Hartalika Teej 2025: भारत में व्रत और त्योहार केवल धार्मिक आस्था से जुड़े नहीं होते, बल्कि ये परिवार और रिश्तों को भी मजबूत बनाने का एक जरिया होते हैं। खासकर हरितालिका तीज का पर्व, जो विवाहित स्त्रियों के लिए बेहद खास माना जाता है। यह व्रत पत्नी अपने पति की लंबी उम्र, सुख-समृद्धि और वैवाहिक जीवन की खुशहाली के लिए करती है। इस दिन महिलाएं पूरे दिन निर्जल व्रत रखती हैं, यानी वे बिना अन्न-जल ग्रहण किए भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करती हैं। ऐसे में पति का सहयोग और उनका सही व्यवहार पत्नी के लिए मानसिक और भावनात्मक ताकत का काम करता है। 2025 में हरितालिका तीज का व्रत और भी खास होगा, और इस दिन पतियों के लिए यह समझना जरूरी है कि उन्हें अपनी पत्नी के साथ कैसे खड़ा रहना है।
पति की जिम्मेदारी क्यों अहम है?
हरितालिका तीज पर स्त्रियां कठोर तपस्या जैसी साधना करती हैं। पूरा दिन भूखे-प्यासे रहकर वे भगवान शिव-पार्वती से दांपत्य जीवन की खुशहाली की कामना करती हैं। ऐसे में पति का सहयोग केवल औपचारिकता नहीं बल्कि पत्नी की भावनाओं के सम्मान का प्रतीक होता है। अगर पति इस दिन कुछ नियमों का पालन करें तो न केवल पत्नी को मानसिक सुकून मिलेगा बल्कि रिश्ते में विश्वास और प्यार और भी गहरा होगा।
नियम 1: पत्नी की भावनाओं का सम्मान करें
इस दिन पत्नी पूरे मन, तन और आत्मा से व्रत करती है। पति को चाहिए कि वे उनकी भावनाओं को समझें और व्रत को हल्के में लेने जैसी गलती न करें। पत्नी के समर्पण और आस्था की कद्र करना पति का पहला कर्तव्य है।
नियम 2: व्रत के दौरान सहयोग दें
चूंकि पत्नी पूरे दिन निर्जल रहती है, इसलिए घर के छोटे-मोटे कामों में पति का सहयोग बहुत मायने रखता है। पूजा की तैयारी में मदद करना, जरूरत की चीजें लाकर देना और उनके आराम का ख्याल रखना – ये सब पत्नी को यह एहसास दिलाते हैं कि पति वास्तव में उनके साथ खड़े हैं।
नियम 3: बहस और तनाव से बचें
व्रत के दिन पत्नी पहले से ही शारीरिक और मानसिक रूप से एक तपस्या से गुजर रही होती है। ऐसे में अगर पति अनावश्यक बहस या तनावपूर्ण माहौल बना दें तो यह व्रत के महत्व को कम कर सकता है। इसलिए इस दिन पति को चाहिए कि वे सकारात्मक और शांत वातावरण बनाए रखें।
नियम 4: पूजा और अनुष्ठान में शामिल हों
हरितालिका तीज केवल महिलाओं का व्रत नहीं बल्कि पति-पत्नी दोनों के रिश्ते की मजबूती का पर्व है। इसलिए पति को चाहिए कि वे पूजा और अनुष्ठान में पत्नी के साथ भाग लें। भले ही वे व्रत न रख रहे हों, लेकिन उनकी मौजूदगी पत्नी को आध्यात्मिक बल देती है।
नियम 5: पत्नी की सेहत का ध्यान रखें
लंबे समय तक बिना अन्न-जल ग्रहण किए रहना आसान नहीं होता। पति को चाहिए कि वे अपनी पत्नी के स्वास्थ्य पर नजर रखें। अगर उन्हें कमजोरी या चक्कर जैसा लगे तो तुरंत उनकी मदद करें। व्रत के पूरा होने के बाद पौष्टिक आहार दिलाना भी पति की जिम्मेदारी है।
नियम 6: आभार और सराहना जताएं
यह व्रत केवल धार्मिक परंपरा नहीं बल्कि पत्नी के त्याग और प्रेम का प्रतीक है। पति को चाहिए कि वे अपनी पत्नी का आभार जताएं और उनके समर्पण की सराहना करें। यह छोटा-सा कदम भी रिश्ते को और गहराई से जोड़ देता है।
हरितालिका तीज का सामाजिक और पारिवारिक महत्व
आज की तेज रफ्तार जिंदगी में कई बार रिश्तों में संवाद और समझ की कमी हो जाती है। ऐसे में हरितालिका तीज जैसे पर्व हमें यह याद दिलाते हैं कि रिश्ते केवल जिम्मेदारियों से नहीं बल्कि आपसी सहयोग, सम्मान और प्यार से जीवंत रहते हैं। जब पति इस दिन पत्नी का सहयोग करते हैं, तो यह केवल एक दिन का सहारा नहीं बल्कि जीवनभर की साझेदारी का वादा होता है।
अस्वीकरण (Disclaimer) : सेहत, ब्यूटी केयर, आयुर्वेद, योग, धर्म, ज्योतिष, वास्तु, इतिहास, पुराण आदि विषयों पर वेबदुनिया में प्रकाशित/प्रसारित वीडियो, आलेख एवं समाचार जनरुचि को ध्यान में रखते हुए सिर्फ आपकी जानकारी के लिए हैं। इससे संबंधित सत्यता की पुष्टि वेबदुनिया नहीं करता है। किसी भी प्रयोग से पहले विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें।