, क्या हर किसी को जवाब दोगी...लड़के को भी समझाया था, उसे कितना समझ आया पता नहीं पर मैंने फिर कभी मंच से अपनी कमजोरी नहीं दिखाई, हर बार मैं जीत कर ही आई....मनीषा जोशी, उज्जैन  
 
मेरे एक टीचर सोनी सर ने मुझे क्लास में खड़ा किया कुछ बोलने के लिए मैं नहीं बोल पाया तो आंखों से आंसू निकल गए तब उन्होंने कहा था कि हार-जीत, सफलता-असफलता कुछ नहीं होती, बस कभी-कभी दिन अपना नहीं होता, आज तुम बोल नहीं पाए इसका मतलब यह नहीं कि कभी नहीं बोल पाओगे, आज का दिन तुम्हारा नहीं था पर हमेशा ऐसा नहीं रहेगा, वक्त कभी एक जैसा नहीं रहेगा लेकिन आप खुद पर भरोसा हमेशा हर हाल में रखो....यह बात आज तक मेरे भीतर प्रेरणा जगाती है.... आयुष तिवारी, भोपाल      

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