1980 में मॉस्को, सोवियत संघ में ओलंपिक का आयोजन किया गया था। यह वही ओलंपिक था जिसमें भारतीय हॉकी टीम ने आखिरी बार स्वर्ण पदक जीता था। 1980 के बाद कहने को तो कितने ही ओलंपिक खेले गए लेकिन एक बार भी हॉकी टीम गोल्ड मेडल जीतने में सफल न हो सकी।
हॉकी के खेल में भारत ने हमेशा विजय पाई है। इस स्वर्ण युग के दौरान भारत ने 24 ओलंपिक मैच खेले और सभी 24 मैच जीतकर 178 गोल बनाए और केवल 7 गोल छोड़े। भारत के पास 8 ओलंपिक स्वर्ण पदकों का शानदार रिकॉर्ड दर्ज है। भारतीय हॉकी का स्वर्णिम युग 1928 से 1956 के बीच रहा जब भारतीय हॉकी दल ने लगातार छह ओलंपिक स्वर्ण पदक जीते।
1928 तक हॉकी भारत का राष्ट्रीय खेल बन गया था और इसी साल एम्सटर्डम ओलंपिक में भारतीय टीम पहली बार प्रतियोगिता में शामिल हुई। भारतीय टीम ने 5 मुकाबलों में एक भी गोल दिए बगैर स्वर्ण पदक जीता। जयपाल सिंह की कप्तानी में टीम ने अंतिम मैच में हॉलैंड को आसानी से हराकर गोल्ड मेडल अपने नाम किया था। भारत की इस जीत में महान खिलाड़ी ध्यानचंद भी शामिल थे।
1928 एमस्टर्डम ओलंपिक में स्वर्ण जीतने के बाद भारतीय हॉकी टीम ने पीछे मुड़कर नहीं देखा और भारत ने लगातार लॉस एंजेलस में 1932 के दौरान और बर्लिन में 1936 के दौरान स्वर्ण पदक जीते और इसी प्रकार हमारी हॉकी टीम ने ओलंपिक खेलों में गोल्ड मेडल जीतने की हैट्रिक बनाई।
साल 1932 के लॉस एंजेलेस ओलंपिक को भारतीय हॉकी टीम ने वर्ल्ड रिकॉर्ड का गवाह बनाते हुए अमेरीका के खिलाफ एक मुकाबले में 24 गोल दागकर विपक्षी टीम को चारों खाने चित्त कर दिया था। इस यादगार मुकाबले में भारतीय खिलाड़ी रूपसिंह ने सबसे ज्यादा 10 गोल दागे थे।
1948 लंदन ओलंपिक के दौरान भी किशन लाला की अगुवाई में टीम ने स्वर्ण पदक अपनी झोली में डाला था। इसके बाद भारतीय हॉकी टीम ने 1952 के हेलसिंकी ओलंपिक में लगतार पांचवी बार गोल्ड पर अपना कब्ज़ा जमाया था। 1956 मेलबर्न ओलंपिक में भी भारतीय हॉकी का जलवा बरकरार रहा और टीम ने फाइनल में चिर प्रतिद्वंदी पाकिस्तान के खिलाफ विजय पताका लहराते हुए लगातार छह ओलंपिक खेलों में स्वर्ण पदक जीतकर इतिहास रचा।
1960 रोम ओलंपिक में पाकिस्तान ने भारत की लगातार छह ओलंपिक में जीत के सिलसिला को तोड़ दिया। इसके बाद 1964 में टोक्यो में ओलंपिक खेलों के आयोजन के साथ एशियाई मैदानों पर पहली बार ओलंपिक खेला गया। इस ओलंपिक के सेमीफाइनल में भारतीय हॉकी टीम ने ऑस्ट्रेलिया को 3-1 से हराकार फाइनल का टिकट कटाया और एक बार फिर से भारत का सामना फाइनल में पाकिस्तान से था, जहां टीम ने शानदार खेल दिखाते हुए न सिर्फ पाक को धूल चटाई बल्कि सातवां स्वर्ण पदक अपने नाम किया।
1980 मॉस्को ओलंपिक में आखिरी बार भारतीय हॉकी टीम गोल्ड जीतने में कामयाब हुई थी। इस बार हमारी महिला और पुरुष दोनों टीमें टोक्यो ओलंपिक में हिस्सा ले रही है और हम आशा करते है कि 41 साल के सूखे को खत्म करने में कामयाब होगी।