भाद्रपद की तृतीया को महिलाएं अपने पति की दीर्घायु और सेहत के लिए हरतालिका तीज का निर्जला व्रत रखा रखती हैं। युवतियां मनचाहा वर पाने के लिए महिलाएं व्रत रखती हैं। व्रत में माता पार्वती को इन 11 चीजों से प्रसन्न किया जा सकता है।
1.फुलेरा : प्राकृतिक फूल-पत्तियों, जड़ी-बूटियों और बांस से झुले जैसा दो सुंदर-से फुलहरा बनाते हैं। यह सभी माता पार्वती और शिवजी को अर्पित किए जाते हैं।
2. सुहाग पिटारा : माता को सुहान के 2 पिटारा अर्पित किए जाते हैं जिसमें बिंदी, चूड़ी, बिछिया, आलता, काजल, कुमकुम, सिंदूर, कंघी, शीशा, कपड़े, माहौर, मेहंदी, लिपिस्टिक आदि 16 श्रृंगार के सामान होते हैं।
3. मिट्टी के शिवलिंग : गीली काली मिट्टी या बालू के शिवलिंग बनाकर उनकी पूजा करना। उन्हें बेलपत्र, शमी पत्र, केले का पत्ता, धतूरे का फल एवं फूल, आंक का फूल, मंजरी, वस्त्र, जनेउ, धोती, अंघोछा आदि अर्पित करना। हरतालिका पूजन के लिए भगवान शिव, माता पार्वती और भगवान गणेश की बालू रेत व काली मिट्टी की प्रतिमा हाथों से बनाएं और उनकी पूजा करें।
4. ये चीजें अर्पित करें : पंचामृत, घी, दही, शक्कर, दूध, शहद, मिठाई, फल, फूल, नारियल, कपूर, कुमकुम, सुपारी, सिंदूर, अबीर, चन्दन, लकड़ी की चौकी, पीतल का कलश, केले का पत्ता आदि।
5. खीर का भोग : माता पार्वती को खीर का भोग लगाएं। ऐसा करने से वैवाहिक जीवन में प्यार बना रहता है और पति-पत्नी के बीच संबंध बेहद मधुर होते हैं।
6. अभिषेक करें : दूध में केसर मिलाकर माता पार्वती का अभिषेक करें। साथ ही कर्पूर, अगरु, केसर, कस्तूरी और कमल के जल, आम, गन्ने का रस से माता पार्वती का अभिषेक किया जाए।
7. कथा जरूर सुनें : इस व्रत के दौरान हरतालिका तीज व्रत कथा को सुनना जरूरी होता है। मान्यता है कि कथा के बिना इस व्रत को अधूरा माना जाता है।
8. रातभर जागना होता है जरूरी : इन दिन महिलाओं को रातभर जागना जरूरी होता है, क्यों आठों प्रहर पूजा भी करना होती है। माता इससे प्रसन्न होती है। इस दिन भगवान शिव, माता पार्वती और भगवान गणेश की बालू रेत और काली मिट्टी की प्रतिमा हाथों से बनाकर इनकी पूजा का प्रारंभ सूर्यास्त के बाद प्रदोषकाल से किया जाता है जो सुबह पराण तक जारी रहता है।
9. 16 पत्तियां : बिल्वपत्र, तुलसी, जातीपत्र, सेवंतिका, बांस, देवदार पत्र, चंपा, कनेर, अगस्त्य, भृंगराज, धतूरा, आम के पत्ते, अशोक के पत्ते, पान के पत्ते, केले के पत्ते और शमी के पत्ते। इस प्रकार 16 प्रकार की पत्तियां से षोडश उपचार पूजा करनी चाहिए। पत्ते उलटे चढ़ाना चाहिए तथा फूल व फल सीधे चढ़ाना चाहिए।
10. भजन करें : हरतालिका तीज व्रत के दिन रात्रि जागरण किया जाता है। रात में भजन-कीर्तन करना चाहिए।
11. अन्य भोग : माता को शहद, हलवे, गुड़ और घी की चीजों का भोग लगाकर दान करने से परिवार की बीमारी और दरिद्रता दूर होती है।